जसवां रियासत के वारिस, चंबा रियासत के दामाद इंदर सिंह ने पुलिस अफसर और विधायक के की भूमिका में किया कमाल

जसवां रियासत के वारिस, चंबा रियासत के दामाद इंदर सिंह ने पुलिस अफसर और विधायक के की भूमिका में किया कमाल
जसवां रियासत के वारिस, चंबा रियासत के दामाद इंदर सिंह ने पुलिस अफसर और विधायक के की भूमिका में किया कमाल
हिमाचल बिजनेस। चंबा
यह कहानी सिर्फ राजनीति या पुलिस की नहीं है। अनुशासन, ईमानदारी और निडरता की खूबियों वाले एक पुलिस अधिकारी ने पहले सिस्टम को मजबूत किया और फिर एक नेता के तौर पर नतीजों की परवाह किए जनता के मुद्दों को लेकर मुखर आवाज़ उठाई। बेशक उनके पद और कद बदलते रहे, पर मूल्यों की डोर कभी नहीं टूटी।
जसवां रियासत की शाही वंश परंपरा से निकले इंदर सिंह ने पहले पुलिस की वर्दी पहनकर अपराध पर लगाम लगाई और फिर विधानसभा में जाकर राजनीति को नया आयाम दिया।
पुलिस अधिकारी से लेकर विधायक तक पहुँचने का उनका सफ़र बेहद रोचक रहा।
फिल्लौर से पुलिस ट्रेनिंग, भटियात से विधायक
इंदर सिंह पुलिस ट्रेनिंग स्कूल फिल्लौर से प्रशिक्षित पहले गजटेड अफसर थे, जिन्होंने चंबा रियासत में पुलिस प्रमुख बने और पुलिस व्यवस्था को पंजाब पुलिस रूल्स के हिसाब से ढाला।
1958 में मेरिटोरियस सेर्विसेस के लिए पुलिस मेडल मिला।
वे 1960 से 1965 तक हिमाचल प्रदेश पुलिस के आईजी रहे। पुलिस अफसर के तौर पर हमेशा उनकी सेवाओं की तारीफ हुई। पुलिस के रास्ते प्रदेश की सियासत में एंट्री मारने वाले इंदर सिंह ने अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में मजबूत विरोधी को हराकर अपनी जमीनी ताकत का एहसास करवाया।
परमार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव
इंदर सिंह 1967 में जनसंघ के टिकट पर भटियात विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। उसी साल गैर-कांग्रेसी विधायकों के क्षेत्रों के साथ भेदभाव और किसानों की बिगड़ती हालत के चलते विधानसभा में डॉ वाई एस परमार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले गिने-चुने विधायकों में शामिल रहे।
अविश्वास प्रस्ताव गिर गया, लेकिन इंदर सिंह की निडर आवाज़ सबको याद रही। अपने विधानसभा क्षेत्र के मुद्दों को लेकर वे सड़क और सदन दोनों जगह हमेशा मुखर रहे।
चंबा राजघराने के दामाद
इंदर सिंह का विवाह चंबा राजघराने की राज कुमारी उत्तम देवी से हुआ और एक बेटे और चार बेटियों के पिता बने। उनकी बेटी नेहरू कुमारी का विवाह सिरमौर के शाही परिवार में हुआ।
83 साल की उम्र में साल 1993 में इंदर सिंह सिंह का देहांत हो गया।
बेशक इंदर सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन पुलिस अफसर और विधायक दोनों पारियों में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए वे हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
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Jyoti maurya

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