प्रेरककथा : इंडियन आर्मी की पहली महिला बटालियन कमांडर, सोलन की कर्नल सपना राणा

प्रेरककथा : इंडियन आर्मी की पहली महिला बटालियन कमांडर, सोलन की कर्नल सपना राणा
शिवानी / धर्मशाला
कर्नल सपना राणा की प्रेरककथा भारतीय नारीशक्ति के जीवट का मुंह बोलता प्रमाण है, हर बाधा को पार कर अपने सपनों की उड़ान भरती है। सोलन जिले के छोटे से गांव बढ़लग (भवानीपुर) के साधारण परिवार से संबंध रखने वाली सपना राणा ने इंडियन आर्मी में जाने का सपना देखा। अपने सपने में रंग भरने के लिए दिन- रात एक कर दिए और जिद और जुनून से न केवल अपने लक्ष्य को हासिल किया पर भारतीय सेना में नया रिकॉर्ड भी स्थापित कर दिया। कर्नल सपना राणा पूर्वोत्तर भारत में एएससी बटालियन की कमान संभालने वाली पहली महिला सैन्य अधिकारी है। उन्हें तीन बार चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ और जनरल ओफिसर्स कमांडिंग इन चीफ प्रशस्ति पत्रों से सम्मानित किया गया है।
सैन्य जीवन में निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली सपना राणा सैन्य अधिकारी होने के साथ एक खिलाड़ी, शूटर, पायलट और मैराथन रनर हैं। सपना राणा सेना की शूटिंग टीम की मेम्बर हैं और पिस्टल व ट्रैप शूटिंग में राष्ट्रीय की प्लेयर हैं। वह माइक्रोलाइट विमान उड़ाने में दक्ष हैं और लंबी दूरी की दौड़ में भाग लेती हैं। एक बेटी की मां और सैन्य अफसर पति के साथ वह निजी और पेशेवर जीवन में बेहतरीन संतुलन बनाए हुए हैं।
पढ़ाई से संग घर और खेत का काम
14 दिसंबर 1980 को शिक्षा राजेंद्र ठाकुर और गृहिणी कृष्णा ठाकुर के घर जन्मी सपना का बचपन एक आम ग्रामीण लड़की की तरह बीता। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान कृषि और पशुपालन पृष्ठभूमि वाले परिवार की इस बेटी ने मवेशियों के लिए घास- चारे की व्यवस्था करने से लेकर दूध दुहने, चूल्हे पर खाना पकाने,और खेतों में परिजनों का हाथ बंटाने जैसा हर काम किया।
सपना की पढ़ाई चंडी के स्कूल से शुरू हुई और सोलन से जमा दो की पढ़ाई की। उन्होंने पीजी कॉलेज सोलन से बी.कॉम की की डिग्री लेने के बाद बिजनेस मैनेजमेंट में एमबीए करने के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।
एनसीसी से निकली सेना में जाने की राह
कॉलेज के दिनों से ही सपना ने भारतीय सेना में अफसर बनने का सपना देख लिया था, इसलिए एनसीसी में शामिल हुई। इस दौरान सपना ने 1 एचपी गर्ल्स एनसीसी बटालियन में सीनियर अंडर ऑफिसर के रूप में अपनी खास पहचान बनाई। हिमाचल प्रदेश की एकमात्र एनसीसी कैडेट के रूप में सपना का चयन कारगिल विजय शिविर के लिए हुआ, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी।
एमबीए की पढ़ाई के दौरान सपना ने सीडीएस परीक्षा पास की। साल 2003 में चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी में प्रशिक्षण के लिए चुनी गईं और 2004 में भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान क्रॉस कंट्री और बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
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