प्रेरक कहानी : लंदन की नर्स ने समझा काजा के लोगों का दर्द, बर्फीले रेगिस्तान में अस्पताल बनाकर पेश की मानवता की मिसाल

प्रेरक कहानी : लंदन की नर्स ने समझा काजा के लोगों का दर्द, बर्फीले रेगिस्तान में अस्पताल बनाकर पेश की मानवता की मिसाल
विनोद भावुक/ काजा
लंदन की नर्स जॉन पोलक ने एक साधारण टूरिस्ट ट्रिप को मानवता सेवा में बदल दिया। साल 1992 में वे अपने बेटे के साथ मनाली भ्रमण पर थीं, जहां उनके बेटे ने लेडी विलिंगटन अस्पताल में इलेक्टिव ट्रेनिंग की थी। इसी दौरान, अस्पताल की डॉक्टर ने उन्हें स्पीति घाटी की मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को एक स्लाइड शो के माध्यम से अवगत कराया। तब से उनकी ज़िंदगी में काजा में अस्पताल बनाने के मिशन की नई दिशा की शुरुआत हुई।
रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी की फैलो और एक प्रशिक्षित नर्स जॉन पोलक ने स्लाइड शो देख लोगों की तकलीफ़ को समझा और उसे दूर करने का प्रण लिया। उन्होंने स्पीति परियोजना (Spiti Projects) नामक संस्था की स्थापना की, जिसके तहत काजा में एक मिशन अस्पताल, माने गांव में स्कूल, क्लिनिक और 2015 में सोलर चालित कम्युनिटी सेंटर बनाया गया।
ऐसे बन कर तैयार हुआ अस्पताल
अब उस अस्पताल में चार बेड वाली इमरजेंसी-केयर वार्ड, फार्मेसी, एक्स-रे और ऑपरेशन थिएटर की सुविधा मौजूद है। यहां पोस्ट-ऑपरेटिव पेशन्ट्स का भी ध्यान रखा जाता है। इस तरह बर्फीले रेगिस्तान में स्वास्थ्य सेवा की एक स्थायी लौ जलाई जा चुकी है।
वादान साबित हो रहा अस्पताल
यह कहानी मात्र भवन निर्माण की नहीं, बल्कि एक आदर्श की प्रेरणा है। जब किसी के दिल में दूसरों के लिए सच्ची संवेदना हो, तो कोई दूरी, कोई बाधा, कोई मौसम आड़े नहीं आते। लंदन की जॉन पोलक ने साबित किया कि एक नर्स का असली मापदंड सिर्फ चिकित्सीय देखभाल नहीं, बल्कि मानवता के लिए समर्पण और स्थायी बदलाव लाने की प्रेरणा भी है। यह अस्पताल अब स्पीति घाटी के लोगों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए वरदान साबित हो रहा है।
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