एम लकहार्ड एंड संस : शिमला के जर्मन स्टुडियो के कैमरे की क्लिक के फैन थे अंग्रेज़
एम लकहार्ड एंड संस : शिमला के जर्मन स्टुडियो के कैमरे की क्लिक के फैन थे अंग्रेज़
विनोद भावुक। शिमला
ब्रिटिश दौर का शिमला सिर्फ़ अंग्रेज़ हाकिमों की गर्मियों की राजधानी नहीं था। यह यूरोपियन कला, फैशन और फोटोग्राफी का भी बड़ा केंद्र था। फोटोग्राफी की शिमला की दुनिया में चमकता था नाम एम लकहार्ड एंड संस। उस जर्मन परिवार ने शिमला को पहली बार स्टूडियो फ़ोटोग्राफी का असली एहसास करवाया।
ब्रिटिश ओफिसर्स जिन्हें ‘साहब’ लोग कहते थे, उनमें यह प्रचलित था कि शिमला आए और लकहार्ड में फ़ोटो न खिंचवाया, ऐसा हो ही नहीं सकता था। मॉल रोड पर स्थित उनका स्टूडियो ब्रिटिश अफसरों, आईसीएस अधिकारियों, मेमसाहिबों और उनके परिवारों के लिए खास जगह थी।
कैमरे की खासियत
खूबसूरत हिल बैकड्रॉप्स, प्राकृतिक रोशनी का बेहतरीन इस्तेमाल और क्लासिक पोट्रेट इफेक्ट लकहार्ड के कैमरे की खासियत थी। आज भी आर्काइव में उनकी फोटो देखकर हैरानी होती है। लकहार्ड एंड संस का स्टूडियो उस दौर की सोशल लाइफ का साइलेंट क्रॉनिकलर बन गया था।
अन्नाडेल की पार्टियाँ, रिज की परेड, जाखू के सनडे वाक, इन सबके फोटो आज भी इतिहास की सबसे भरोसेमंद खिड़कियां हैं। इस स्टुडियो से ब्रिटिश अधिकारी अपने परिवार की यादें, ड्रेस्ड यूनिफॉर्म फोटो और फेयरवेल पार्टी की फोटोग्राफी भी करवाते थे।
संरक्षित हैं कई तस्वीरें
लकहार्ड एंड संस की खींची तस्वीरें आज भी सुरक्षित हैं। उनके बेशकीमती फ़ोटोग्राफ हिमाचल प्रदेश स्टेट म्यूजियम शिमला की विजुअल आर्काइव और ब्रिटिश लाइब्रेरी की फोटो कलेक्शन में बहुमूल्य विरासत के रूप में संरक्षित हैं। इस तस्वीरों के बहाने ब्रिटिश राज के दौर के उस शिमला की कई यादें संरक्षित हैं।
बेशक अब तस्वीरों को खींचने का काम मोबाइल के जिम्मे आ गया हो और सैल्फी कल्चर ज़ोर पकड़ चुका हो, लेकिन एक जमाने में तस्वीर खिंचवाने के लिए स्टुडियो का रुख करना पड़ता था और शिमला में लकहार्ड एंड संस का स्टुडियो अपने शानदार काम के लिए मशहूर था।
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