‘Lost in the Valley of Death’ : कहानी उस पार्वती घाटी की, जहां लोग खो जाते हैं और पीछे सवाल छोड़ जाते हैं
‘Lost in the Valley of Death’ : कहानी उस पार्वती घाटी की, जहां लोग खो जाते हैं और पीछे सवाल छोड़ जाते हैं
विनोद भावुक। मनाली
कुल्लू की पार्वती घाटी, जितनी खूबसूरत है, उतनी ही रहस्यमयी भी। पिछले तीन दशकों में यहां सैकड़ों विदेशी हाइकर्स बिना कोई सुराग छोड़े गायब हो चुके हैं। यही वजह है कि यह इलाका अब दुनिया भर के यात्रियों के बीच “Backpackers’ Bermuda Triangle” के नाम से जाना जाता है।
कनाडाई लेखक हार्ले रुस्टैड की चर्चित किताब ‘Lost in the Valley of Death’ इसी रहस्य की पड़ताल करती है। यह सच्ची कहानी है अमेरिकी एडवेंचरर जस्टिन अलेक्जेंडर शेटलर की, जो सितंबर 2016 में खीरगंगा से आगे मानतलाई झील की यात्रा पर निकलने के बाद कभी लौटे नहीं।
कॉरपोरेट दुनिया छोड़कर साधक बने थे जस्टिन
जस्टिन ने कॉरपोरेट दुनिया छोड़कर साधक बनने की राह चुनी थी। उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल पर इंडोनेशिया, नेपाल, और फिर भारत की पहाड़ियों तक हजारों किलोमीटर का सफर तय किया। पार्वती घाटी में वह कई हफ्ते गुफाओं में ध्यान करते रहे।
एक साधु के साथ ध्यान यात्रा पर जाने के बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला। लेखक रुस्टैड ने वर्षों तक घाटी के रहस्यों को समझने की कोशिश की। स्थानीयों से बात की, ट्रेक किया और उस दुनिया में उतरने की कोशिश की, जहां जस्टिन के फॉलोअर्स अब भी मानते हैं कि वह जिंदा हैं।
आखिरी पोस्ट, मुझे तलाशने की कोशिश मत करना
यह किताब सिर्फ एक लापता यात्री की कहानी नहीं। यह सवाल है इंसान के भीतर की ‘खोज’ का, उस सीमा का जहां आध्यात्मिकता, जोखिम और अकेलापन एक-दूसरे में घुल जाते हैं। जस्टिन की आखिरी पोस्ट में लिखा था — ‘Going into the wild… If I don’t come back, don’t look for me.’
यह इलाका अपने प्राकृतिक सौंदर्य, हैश उत्पादन और रहस्यमयी गुफाओं के लिए जाना जाता है। पार्वती घाटी में पिछले 30 वर्षों में 20 से अधिक विदेशी हाइकर्स लापता हुए हैं।यह कहानी सिर्फ एक लापता यात्री की नहीं, बल्कि उस रहस्यमय घाटी की है, जहां हर मोड़ पर एक सवाल छिपा है।
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