‘ग्रासरूट इनोवेटर’ : सैनिक स्कूल टीहरा से भरी ऊंची उड़ान, हुनर से सिंगापुर तक बनाई पहचान, पहली ग्रामीण सीवरेज स्कीम के निर्माता इंजीनियर राकेश पराशर

‘ग्रासरूट इनोवेटर’ : सैनिक स्कूल टीहरा से भरी ऊंची उड़ान, हुनर से सिंगापुर तक बनाई पहचान, पहली ग्रामीण सीवरेज स्कीम के निर्माता इंजीनियर राकेश पराशर
विनोद भावुक/ शिमला
यह प्रेरक कहानी सैनिक स्कूल टीहरा के स्टूडेंट रहे आधुनिक सोच, तकनीकी दक्षता और जमीनी जुड़ाव वाले एक इंजीनियर राकेश पराशर की है, जिन्हें अनुशासन सेना से, शिक्षा गुरुकुलों से और सेवा भावना मां से मिली है। मंडी जिला के धर्मपुर उपमंडल की टीहरा तहसील के कोट (पाटी) गांव के ये प्रतिभावान मेकेनिकल इंजीनियर वर्तमान में जलशक्ति विभाग मुख्यालय शिमला में कार्यरत हैं।
राकेश पराशर प्रदेश के इकलौते अधीक्षण अभियंता हैं, जो इस साल 19 मई से 23 मई तक आधुनिक जल प्रणाली के अध्ययन के लिए सिंगापुर गई देश के 20 इंजीनियरों की टीम में शामिल थे। प्रदेश की पहली ग्रामीण सीवरेज स्कीम संधोल के निर्माण ने उन्हें ‘ग्रासरूट इनोवेटर’ के तौर स्थापित किया है। आरटीआई कानून को गरीबों की आवाज़ बनाने वाले इस इंजीनियर की दो आरटीआई केस स्टडीज केंद्रीय सूचना आयोग की ‘यशोगाथा’ पुस्तक में छपीं हैं।
दुर्गम क्षेत्रों में जलापूर्ति और सिंचाई का प्रबंध
जल जीवन मिशन के तहत दुर्गम क्षेत्र धर्मपुर के कमलाह क्षेत्र में 8 लाख लीटर क्षमता वाला वाटर टैंक बनाने का श्रेय राकेश पराशर को जाता है। 61 करोड़ की लागत वाली बरोटी- मंडप- जोड़न सिंचाई योजना, 147 करोड़ की कमलाह- मंडप पेयजल योजना,109 करोड़ की टोरखोला पेयजल योजना और धर्मपुर में बागवानी विभाग का सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स का निर्माण भी उनके नेतृत्व में हुआ है।
पेशेवर रूप से उन्होंने कई दुर्गम क्षेत्रों में जलापूर्ति योजनाएं खड़ी कीं, बग्गी, बिलासपुर, पधर और धर्मपुर जैसे स्थानों में तकनीकी सुधारों की अगुवाई की। वे निचले हिमाचल में बागवानी को दिशा देने वाली एचपी शिवा परियोजना के नोडल ऑफिसर भी रहे हैं।
‘यशोगाथा’ में छपी आरटीआई की दो सक्सेस स्टोरीज़
राकेश पराशर आरटीआई एक्टिविस्ट हैं। उन्होंने सूचना अधिकार कानून का प्रयोग कर कई लोगों की मदद की है। सूचना अधिकार कानून को लागू हुये पांच साल होने पर केंद्रीय सूचना आयोग की तरफ से प्रकाशित ‘यशोगाथा’ पुस्तक में उनकी दो सक्सेस स्टोरीज़ प्रकाशित हुई हैं। इस पुस्तक का विमोचन 2016 में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था।
राकेश पराशर ने आरटीआई एक्ट का ऑनलाइन सर्टिफिकेट कोर्स किया है। सूचना अधिकार कानून पर उनके पेपर को सर्वश्रेष्ठ आंकते हुए केंद्रीय सूचना आयुक्त ने उन्हें तीन हजार का कैश अवार्ड प्रदान किया है। विशेषज्ञ के तौर पर वे प्रदेश और केंद्र के कई संस्थानों में सूचना अधिकार कानून के बारे में लेक्चर देने जाते हैं।
