न्यूक्लियर पॉल्यूशन का कुदरती समाधान, हिमाचल प्रदेश के लिए जिंको बाइलोबा वरदान

न्यूक्लियर पॉल्यूशन का कुदरती समाधान, हिमाचल प्रदेश के लिए जिंको बाइलोबा वरदान
विनोद भावुक/ पालमपुर
चंबा जिले के भरमौर उपमंडल के प्रोन्डी गांव में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय तुलसी राम के बगीचे में एक दुर्लभ और जीवित किंवदंती माने जाने वाला पेड़ खूब फल-फूल रहा है। यह पेड़ कोई आम वृक्ष नहीं है। पश्चिमी हिमालय की गोद में उगता हुआ जिंको बाइलोबा दुनिया का सबसे पुराना जीवित जीवाश्म वृक्ष है। इस पेड़ की पत्तियों में पाए जाने वाले जिंको लाइड्स और ग्लाइकोसाइड्स रसायन अल्जाइमर, कैंसर, जोड़ों का दर्द, डिप्रेशन और कीमोथैरेपी के दुष्प्रभावों से राहत देते हैं। इसलिए इसे ‘स्मृति वृक्ष’ भी कहा जाता है।
जिंको बाइलोबा को पश्चिमी हिमालय के पहाड़ों में उगाने के साल 2005 में हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में इसकी वंशवृद्धि और प्रमाणिक कृषि तकनीक विकसित करने की परियोजना शुरू की गई। वैज्ञानिक डॉ. गोपी चंद और बाद में रामजी लाल मीणा की अगुवाई में संस्थान के जैव विविधता फार्म में तीस हजार से अधिक पौधे तैयार किया गए हैं। पेड़ 7-8 वर्षों में औषधीय पत्तियाँ देना शुरू करता है। इस पेड़ को लगाने से प्रति हेक्टेयर दो लाख रुपये तक की सालाना कमाई संभव है।

जिंको बाइलोबा के लिए डिवैलप की एग्रो टेक्नीक
जिंको बाइलोबा के पेड़ आज भारत में भी संकट में है। देश में ऐसे पेड़ उँगलियों पर गिने जा सकते हैं। ज़्यादातर पेड़ सूखने लगे हैं। इस पेड़ के प्राकृतिक पुनरोत्पादन के लिए मादा पेड़ों की आवश्यकता होती है, जो अब लगभग विलुप्त हो चुके हैं और इस प्रजाति के अस्तित्व पर बड़ा खतरा बन गया है।
हिमालयन जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के वैज्ञानिकों ने चीन से मंगाए बीजों और स्थानीय कलमों से प्रयोग कर इस वृक्ष के लिए एग्रो टेक्नीक विकसित की। पौधों को अब हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों में यहां तक कि लाहौल जैसे दुर्गम क्षेत्रों में रोपा गया है।

न्यूक्लियर पॉल्यूशन से बचाने वाला नेचुरल कवच
जापान के हिरोशिमा में 1945 के परमाणु बम विस्फोट के दौरान दो किलोमीटर के दायरे में मौजूद पेड़-पौधे जलकर खाक हो गए, मगर जिंको बाइलोबा के छह पेड़ भयानक अग्निकुंड से फिर उठ खड़े हुए। परमाणु रेडियेशन के बावजूद वे पेड़ न केवल जीवित रहे, बल्कि आज भी हरे-भरे हैं। यही विशेषता इस पेड़ को न्यूक्लियर पॉल्यूशन से बचाने वाला प्राकृतिक कवच बनाती है।
जिंको बाइलोबा का पेड़ चीन में धार्मिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व रखता है। बौद्ध मठों में इसके 1500 साल तक पुराने पेड़ मौजूद हैं। यूरोप और अमेरिका में भी इस चमत्कारी पेड़ की खेती और संरक्षण की दिशा में प्रयास चल रहे हैं।


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