IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा जो जिंदगी के आखिरी लम्हों 95 साल तक साहित्य सृजन में जुटे रहे

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा जो जिंदगी के आखिरी लम्हों 95 साल तक साहित्य सृजन में जुटे रहे
विनोद भावुक / शिमला 
IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा ज़िंदगी के आखिरी लम्हों में भी साहित्य  सृजन में जुटे रहे। 95 साल की उम्र में इस नश्वर संसार को छोडने वाले IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा अपने पांचवें उपन्यास ‘एक अंगूठी तीन हाथ’ को रचने में जुटे थे। उनकी पहली कहानी अंग्रेजी में ‘व्हेन आई वाज़ ए प्रिंस’ आजादी से पहले वर्ष 1946 में महेंद्र कॉलेज, पटियाला की पत्रिका में प्रकाशित हुई। उनके ‘दो गीत’ और कहानी ‘जोगिन’ भी इसी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। चार उपन्यास, लघु कथाओं के दो संकलन, चार नाटक, चार काव्य संग्रह और बाल साहित्य के इस सर्जक के ‘बर्फ की राख’ और ‘परग्रही’ उपन्यास खूब चर्चा में रहे हैं। नाटक संग्रह ‘कथा अंत की ओर’ और कहानी संग्रह ‘पगध्वनियां’, ‘कैक्टस के फूल’, काव्य संग्रह ‘निर्जीव चांदनी’ व ‘एक स्वरता’ के रचियता के साहित्यकर्म पर पीएचडी व एमफिल भी हुई है। IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा ने आईएएस द्वारा आईएएस के लिए द्विभाषी पत्रिका ‘गार्जियन’ का  भी संपादन किया।

विरासत में मिला पढ़ने- लिखने का हुनर

शिमला के पूर्व IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा जो जिंदगी के आखिरी लम्हों तक साहित्य सृजन में जुटे रहे.।

कुसुम्प्टी और छोटा शिमला के बीच एक पॉश इलाके में स्थित ‘टकसाल हाउस’ में रहने वाले  IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा उन थोड़े से साहित्यकारों में शामिल थे, जो आज भी अपनी किताबें हाथ से लिखते थे  और कंप्यूटर उनके लिए अजनबी  रहा । रमेश चंद्र शर्मा के परदादा कविता कहते थे और पिता जी को भी शायरी पढ़ने का शौक था। उनके इंजीनियर बेटे चेतन का भी एक नाटक आकाशवाणी से प्रसारित हुआ है और पोती भी साहित्य में रुचि रखती है।

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा ने की नौकरी के दौरान पढ़ाई

कुसुम्प्टी और छोटा शिमला के बीच एक पॉश इलाके में स्थित 'टकसाल हाउस' में रहने वाले  IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा उन थोड़े से साहित्यकारों में शामिल थे, जो आज भी अपनी किताबें हाथ से लिखते थे  और कंप्यूटर उनके लिए अजनबी  रहा ।

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा   का जन्म 21 मार्च 1929 को सोलन जिले के अंतिम गाँव टकसाल में वैद्य महेश चंद्र शर्मा और भगवंती के घर हुआ। उन्होंने कालका से मैट्रिक, पटियाला से स्नातक और शिमला से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर किया। वह एलएलबी करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून संकाय में शामिल हुए थे, लेकिन कारणवश कानून की पढ़ाई पूरी नहीं कर सके। बाद में सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की । हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में उपायुक्त रहने के अलावा उन्होंने कई महत्वपूर्ण दायित्व निभाए। वे वर्ष 1987 में प्रशासनिक सेवा से मुक्त हुए । 21 सितंबर 2023 को 95 साल की उम्र में उनका निधन हुआ।

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा को सृजन के लिए मिले सम्मान

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा को हिमाचल प्रदेश भाषा, कला, एवं संस्कृति अकादमी ने साल 1983 में उनके उपन्यास ‘बर्फ की राख’ के लिए अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। हिमाचल प्रदेश संस्कृति एवं भाषा विभाग ने साल 1997 में उनके ‘पांचाली’ उपन्यास के लिये ‘श्री चन्द्रधर गुलेरी राज्य सम्मान’ दिया । रमेश चंद्र शर्मा कहते थे,  ‘मैं खुद नहीं लिखता। यह एक अज्ञात शक्ति है जो मुझे लिखने के लिए प्रेरित करती है।’

हिमाचल को दिया बचत भवन का आइडिया

IAS Officer रमेश चंद्र शर्मा ने साल 1952 में हिमाचल प्रदेश में नायब तहसीलदार के रूप में अपना प्रशासनिक करियर शुरू किया और 1973 में आईएएस में पदोन्नत हुए। वह साल 1977 से साल 1980 तक किन्नौर के उपायुक्त रहे। वह बचत भवन का विचार देने वाले पहले व्यक्ति थे। साल 1979 में किन्नौर में प्रथम बचत भवन का निर्माण कराकर राज्य को दिया। यह भवन जिले में की गई छोटी बचत से प्राप्त पुरस्कार राशि से बनाया गया। आज, हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एक बचत भवन है।

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