बीटेक में ब्राउंज, एमटेक में सिल्वर
24 अगस्त 1977 को सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार में दूसरे बेटे के रूप में पैदा हुए राकेश पराशर की शुरुआती शिक्षा सेंट्रल स्कूल लखनऊ और जम्मू में हुई। वे 1989 से 1996 तक सैनिक स्कूल टीहरा से के स्टूडेंट रहे। 1996 में उनकी एडमिशन एनआईटी हमीरपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में हुई। पढ़ाई के दौरान वे एनएसएस और एनसीसी केडेट रहे और स्पोर्ट्स व एथलेटिक्स में भी अपनी खास पहचान बनाई।
राकेश पराशर एनआईटी हमीरपुर के बेस्ट एथलीट रहे और 1999- 2000 में संस्थान के स्पोर्ट्स सेक्रेटरी रहे। उन्हें मेरिट स्कॉलरशिप मिली और कांस्य पदक के साथ बीटेक किया है। उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से रोटो डायनामिक मशीनरी में एमटेक की डिग्री ली। एमटेक के दौरान उन्होंने सिल्वर मैडल जीता है।
इंडियन ऑर्डिनेंस फेक्ट्री के वर्क्स इंजीनियर
राकेश पराशर ने 2002- 03 में गुरु गोबिन्द सिंह इंजीनियरिंग कॉलेज में बतौर लेक्चरर सेवाएं प्रदान कीं। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिये उनकी नियुक्ति इंडियन ऑर्डिनेंस फेक्ट्री जबलपुर में बतौर जूनियर वर्क्स इंजीनियर हुई। चार साल सेवाएं देने के बाद साल 2007 में स्टेट पब्लिक कमीशन के जरिये वे जलशक्ति विभाग में एसडीओ नियुक्त हुए। वे बैच के टॉपर थे और उनकी पहली पोस्टिंग शिमला में हुई।
राकेश पराशर को साल 2014 में जल शक्ति विभाग की मेकेनिकल वर्कशॉप बग्गी में तैनात किया गया। अगस्त 2017 में पदोन्नत होकर वे अधिशाषी अभियंता बिलासपुर बने। बाद में उन्होंने अधिशाषी अभियंता पधर, और धर्मपुर का जिम्मा संभाला। 14 अक्तूबर 2022 को वे तदर्थ आधार पर अधीक्षण अभियंता पदोन्न्त हुए। मई 2023 में वे विभाग के मुख्यालय शिमला में तैनात हुए और 14 अक्तूबर 2024 को अधीक्षण अभियंता के पद पर नियमित पदोन्नति मिली।
सैनिकों के परिवार के इंजीनियर
राकेश पराशर के दादा गुलाब सिंह ने भारतीय सेना की ग्रनेडियर में जबकि पिता रणवीर सिंह ने डोगरा रेजीमेंट में सेवाएँ प्रदान की हैं। उनके बड़े भाई राजेश पराशर ने छठे प्रयास में भारतीय सेना में कमीशन पास किया और वर्तमान में वे भारतीय सेना में कर्नल हैं।
राकेश पराशर की शादी साल 2008 में मुक्ता ठाकुर से हुई हैं। बागवानी में एमएससी मुक्ता ठाकुर वर्तमान में बागवानी विभाग शिमला में जिला योजना अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। इस दंपति की एक बेटी शंभवी है, जो मैट्रिक की स्टूडेंट है। साल 2021 में उनकी माता तारा देवी का निधन हो गया।
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