Love Story : गद्दन के हुस्न पर मोहित हुए महाराजा संसारचंद

Love Story : गद्दन के हुस्न पर मोहित हुए महाराजा संसारचंद

विनोद भावुक/ धर्मशाला 

Love Story : महाराजा संसार चंद कला प्रेमी  थे। गीत के, नृत्य के और सबसे अधिक चित्र कला जगत में उनका नाम कांगड़ा शैली के संरक्षकों व संवर्धकों में लिया जाता है। इस Love Story के मुताबिक राजा एक बार आखेट के लिए पहाड़ी वादियों में गए, धौलाधार की उपत्यका में। वसंत ऋतु का अंतिम चरण था, प्रकृति बर्फ के प्रभाव से मुक्त हो अपनी हरीतिमा में फूल खिला रही थी। राजा ने कोई सुंदर सा झरना देख शिविर पास में ही लगवाया।  वहीं कोई पहाड़ी गांव था-बंदला।  वहां उन्होंने एक पहाड़ी गद्दन को देखा,जो झरने पर पानी लेने आई थी। कंबल के ऊनी वेश पर कमर में काले रंग की रस्सी का कमरबंद लगाए, जंगली बीजों के मनके की माला पहने,वह वनवासिनी वनदेवी सी लगती थी, कलश लिए वह नोखू थी।

अप्रतिम सुंदरी थी नोखू

Love Story : महाराजा संसार चंद कला प्रेमी  थे। गीत के, नृत्य के और सबसे अधिक चित्र कला जगत में उनका नाम कांगड़ा शैली के संरक्षकों व संवर्धकों में लिया जाता है।

Love Story के मुताबिक नोखू इतनी अप्रतिम सुंदरी थी कि राजा ने सोचा कि वह कोई अप्सरा है या परी। राजा उसके सरल सौंदर्य को देख मंत्रमुग्ध हो गए।  चित्रों के चितेरे रहे राजा को इस जीवंत छवि ने उन्हें स्वयं चित्रित कर स्तंभित कर दिया था।  उन्होंने उससे उसका परिचय पूछा, तो वह हंसकर बोली कि वह तो एक साधारण गद्दन है, भेड़ चराने वाली, यायावर जीवन बिताने वाली। उसने सामने झोपड़ी भी दिखाई,जहां वह अभी अपने परिवार के साथ रहा करती थी।

Love Story : धन्ना से प्यार करती थी नोखू

Love Story : नोखू इतनी अप्रतिम सुंदरी थी कि राजा ने सोचा कि वह कोई अप्सरा है या परी। राजा उसके सरल सौंदर्य को देख मंत्रमुग्ध हो गए।

Love Story के अनुसार मंत्रमुग्ध हुए राजा ने उसे अपनी रानी बनाने का प्रस्ताव दिया, नोखू स्तब्ध रह गई। उसकी अपनी एक Love Story थी। वह किसी अन्य गद्दी से प्यार करती थी,जिसका नाम था-धन्ना।  वह पास के ही कंडी गांव का रहने वाला था। वह उसके प्यार के गीत गाता, उसके पशुओं को चराता, दूर देश की कहानियां सुनाता।  नोखू ने राजा को बिना भय के बता दिया कि वह केवल धन्ना से प्यार करती है।  वही उसके सहचर हो सकता है। पर राजा तो राजा थे, तरकश में कई तीर रखने वाले, भय के, लोभ के, मोह के। उन्होंने बहुत प्रलोभन दिए कि वह रानी बनकर राज करेगी, सोलह श्रृंगार करेगी, बत्तीस आवरणों में रहेगी, छप्पन भोग पाएगी, सैकड़ों की सेवा पाएगी, परंतु नोखू ने यह स्वीकार नहीं किया।

राजहठ के कारण बनाना पड़ा रानी

Love Story : मंत्रमुग्ध हुए राजा ने उसे अपनी रानी बनाने का प्रस्ताव दिया, नोखू स्तब्ध रह गई। वह किसी अन्य गद्दी से प्यार करती थी,जिसका नाम था-धन्ना। 

 राजहठ त्रियाहठ से ऊपर होता है। इस Love Story के अंत में उसी राजहठ के कारण उसे राजा की रानी बनना पड़ा। वह राजा की रानी बनकर उनकी राजधानी सुजानपुर चली गई। पर वह कभी अपनी पुरानी दुनिया नहीं भूली, न ही अपने प्रेमी धन्ना को। धन्ना का फिर कुछ पता न चला, कहते हैं कि राजा ने धन्ना को कुछ धन देकर मौन कर दिया। धन्ना के पास कोई विकल्प भी न था।

नोखू को नाम दिया गुलाब

इस Love Story  में इसलिए अड़चनें थीं कि राजा के पहले से तीन और रानियां थीं-सुकेत से, सिरमौर से और बड़ा भंगाल  से। उसे रानी का प्यार दिया,नादौन की जागीर भी दी, उसका नाम नोखू से बदल कर गुलाब भी कर दिया, पर सब उसे रानी गुलाब की बजाय गुलाब दासी के रूप में ही पुकारते रहे। वह स्वयं को कभी रानी के नाम से जाने जाना पसंद नहीं करती थी।  राजा संसारचंद्र प्रौढ़ावस्था में तीन महारानियों व इस नोखू को भी भूल नर्तकी जमालो से प्रेम कर बैठे। राजा उसके साथ नादौन के महल में अंतिम समय का बहुत सा हिस्सा भी बिताया, पर नोखू के अंतिम समय का पता नहीं चलता।

लोकगीतों में दोहराई जाती है कहानी

इस Love Story का दुखांत देखिये। राजा अनेक रानियों में बंटे हुए थे। गद्दन होने पर नोखू को कोई सम्मान नहीं देता था। वह प्रायः अपनी खिड़की से दूर क्षितिज को निहारती मिलती, जहां उसे यकीन था कि उन्हीं पहाड़ियों में कहीं धन्ना अपनी भेड़ें लिए विचर रहा होगा। उसके लिए गीत गाता, उसको ही याद करता, उसको ही भुलाता। राजा संसारचंद्र को चित्रकला की कांगड़ा शैली के संरक्षकों व संवर्धकों में परिगणित किया जाता है। नोखू से उनको एक पुत्र भी हुआ था-जोधवीर। राजा संसारचंद्र के जीवन अंतिम हिस्सा इतिहासकार सुखद नहीं बताते। हिमाचल में नोखू से उनके Love Story (प्रेम की कहानी) राजा-गद्दन के नाम से प्रसिद्ध है, जो आज भी लोकगीतों में दोहराई जाती है।

इस विषय से संबन्धित अन्य खबरें – 

  1. Kangra Fort : अभिमन्यु को फंसाने वाला कांगड़ा का राजा सुशर्मा
  2. Royal Story :   एक सिरा, कांगड़ा, मंडी और कपूरथला से जुड़ा है तो दूसरायूरोप और अमेरिका से, फ्रांस और ब्राजील का भी कनेक्शन
  3. Kangra अपने दोस्त राजा बाणबट के सहयोग के लिए कांगड़ा आया था रावण, समेला गांव में हुआ था दोनों राजाओं का सम्मेलन
  4. Maharaja Ranjit Singh शादी खातिर जीता किला

 

 

himachalbusiness1101

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *