जन्मदिन मुबारक : दादा की विरासत पर पोते की सियासत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल के पोते शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर का सियासी सफर

जन्मदिन मुबारक : दादा की विरासत पर पोते की सियासत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल के पोते शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर का सियासी सफर
जन्मदिन मुबारक : दादा की विरासत पर पोते की सियासत, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल के पोते शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर का सियासी सफर
विनोद भावुक/ धर्मशाला
सियासी वंशबेल की एक कड़ी टूटी तो तीसरी पीढ़ी को अपनी सियासी जमीन को सहेजना आसान नहीं होता। हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और फिर दो बार मुख्यमंत्री रहे ठाकुर रामलाल के बेटे जगदीश ठाकुर राजनीति में सक्रिय तौर पर कोई भूमिका नहीं निभाई।
बेटे को जब सियासत रास नहीं आई तो दादा ने अपने पोते रोहित ठाकुर को सियासत की हर हर चाल सिखाई। आज हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर का जन्मदिन है। इस खास दिन पर उनके सियासी सफर की वह कहानी, जिसको अभी तक खोला नहीं गया है।
घर से मिली सियासत की समझ
14 अगस्त 1974 को पैदा हुये रोहित ठाकुर ने जब होश संभालना शुरू किया तो राजनीति ही सबसे पहले उन्हें समझ में आने लगी। जुब्बल-कोटखाई का बर्थाटा क्षेत्र सियासी गतिविधियों का इसलिए बड़ा केंद्र था, क्योंकि यहां के विधायक प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे थे।
नेताओं से लेकर अफसरों और आम जनता का लगातार घर पर आना-जाना लगा रहता था और दादा के बताए टिप्स पर पोते के बाल मन पर आम जनता, कार्यकर्ताओं, पार्टी पदाधिकारियों, अफसरों और नेताओं के साथ दादा संवाद दर्ज होता रहता था।
दादा के पदचिन्हों पर पोता
दादा ठाकुर रामलाल के देहांत के बाद साल 2003 में पहली बार जुब्बल- कोटखाई से चुनाव मैदान मार कर रोहित ठाकुर के विधानसभा में पहुंचने के पीछे वह सब पॉलिटिकल स्कूलिंग थी, जो उनके दादा ने की थी।
यही कारण है कि ‘होलीलॉज’ के साथ तल्खियों के बावजूद अपनी पारिवारिक सीट पर अपनी मजबूत पकड़ बनाई और चौथी बार जीते तो सुखविंद्र सिंह सुक्खू की नजदीकियों के चलते मंत्रीपद तक पहुंच गए।
‘राजा’ को हराने वाले ‘ठाकुर’
प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में बिरला किस्सा दर्ज है कि कभी ठाकुर रामलाल के सामने पहाड़ की सियासत के ‘राजा’ कहे गए दिग्गज वीरभद्र सिंह को अपने जीवन की पहली और अंतिम चुनावी हार का सामना करना पड़ा था।
यह अलग बात है कि कभी न हारने वाले अपने दादा राम लाल ठाकुर के रिकॉर्ड को बरकरार तो नहीं रख पाए, लेकिन रोहित ठाकुर दादा की सियासी विरासत को बखूबी आगे बढ़ा रहे हैं।
संगठन से सियासी सफर की शुरुआत
राजनीतिक शास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद दादा के पदचिन्हों पर चलते हुए रोहित ठाकुर ने संगठन के रास्ते अपनी सियासी बुनियाद को मजबूत की। वे 2002 से 2004 तक प्रदेश युकां के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
2008 से 2011 तक वे प्रदेश कांग्रेस के सचिव रहे हैं। 2002 से वे जुब्बल-कोटखाई से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं। सियासी पकड़ और मिलनसार स्वभाव उनके व्यक्तित्व की खूबियां हैं।
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Jyoti maurya

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