Let’s Open a Book : कोलकाता की लड़की, स्पीति में लाइब्रेरी

Let’s Open a Book : कोलकाता की लड़की, स्पीति में लाइब्रेरी

आरती ठाकुर / कुल्लू

Let’s Open a Book की यह प्रेरककथा है पश्चिमी बंगाल के कोलकाता महानगर की एक लड़की की, जिसने अपने गृहनगर से साहित्य में डिग्री के साथ स्नातक करने के बाद दिल्ली से एमबीए किया और फिर कई परामर्श फर्मों के साथ काम किया। सामाज के लिए कुछ लीक से हटकर करने के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए साल 2017 में एक दिन उसने कॉर्पोरेट की दुनिया को छोड़ दिया और स्पीति की राह पकड़ी। रूचि धोना ने समुद्र तल से लगभग 12,500 फुट की ऊंचाई पर बच्चों के लाइब्रेरी Let’s Open a Book की स्थापना की। स्पीति में लाइब्रेरी की शुरुआत साल 2021 में जगह लीज पर लेकर हुई।

Let’s Open a Book ने साबित किया सच

रूचि धोना ने समुद्र तल से लगभग 12,500 फुट की ऊंचाई पर बच्चों के लाइब्रेरी Let's Open a Book की स्थापना की। स्पीति में लाइब्रेरी की शुरुआत साल 2021 में जगह लीज पर लेकर हुई।

रूचि धोना कहती हैं, ‘जब मैंने Let’s Open a Book की शुरुआत की थी, तो ज्यादातर लोग मुझसे कहते थे कि स्पीति में कोई नहीं पढ़ता है और मैं अपना समय बर्बाद कर रही हूं’। लेकिन लाइब्रेरी खुलने के कुछ ही महीनों में ऐसा कहने वाले गलत साबित हो गए।

सरकारी स्कूलों में छोटी लाइब्रेरी

रूचि धोना कहती हैं, ‘जब मैंने Let's Open a Book की शुरुआत की थी, तो ज्यादातर लोग मुझसे कहते थे कि स्पीति में कोई नहीं पढ़ता है और मैं अपना समय बर्बाद कर रही हूं’। लेकिन लाइब्रेरी खुलने के कुछ ही महीनों में ऐसा कहने वाले गलत साबित हो गए।

रूचि धोना के अनुसार इस क्षेत्र के अधिकांश बच्चों के पास किताबों तक पहुंच नहीं है। यहां तक कि स्कूलों में भी नहीं। इसी के चलते सबसे पहले सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता वाले बच्चों के साहित्य को भेजने के लिए एक परियोजना के रूप में शुरू हुआ। क्षेत्र के 60 से ज्यादा स्कूलों में पुस्तकें उपलब्ध करवा कर Let’s Open a Book की जिद को बढ़ाने के लिए छोटे पुस्तकालय स्थापित किए। कोविडकाल में लॉकडाउन के कारण स्कूलों से संपर्क टूटा तो साल भर खुले रहने वाले किताबों के लिए समर्पित एक स्वतंत्र स्थान की योजना बनी और लेट्स ओपन ए बुक’ की स्थापना हुई।

खुद उत्साही पाठक,समझा किताबों का महत्व

क्षेत्र के 60 से ज्यादा स्कूलों में पुस्तकें उपलब्ध करवा कर Let's Open a Book की जिद को बढ़ाने के लिए छोटे पुस्तकालय स्थापित किए।

रूचि धोना खुद एक उत्साही पाठक के रूप में बड़ी हुई हैं। उन्हें विशेष रूप से बच्चों और साहित्य के साथ काम करने में उनकी दिलचस्पी है। रुचि धोना का कहना है कि पढ़ने से उन्हें यह महसूस करने में मदद मिली कि आपके सामने जो प्रस्तुत किया गया है, उसके बाहर भी संभावनाएँ हैं। यदि अधिक बच्चों की पुस्तकों और विचारों तक पहुंच होती है, तो यह एक बड़ा अंतर ला सकता है। रूचि धोना देश भर में लेखकों, चित्रकारों, प्रकाशकों और पार्टनर बुकस्टोर्स के साथ किताबें खरीदने और Let’s Open a Book लाइब्रेरी के लिए विविध संग्रह तैयार करने के लिए काम करती हैं।

क्राउडफंडिंग से हो रहा लाइब्रेरी का संचालन

रूचि धोना देश भर में लेखकों, चित्रकारों, प्रकाशकों और पार्टनर बुकस्टोर्स के साथ किताबें खरीदने और Let's Open a Book लाइब्रेरी के लिए विविध संग्रह तैयार करने के लिए काम करती हैं।

Let’s Open a Book लाइब्रेरी का संचालन बड़े पैमाने पर क्राउडफंडिंग से हो रहा है और रूचि धोना वर्तमान में अधिक धन जुटाने के लिए अभियान चल रही हैं। वे आधा साल घाटी में और आधा साल ऑफ-फील्ड अनुसंधान और खरीद के लिए बिताती हैं। वे अपना समय स्पीति और दिल्ली के बीच बांटती थीं, लेकिन धीमी घाटी के जीवन और व्यस्त शहर के जीवन के बीच बदलाव बहुत ही विचलित करने वाला था। अब उन्होंने अपना आधार धर्मशाला में स्थानांतरित कर लिया है।

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