Fridom Fighter Gaura Devi आजादी का अलख जगाने वाली शिमला की महान स्वतन्त्रता सेनानी

विनोद भावुक/ शिमला
(Fridom Fighter Gaura Devi) गौरा देवी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रभावित होकर देश को आजादी मिलने तक संघर्ष की मशाल को थामे रखा। वे अढ़ाई दशक से ज्यादा समय तक स्वतन्त्रता संग्राम में सक्रिय रहीं गांधी के साथ मिल कर कई मिशन पर डटी रहीं। उनका जन्म किशोर कॉटेज शिमला में साल 1895 ईस्वी में हुआ था। उनके पति का नाम डॉ.एल.सी. दत्त था। हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से राज्य में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान देने वाले कई वीर सेनानियों ने जन्म लिया। इस संघर्ष में महिलाओं का योगदान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में महत्वपूर्ण रहा। शिमला से Fridom Fighter Gaura Devi भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने वाली एक महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानी थी।
गांधी से प्रभावित
महात्मा गांधी की शिमला यात्रा के बाद Fridom Fighter Gaura Devi महात्मा गांधी से प्रभावित होकर स्वतंत्रता संघर्ष में कूद पड़ीं और साल 1921 से लेकर साल 1947 तक स्वराज आंदोलन में गांधी के साथ मिलकर रचनात्मक कार्य किए। सविनय अवज्ञ आंदोलन में भाग लेना तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए समाज में जन जागरण की भावना लाने के लिए गांव व शहरों में जाकर सभाओं का आयोजन व प्रचार किया।
‘जमनालाल बजाज’ पुरस्कार से सम्मानित
Fridom Fighter Gaura Devi ने पहाड़ की छोटी छोटी रियासतों में जाकर महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन के लिए जागरूक किया और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का आरंभ अपने वस्त्रों की होली जलाकर किया। साल 1984 में सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें ‘जमनालाल बजाज’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में योगदान देने के लिए गोरा देवी को हमेशा याद किया जाएगा। विपरीत समाजिक परिस्थितियों के बावजूद भी स्वतंत्रता संघर्ष के लिए उनका जनून, निष्ठा हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगा। 2 जनवरी 1989 को इनका स्वर्गवास हो गया।