किरण भड़ाना : गुर्जर समाज की पहली महिला आइएएस अफसर, दुनिया की सबसे मेहनती कबायली महिलाओं के हुनर की पहचान के लिए शानदार अवसर

किरण भड़ाना : गुर्जर समाज की पहली महिला आइएएस अफसर, दुनिया की सबसे मेहनती कबायली महिलाओं के हुनर की पहचान के लिए शानदार अवसर
संतोष शर्मा/ शिमला
राजस्थान में जिस पारंपरिक रूप से एक कृषक और पशुपालक समुदाय की महिला साक्षरता दर राज्य की औसत महिला साक्षरता दर से कम है, उस गुर्जर समाज की एक युवती सात साल पहले यूपीएससी जैसी जटिल परीक्षा पास कर देश के गुर्जर समाज के लिए यूथ आइकन बन गई थी। गुर्जर समाज की पहली महिला आइएएस किरण भड़ाना इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि क्षेत्रफल के आधार पर प्रदेश के सबसे बड़े और कबायली जिले लाहौल-स्पीति में किसी महिला आइएएस को उपायुक्त नियुक्त किया गया है।
लाहौल स्पीति की अर्थव्यवस्था कृषि और बागवानी पर आधारित है। यह जिला प्राकृतिक, जैविक और औषध कृषिकरण के लिए मशहूर है। पशुपालन, कृषि और बागवानी में कबायली महिलाओं की खास भूमिका है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनिया की सबसे मेहनती महिलाएं इस जिले में पाई गईं हैं।
जानकार मानते हैं कि कृषक और पशुपालक समुदाय से संबंध रखने वाली आइएएस किरण भड़ाना का इस जिले का उपायुक्त नियुक्त होना जिले के लिए वरदान साबित होगा। किरण भड़ाना की गिनती प्रदेश के उन होनहार और दबंग अफसरों में होती है, जो अपने काम के प्रति समर्पित रहते हैं।
तीन बार मिली हार, चौथे प्रयास में चमत्कार
राजस्थान के भरतपुर जिला के बयाना गांव में पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी किरण भडाना का जन्म 27 नवंबर 1990 को हुआ। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई फरीदाबाद में हुई। इसके बाद जयपुर के एमजीडी बोर्डिंग स्कूल से हॉस्टल में रहकर जमा दो की, जहां वह बेस्ट स्टूडेंट रहीं। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन की। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में एमफिल करने के साथ ही किरण भड़ाना ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
पहले तीन प्रयासों में उसके हाथ नाकामी लगी, लेकिन अपनी असफलता से निराश होने के बजाए किरण भड़ाना ने चौथे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर परचम लहरा दिया। किरण भड़ाना ने साल 2012 में पहला प्रयास किया। एक साल के गैप के बाद साल 2014 और साल 2015 में भी उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। किरण भड़ाना ने साल 2016 में चौथे प्रयास में परीक्षा पास कर देश भर में 120वां रैंक हासिल किया। इस कामयाबी के साथ ही वह अपने समाज की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई।
सरकार की आंख- कान बन किया काम
2017 बैच में हिमाचल कैडर की आईएएस अधिकारी किरण भड़ाना साल 2020 में नादौन में एसडीएम रही हैं। वे चंबा जिला के सलूणी में भी एसडीएम रही हैं और शिमला में एडीसी के तौर पर सेवाएं दी हैं। सूचना एवं जन संपर्क विभाग की डायरेक्टर के तौर पर उन्होंने सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी निभाई है। इस विभाग को सरकार की आँख और कान कहा जाता है।
किरण भड़ाना निदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग पद का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुकी हैं और उद्योग विभाग में भी काम किया है। उपायुक्त लाहौल स्पीति में नियुक्ति से पहले किरण भडाना एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और विशेष रूप से सक्षम सशक्तिकरण विभाग में निदेशक थीं।
विधायक पिता की आइएएस बेटी
किरण भड़ाना के पिता अतर सिंह भड़ाना साल 2004 में राजस्थान के भरतपुर से विधायक निर्वाचित हुए थे। उनकी माता कमलेश भड़ाना गृहणी हैं। बेटी के करियर में भड़ाना दंपति ने हर संभव मदद की है। संघर्ष के दिनों में जब भी डगमगया, परिजन बेटी के साथ चट्टान बन खड़े रहे। यही वजह रही कि किरण ने हर बार पहले से कई गुना जोश के साथ अध्ययन किया। अफसर बेटी के लिए उसके अपने परिजन रोल मॉडल हैं।
किरण भड़ाना पिछड़े समाज की उन युवतियों के लिए एक बड़ी मिसाल हैं, जो तमाम चुनौतियां के बीच बड़ा मुकाम हासिल करने के सपने देखती हैं और उनमें दृढ़ निश्चय और अटूट संकल्प से रंग भरती हैं। किरण भड़ाना जानती हैं कि यूपीएससी जैसी परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन कितना जरूरी है। इसी लिए वह जरूरतमंद यूपीएससी एस्पिरेंट्स की मदद करती हैं।
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