Missile Man आपको पता है कलाम का कमरुनाग से क्या था कनेक्शन ?

Missile Man आपको पता है कलाम का कमरुनाग से क्या था कनेक्शन ?

विनोद भावुक/ धर्मशाला

 Missile Manअब्दुल कलाम की बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर साल 1969 से 1979 तक एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद भी एसएलवी 3 फेल हो गया तो देश के चारों और उनकी जमकर आलोचना होने लगी। इस दौरान उनका परिचय महाभारत के एक ऐसे योद्धा के बारे में हुआ, जिसका बलिदान युद्ध शुरू होने से पहले ही हो गया था। यह तो आपको जानकारी है कि महाभारत के बर्बरीक ही कमरूनाग हैं। इस चरित्र को पढ़ने के बाद  Missile Man का आत्म विश्वास लौट आया और उन्होंने एक के बाद एक सफल प्रयोग कर दुनिया के आगे भारत के झंडे गाड़ दिये और भारत का दुनिया भर में रुतबा बढ़ गया। 

मंडी के सबसे बड़े देवता हैं कमरुनाग 

बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर Missile Manअब्दुल कलाम की 1969 से 1979 तक एक दशक की कड़ी मेहनत के बाद भी एसएलवी 3 फेल हो गया तो देश के चारों और उनकी जमकर आलोचना होने लगी। इस दौर में उन्होंने कमरुनाग के बारे में पढ़ा और अपनी नाकामियों को कामयाबी में बदलने में सफलता हासिल की।

कमरुनाग मंडी के सबसे बड़े देवता हैं। उनके शहर में आगमन के साथ ही मंडी के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत होती है। कमरुनाग वे महायोद्धा थे, जिनका बलिदान युद्ध शुरू होने से पहले हो गया था। कमरुनाग के पास तीन तीर थे। ये तीन ही तीर इतने शक्तिशाली थे कि युद्ध में हार- जीत का फैसला करने में सक्षम थे। एक तीर से अपने पक्ष को प्रोटेक्ट करने की तकनीक थी तो दूसरे तीर से विरोधी पक्ष के लोगों को सलेक्ट किया जाता था और तीसरे तीर से सभी विरोधियों का काम तमाम कर सकते थे। उनकी एक अजीबोगरीब शर्त थी कि युद्ध में जो भी पक्ष कमजोर दिखने लगेगा, वे उस पक्ष की तरफ से मैदान में उतरेंगे। श्रीकृष्ण यह जानते थे कि उनकी उनकी इस शर्त के चलते किसी भी पक्ष का कोई भी योद्धा नहीं बचेगा। यही कारण था कि सुनियोजित तरीके से युद्ध शुरू होने से पहले ही उनका बलिदान हो गया। 

आरोपों से घिरे  Missile Man, मददगार बने कमरुनाग 

इसी पात्र को पढ़कर Missile Man को इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल बनाने की प्रेरणा मिली। साल 1988 में पृथ्वी, अगले साल अग्नि, फिर आकाश और नाग जैसी मिलाइले बना कर Missile Man ने भारत का कद बढ़ा दिया।

Missile Man पर देश के करोड़ों रूपए बर्बाद करने के आरोप लगे। आलोचना सुन कर आहात होने के बजाए वे अपने मिशन में फिर जुट गए और एक साल बाद सफलता के झंडे गाड़ दिए। इन्हीं बुरे दिनों में उन्हें महाभारत कथा पढ़ने को मिली। कथा का बर्बरीक जिसे मंडी में कमरुनाग के नाम से जाना जाता है, का पात्र उन्हें ख़ास लगा, क्योंकि उसके पास गज़ब की तकनीक वाले तीर थे। इसी पात्र को पढ़कर उन्हें इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल बनाने की प्रेरणा मिली।

असफला से सफलता की तरफ 

साल 1988 में पृथ्वी, अगले साल अग्नि, फिर आकाश और नाग जैसी मिलाइले बना कर Missile Man ने भारत का कद बढ़ा दिया। साल 1989 अग्नि मिसाइल के सफल प्रयोग के साथ भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया, जिनके पास यह तकनीक थी।

साल 1988 में पृथ्वी, अगले साल अग्नि, फिर आकाश और नाग जैसी मिलाइले बना कर Missile Man ने भारत का कद बढ़ा दिया। साल 1989 अग्नि मिसाइल के सफल प्रयोग के साथ भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया, जिनके पास यह तकनीक थी। कलाम का एक कथन है – बार- बार असफल होने के बाद भी उत्साह न खोना ही सबसे बड़ी सफलता है।

इस विषय से संबन्धित अन्य पोस्टें – 

  1. Sidh Ganpati Temple : तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है मंडी का सिद्ध गणपति मंदिर, आध्यात्मिक गुणों से संपन्न राजा सिद्धसेन ने 1686 में करवाया था मन्दिर का निर्माण
  2. Richest God – ‘राजा घेपन’ के सुरक्षा घेरे में सुरक्षित ‘बर्फ़ीला रेगिस्तान’ सदियों पुरानी है रथयात्रा की रीत
  3.  

himachalbusiness1101

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *