इतिहास बोलता है : चूहों ने बचाई थी चंबा के राजकुमार की जान, रानी ने इसी के चलते मूसा वर्मन रखा था बालक का नाम

इतिहास बोलता है : चूहों ने बचाई थी चंबा के राजकुमार की जान, रानी ने इसी के चलते मूसा वर्मन रखा था बालक का नाम
इतिहास बोलता है : चूहों ने बचाई थी चंबा के राजकुमार की जान, रानी ने इसी के चलते मूसा वर्मन रखा था बालक का नाम
विनोद भावुक/ चंबा
पहाड़ के इतिहास के पन्नों में कई कहानियां ऐसी हैं, जो सुनने में लोककथाओं जैसी लगती हैं, लेकिन उनके पीछे छिपी सच्चाई रोमांच से भर देती है। ऐसी ही एक कहानी है चंबा के राजा मूसा वर्मन की।
मूसा वर्मन जब राजकुमार थे तो उनकी जान चूहों ने बचाई गई थी। जे. हचिनसन और जे. फोगल लिखित पुस्तक ‘ए हिस्ट्री ऑफ चंबा स्टेट’ में वर्मन वंश का उल्लेख विस्तार से किया गया है, जिसमें मूसा वर्मन से जुड़ी इस प्रसंग का भी उल्लेख है।
820 ईस्वी के आस-पास की इस घटना का ज़िक्र स्थानीय लोक इतिहास में मिलता रहा है। चंबा के राजा लक्ष्मी वर्मन एक युद्ध में मारे हुए। उस समय मूसा वर्मन एक छोटा बालक था। युद्ध की भीषणता को देखते हुए उसकी रानी ने राजकुमार को एक दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र की एक गुफा में छिपा दिया। कुछ दिनों बाद जब रानी उस गुफा में पहुंची, तो वहां का दृश्य चौंकाने वाला था। राजकुमार के चारों ओर कई चूहे मौजूद थे, जो किसी प्रहरी की तरह उसकी रक्षा कर रहे थे।
रानी ने माना देवी का चमत्कार
रानी ने इस घटना को देवी का चमत्कार माना। रानी का विश्वास था कि चूहों ने ही उसके बेटे की रक्षा की है। चूहे को मूसा भी कहा जाता है, रानी ने इसी घटना के आधार पर अपने बालक का नाम मूसा वर्मन रखा।
इतिहास गवाह है कि मूसा वर्मन बाद में चंबा के शासक बने और पुनः संगठित किया। चंबा रियासत के शासक के तौर पर मूसा वर्मन अपने साहस और नीति के लिए प्रसिद्ध हुए। मूसा वर्मन का चंबा के इतिहास में एक विशेष स्थान है।
वर्मन वंश की कहानी का मौन साक्षी
जनश्रुतियों के मुताबिक यह गुफा भरमौर क्षेत्र में हो सकती है, जो वर्मन राजाओं की पुरानी राजधानी भी मानी जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि भरमौर के स्थानीय बुजुर्ग लोग एक पुरानी गुफा को ‘मूसा गुफा’ या ‘चूहे वाली गुफा’ के नाम से जानते थे। यह गुफा वर्मन वंश की कहानी का मौन साक्षी है।
सच में अगर मूसा गुफा का वजूद है, तो नौवीं सदी की गुफा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस गुफा से संबंधित लोककथाओं, ऐतिहासिक तथ्यों और स्थानीय मान्यताओं का संकलन किया जाना चाहिए। स्थानीय समुदायों और सांस्कृतिक संगठनों से भी इस संबंध में जानकारी जुटाई जानी चाहिए।
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Jyoti maurya

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