ऊंची उड़ान : ऐहजु की पैराग्लाइडर अलीशा कटोच ने कजाकिस्तान में जीता गोल्ड मैडल, फ़ीमेल वर्ल्ड रैंकिंग में 20वां स्थान

ऊंची उड़ान : ऐहजु की पैराग्लाइडर अलीशा कटोच ने कजाकिस्तान में जीता गोल्ड मैडल, फ़ीमेल वर्ल्ड रैंकिंग में 20वां स्थान
राकेश संगराई/ जोगिंद्रनगर
जोगिंद्रनगर उपमण्डल की ऐहजु पंचायत के त्रामट गाँव की बेटी अलीशा कटोच ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कजाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए गोल्ड मैडल सहित कई मैडल जीते हैं। अलीशा ने 16 साल की उम्र में पैराग्लाइडिंग की दुनिया में कदम रखा और आज वे भारत की शीर्ष महिला पैराग्लाइडिंग पायलट बन गई हैं। उनका यह सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है, जिसमें संघर्ष, जुनून और जीत की गाथा छिपी है।
शुरुआती संघर्ष और जुनून
साल 2019 में, अलीशा ने बिना परिवार को बताए अपने जेब खर्च से अपनी पहली पैराग्लाइडिंग उड़ान भरी थी। उसी दिन से उड़ने का ऐसा जुनून चढ़ा कि इसे ही अपना सपना बना लिया। यह राह आसान नहीं थी। आर्थिक तंगी और समुदाय से अपेक्षित समर्थन न मिलने के कारण उन्हें एक समय पैराग्लाइडिंग छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
एक मोड़ जिसने बदल दी जिंदगी
साल 2022 अलीशा के जीवन में एक बड़ा मोड़ लेकर आया, जब भारत के जाने-माने पैराग्लाइडिंग पायलट विजय सोनी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। उन्होंने उन्हें प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया, जो अलीशा के लिए एक नई शुरुआत थी। अलीशा ने 2023 में अपनी पहली प्रतियोगिता में भाग लिया और शानदार जीत हासिल की। यह वही दिन था जब उन्हें अपनी असली क्षमता का एहसास हुआ। तब से, अलीशा कामशेत स्थित ऑरेंजलाइफ पैराग्लाइडिंग स्कूल में लगातार प्रशिक्षण ले रही हैं और अपने कौशल को निखार रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम:
एक ही यात्रा में, कजाकिस्तान में, अलीशा ने 6 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अविश्वसनीय प्रदर्शन करते हुए 6 स्वर्ण पदक, 5 रजत पदक, 3 कांस्य पदक और 3 ट्रॉफियां अपने नाम कीं। यह भारतीय पैराग्लाइडिंग इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। इन प्रतियोगिताओं के पुरस्कार समारोहों में 6 बार भारतीय राष्ट्रीय गान विदेशी धरती पर बजाया गया, जिसने अलीशा को भावुक कर दिया और उन्होंने गर्व से भारत का प्रतिनिधित्व किया।
अलीशा की वर्तमान उपलब्धियां
आज, अलीशा कटोच की रैंकिंग उन्हें देश और दुनिया में एक शीर्ष पैराग्लाइडिंग पायलट के रूप में स्थापित करती है। उसका भारत में महिला पैराग्लाइडिंग पायलटों में प्रथम स्थान और दुनिया भर की महिला पायलटों में 20वां स्थान है। वह इस स्तर तक पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड है।
मेहनत और विश्वास का नतीजा
अपनी इन उपलब्धियों का श्रेय अलीशा अपने कोच विजय सोनी को देती हैं। अलीशा कहती हैं, ये उपलब्धियां सिर्फ मेरे कोच विजय की मेहनत और विश्वास का नतीजा हैं। उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच पाती। अलीशा की कहानी आज हजारों युवाओं, खासकर लड़कियों को यह विश्वास दिला रही है कि यदि आपमें जुनून और दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। पैराग्लाइडिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर इस खेल में एक मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
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