‘मैं कविए दी लाड़ी’ जैसी कालजयी कविता के कवि अशोक ‘दर्द’ की लिखी कई लघुकथाओं और कविताओं का पंजाबी, मराठी व बांग्ला में हुआ है अनुवाद
‘मैं कविए दी लाड़ी’ जैसी कालजयी कविता के कवि अशोक ‘दर्द’ की लिखी कई लघुकथाओं और कविताओं का पंजाबी, मराठी व बांग्ला में हुआ है अनुवाद
विनोद भावुक/ चंबा
चंबा जिला की डलहौजी तहसील के शेरपुर गांव के सेवानिवृत हिन्दी शिक्षक अशोक ‘दर्द’ की हिमाचली पहाड़ी की व्यंग्य रचना, ‘मैं कविए दी लाड़ी’ का अपना ही जलवा है। हर साहित्य आयोजन में उनके चाहने वाले उनकी इस कालजयी रचना को सुनने की जिद करते हैं।
उनकी लिखी कई लघुकथाओं और कविताओं का पंजाबी, मराठी और बांग्ला में हुआ अनुवाद हुआ है। तीस संकलनों में उनकी कविताएं लघुकथाएं, कहानियां और लोक कथाएं संकलित हैं। उन्होंने कई कैसेट्स में हिमाचली गीत व भजन लिखे हैं।
अध्यापन के साथ सृजन पर फोकस
माता रोशनी और पिता भगत राम के घर पैदा हुए अशोक ‘दर्द’ ने शास्त्री, प्रभाकर, जेबीटी, एमए हिंदी और बीएड की डिग्री ली है। हिंदी शिक्षक के तौर पर अपनी विशेष पहचान के साथ अशोक दर्द ने सृजन की दुनिया में भी बड़ा नाम कमाया है। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और हिमाचली पहाड़ी में उनकी मजबूत पकड़ है और टांकरी लिपि का भी प्रशिक्षण लिया है।
अशोक ‘दर्द’ कविता, कहानी, लघुकथा, बाल कविता, साक्षात्कार, यात्रा वृतांत, समीक्षा, हिमाचली लोक साहित्य और सांस्कृतिक लेखन में सिद्धहस्त हैं। देश- विदेश की नामचीन पत्र- पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती आ रही हैं।
तीन दशक से साहित्य की साधना
पिछले तीस सालों से हिंदी और पहाड़ी में लगातार लिख रहे अशोक ‘दर्द’ के चार हिन्दी कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह और एक पहाड़ी काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है। उन्होंने दो काव्य संग्रहों का सम्पादन भी किया है। पत्नी आशा ठाकुर उनकी पहली श्रोता और आलोचक हैं और साहित्य सम्मेलनों में अक्सर यह दंपति साथ दिखता है।
अशोक दर्द की प्रकाशित कृतियों में अंजुरी भर शब्द (कविता संग्रह), संवेदना के फूल (कविता संग्रह), धूप छांव – कविता संग्रह, सिंदूरी धूप- (कहानी संग्रह), बटोही (कविता संग्रह) , ख्यालां दी खुशबू (हिमाचली कविता संग्रह), मेरे पहाड़ में (कविता संग्रह, सम्पादित), महकते पहाड़ (कविता संग्रह सम्पादित) शामिल हैं।
दूरदर्शन और आकाशवाणी पर प्रसारण
अशोक ‘दर्द’ का डी डी हिमाचल से साक्षात्कार व रचना पाठ हुआ है, जबकि आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से उन्होंने रचना पाठ किया है। उन्होंने कई प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों और लघुकथा सम्मेलनों में भागीदारी की है। वे शिमला में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य उत्सव 2022 में भागीदारी कर चुके हैं।
अशोक दर्द हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के सदस्य रहे हैं। उन्हें हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ की ओर से आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता 2010 में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत किया गया है। सिरमौर कला संगम ने उन्हें आचार्य चन्द्रमणि विशिष्ठ पुरस्कार 2014 से पुरस्कृत किया है।
सृजन के लिए सम्मान
अशोक ‘दर्द’ को ‘सामाजिक आक्रोश’ द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में उनकी लिखी ‘देश भक्ति’ लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार मिला है। उन्हें हिंदी भाषा सम्मेलन पटियाला ने सारस्वत सम्मान प्रदान किया है,जबकि चंबा शिल्प परिषद और हिम साहित्यकार सभा बिलासपुर ने सम्मानित किया है।
त्रिवेणी साहित्य अकादमी जालन्धर ने सारस्वत सम्मान तथा कायाकल्प साहित्य कला फाउन्डेशन नोएडा ने साहित्य भूषण सम्मान 2018 प्रदान किया है। उन्हें सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर ने सृजन साहित्य सम्मान दिया है।
जय विजय मासिक ई पत्रिका ने ग़ज़ल विधा में उत्कृष्ट साहित्यिक सेवाओं के लिए जय विजय रचनाकार सम्मान- 2024 दिया है।
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