प्रेरककथा : रात दो बजे शुरू होती है दिनचर्या, 50 सालों में नहीं की एक भी छुट्टी, खच्चरें लाद कर खड़ा कर दिया कारोबार

प्रेरककथा  : रात दो बजे शुरू होती है दिनचर्या, 50 सालों में नहीं की एक भी छुट्टी, खच्चरें लाद कर खड़ा कर दिया कारोबार
प्रेरककथा : रात दो बजे शुरू होती है दिनचर्या, 50 सालों में नहीं की एक भी छुट्टी, खच्चरें लाद कर खड़ा कर दिया कारोबार
विनोद भावुक/ धलूं (कांगड़ा)
यह प्रेरककथा है कांगड़ा जिला के नगरोटा बगवां उपमंडल के धलूं गांव की पटियालकर पंचायत के हरवंश कुमार की। 16 साल की उम्र में खच्चर लादने का काम शुरू करने वाले हरवंश कुमार आज एक सफल कारोबारी हैं। आज उनके पास आलीशान घर है, घूमने के लिए एक कार और एक स्कूटी है। आज उनके पास अल्ट्राटैक और अम्बूजा सीमेंट की एजेंसी है। 66 साल के हरवंश कुमार की आज भी हर रोज दिनचर्या रात दो बजे शुरू होती है।
पिछले 50 सालोँ से उन्होंने कभी एक भी छुट्टी नहीं ली है। वह हर रोज दस बजे सुबह तक अपना सारा काम निपटा देते हैं। भवन निर्माण के लिए वे स्थानीय ग्रामवासियों को घर से पास रेत – बजरी, बोल्डर और सीमेंट उपलब्ध करवाते हैं।
12 साल तक की मजदूरी
हरवंश कुमार का कहना हैं कि घर के आर्थिक हालत ठीक नहीं थे। पिता किसान थे और बड़ा परिवार था, रोजी रोटी का और कोई जरिया नहीं था। जाहिर है ऐसे में उनकी पढ़ाई आधी अधूरी ही छूट गई। 16 साल की उम्र में दाड़ी में एक खच्चर मालिक के यहां खच्चर लादने का काम शुरू कर दिया।
12 साल तक वहां जम कर पसीना बहाया और थोड़े पैसों का जुगाड़ कर खुद के दो खच्चर खरीद कर अपना काम शुरू कर दिया। संघर्ष के दौर में उनकी पत्नी ने भी खूब परिश्रम किया और गरीबी को मात देकर अपने कारोबार को कामयाब कर दिखाया।
परिवार से संभाला, खुद रास्ता निकाला
हरवंश कुमार ने कड़ी मेहनत कर अपने आठ बेटियों और एक बेटे को उच्च शिक्षित किया है। बेटियों की शादियां कर दी हैं। बेटा विशाल बीएससी करने के बाद अपने करियर की तैयारी करने से साथ पिता के कारोबार में हाथ बंटवा रहा है।
हरवंश का कहना है कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता, बल्कि मेहनत से हर काम में बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। उनका कहना है कि अपने काम के प्रति ईमानदारी सफलता के लिए सबसे जरूरी होती है।
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Jyoti maurya

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