सर्दियों में मनाली, गर्मियों में हॉलैंड, अस्सी के दशक में कुल्लू में हुई अंतर्राष्ट्रीय मेरिज की सफल स्टोरी
सर्दियों में मनाली, गर्मियों में हॉलैंड, अस्सी के दशक में कुल्लू में हुई अंतर्राष्ट्रीय मेरिज की सफल स्टोरी
विनोद भावुक। मनाली
कहते हैं, पहाड़ किसी को बुलाते नहीं, लेकिन जिसे बुला लें, उसे फिर जाने नहीं देते। 1975 में पहली बार मनाली आए हॉ़लैंड (नीदरलैंड) के एरिक कुइटर्ट का मन, तन, जीवन 80 के दशक के आते–आते यहाँ की मिट्टी में रच–बस गया। लोक संस्कृति और स्थानीय बोली उनकी जुबां पर आने लगी। उनके जीवन को मानों अर्थ मिल गया हो।
एरिक स्थानीय युवती से शादी कर यहीं गृहस्थी बसाई और नासोगी गांव में घर बनाया। 11 साल तक यहीं रहे और दो बच्चों के पिता बने। फिर वे परिवार संग हॉ़लैंड चले गए। 2022 में रिटायर होने के बाद से वे परिवार संग सर्दियों में मनाली और गर्मियों में हॉ़लैंड होते हैं। यह है अस्सी के दशक में मनाली में हुई अंतर्राष्ट्रीय मेरिज की सफल स्टोरी।
छोटा, शांत, लकड़ी के घरों वाला गांव
70 के दशक का मनाली एक छोटा, शांत, लकड़ी के घरों वाला गांव था, जहां समय ठहर-सा जाता था। हॉ़लैंड (नीदरलैंड) के एरिक कुइटर्ट का दिल पहली बार 1975 में मनाली की वादियों में आया और फिर हमेशा के लिए यहीं का होकर रह गया।
एरिक मनाली के पास डुंगरी फ़ॉरेस्ट में घूमने निकले। हवा में देवदार की ख़ुशबू, पहाड़ों की ख़ामोशी और स्थानीय लोगों की गर्मजोशी ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि यह यात्रा उनके जीवन का सबसे बड़ा मोड़ बन गई।
मनाली में शादी के बंधन में बंधा विदेशी
80 के दशक में एरिक कुइटर्ट दोबारा हिमाचल लौटे। इस बार वे केवल तफरीह करने नहीं आए थे, न ही वे लौटकर जाने के लिए नहीं आए थे। मनाली के एक स्थानीय परिवार से उनका गहरा रिश्ता बना और वे मनाली की एक लड़की से विवाह बंधन में बंध गए।
उन्होंने मनाली के पास नासोगी गांव में घर बनाया और 11 साल तक वहीं रहकर दो खूबसूरत बच्चों के पिता बने। अब पहाड़ सिर्फ उनके लिए सिर्फ घूमने की जगह नहीं, बल्कि उनका घर बन गया। वे स्थानीय लोक संस्कृति के रंगों में गहरे रंग गए।
हॉलैंड और मनाली का रिश्ता
लंबे समय तक मनाली में रहने के बाद एरिक कुइटर्ट और उनका परिवार हॉलैंड चले गए, लेकिन पहाड़ों से उनका रिश्ता कभी टूटा नहीं। वे हर दूसरे साल अपने परिवार सहित अपनी पत्नी के परिवार से मिलने मनाली आते रहे।
2022 में रिटायरमेंट के बाद वे फिर मनाली पहुंचे। उन्होंने नासोगी वाले अपने घर की मरम्मत करवाई। अब उनकी सर्दियां मनाली में और गर्मियां हॉलैंड में बीतती हैं। ताकि दोनों जगह अपनों के साथ बराबर समय बिता सकें।
दिलों की जोड़ने वाली संस्कृति
एरिक की कहानी मनाली की उन अनगिनत कहानियों में से है, जहाँ विदेश से आए लोग यहाँ की लोक संस्कृति, लोगों और प्रकृति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने ताउम्र इसी घाटी में रहने का फ़ैसला कर लिया।
देवभूमि हिमाचल प्रदेश की धरती हमेशा से दिलों को जोड़ने की ताकत रखती है। हॉ़लैंड के एरिक कुइटर्ट इसका सबसे सुंदर उदाहरण हैं। एरिक के लिए मनाली उनका दूसरा घर है और इस घर से उनको खास चाहत है।
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