Holly City : कुल्लू रियासत में चलते थे चांदी के सिक्के
पौमिला ठाकुर/ कुल्लू
पार्वती नदी के तट पर बसी कुल्लू की मणिकर्ण घाटी कभी चांदी उत्पादन के लिए लाहौर तक मशहूर थी। जे. कैलवर्ट ने मणिकर्ण को Holly City (होली-सिटी) कहा है और इस घाटी में विद्यमान चांदी की खानों का वर्णन किया है।
जे. कैलवर्ट ने अपनी पुस्तक ‘ कुल्लू एंड द सिलवर कंट्री ऑफ वाजीर्स’ में इस घाटी में चांदी की अनेक खानों का उल्लेख किया है। इनमें से अधिकतर सिक्खों के आक्रमण के समय बंद करवा दी गई थीं।
Holly City में मणिकर्ण से आगे उचच नामक स्थान में एक चांदी की गुफानुमा खान है। कैलवर्ट ने इस खान के उत्पादन का साल 1863 में लाहौर संग्रहालय में प्रदर्शन का उल्लेख किया है।
कैलवर्ट ने शमशी के पास दरिया के पानी से सोना एकत्रित करने के धंधे का भी जिक्र किया है। कैलवर्ट ने इस सोने को पंद्रह रुपए प्रति तोला बेचे जाने का उल्लेख किया है, जो उसके अनुसार महंगा था।
हामटा में मिलीं दुर्लभ मणियां
मणिकर्ण को Holly City बताने वाले कैलवर्ट की बजौरा से आगे कब्र है। कैलवर्ट के विषय में लोगों में यह धारणा है कि उसने चांदी बनाने का बहुत प्रयास किया।
चांदी सोने से भी महंगी पड़ी और इसी प्रयत्न में वह अपनी सारी पूंजी लुटा बैठा। हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व सचिव एवं प्रतिष्ठित लेखक सुदर्शन वशिष्ठ अपनी पुस्तक ‘हिमालय गाथा : देव परंपरा’ में लिखते हैं कि चांदी बनाने में पूंजी लुटाने की पुष्टि कैलवर्ट की पुस्तक से नहीं होती।
केवल सोने, चांदी व अन्य धातुओं की खानों के अन्वेषण का उल्लेख है। अलबत्ता उसे हामटा में दुर्लभ मणियां मिलीं। वे लिखते हैं कि खनिज पदार्थों के अन्वेषण से संबद्ध होने के कारण संभवतः लोगों में यह भ्रांति जागी हो कि वह यहां सोना चांदी बनाने के चक्कर में ही आया होगा।
जला दिया चांदी बनाने का फॉर्मूला
Holly City के बारे में ऐसा कहा जाता है, चांदी बनाने का फॉर्मूला जरी के पास बगियांदा के कायस्थों के पास था। वही चांदी बनाया करते थे।
किंवदंती है कि एक बार राजा के मन में आया कि क्यों न वह कायस्थ परिवार से चांदी बनाने का फॉर्मूला हथिया ले और स्वयं ही चांदी बनवाए। इस उद्देश्य से उसने कायस्थ बुजुर्गों को तंग किया।
क्रोध में आकर बुजुर्गों ने फॉर्मूला ही जला दिया। फॉर्मूला नष्ट हो जाने के बाद भी चांदी बनाने का प्रयास हुआ, लेकिन लागत में बढोतरी और गुणवता सही न होने के कारण सफल नहीं हुआ।
Holly City : रघुनाथ मंदिर में चढ़ी थी चांदी की चादर
सुदर्शन वशिष्ठ लिखते हैं कि कहा जाता है रघुनाथ मंदिर में एक चांदी की चादर चढ़ाई गई थी। मंदिर के प्रांगण में पत्थरों पर भी चांदी चढ़ी थी।
एक हस्तलिखित पांडुलिपि में उल्लेख है कि राजा प्रीतम सिंह (1767-1806) ने अपने राज्य में चांदी के सिक्के चलाए। जब कोष में चांदी समाप्त हो गई तो मंदिर की चादर लेकर सिक्के बनाए गए।
जिस व्यक्ति के पास ये सिक्के जाते थे, वह इन्हें वापस नहीं करता था। ऐसा कहा जाता है, बंजार में चैहणी के एक सुनार के पास ये सिक्के उपलब्ध थे। Holly City में चांदी बनाने वाले इस कायस्थ परिवार के वंशज अब भी भुंतर में विद्यमान बताए जाते हैं।
हर लोककथा में कीमती पत्थरों का जिक्र
Holly City से संबन्धित कई प्रसंग सुनाये जाते हैं। कैलाशवासी शंकर की पार्वती की मणि खो जाने और पुनः मिलने के कारण इस स्थान को मणिकर्ण नाम मिला।
शिव-पार्वती एक बार घूमते-घूमते किन्नर कैलाश से यहां आ निकले। स्थान रमणीक था, अतः रुक गए। देवी पार्वती के कान की मणि खो गई। उन्होंने भोले शंकर से मणि खोजने का अनुरोध किया।
बहुत खोजने पर भी जब मणि न मिली तो शंकर कुपित हो उठे। इस कथा में शेषनाग द्वारा मणि चुराने आदि से संबंधित दो-तीन रूपांतर प्रचलित हैं, परंतु कथा मुख्यतः शिव-पार्वती से ही जुड़ी हुई है।
‘मणिकर्ण माहात्म्य’ में मणिकर्ण की कथा पार्वती की यहां मणि खोने और शिव के कुपित होने पर नदी से ढेरों मणियां निकलने की कथा है। Holly City मणिकर्ण के पास टिपरी के ब्राह्मण की कथा है, जिसमें कुल्लू में रघुनाथ की मूर्ति आने की चर्चा है।
इस कथा में भी राजा मणिकर्ण की ओर जा रहा था, जब उसने ब्राह्मण से मोती लेने. चाहे थे। मणिकर्ण से राजा की वापसी पर ब्राह्मण के जिंदा जल जाने का हादसा हो गया।
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