Olympic Games गोल्ड जीतने वाली टीम इंडिया के कप्तान
वीरेंद्र शर्मा वीर/ ऊना
Olympic Games की पड़ताल में कहानी 1964 के टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाली हॉकी टीम के भारतीय कप्तान चरणजीत सिंह की खेल प्रतिभा की और उनकी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ प्रतियोगिता से पहले और बाद में संवाद की।
एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि टीम के टोक्यो Olympic Games के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने टीम के खिलाड़ियों से मुलाक़ात की थी। शास्त्री बोले, ‘तुम बड़े खिलाड़ी हो और मैं छोटा आदमी हूं। टोक्यो जीत कर आना। अगर तुम हार गए तो मैं मर जाऊंगा।
टीम ने पाकिस्तान को हरा कर जब फाइनल जीता, उस सामय प्रधानमंत्री हिसार में एक कार्यक्रम में थे। Olympic Games में इस जीत की सूचना रेडियो पर खुद प्रधानमंत्री ने दी और सारा देश जश्न में डूब गया।
विक्ट्री इज विक्ट्री
Olympic Games के फाइनल में अपने पुराने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान को एक शून्य से मात देकर गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम जब तत्कालीन राष्ट्रपति राधा कृष्णन से बात कर रही थी तो राष्ट्रपति ने टीम कप्तान से कहा कि एक ही गोल से जीते हो। यह भी कोई जीत होती है।
यह सुन कर दो मिनट के लिए मानो वे सुन्न हो गए, लेकिन तत्काल फार्म में लौटकर जवाब दिया कि सर विक्ट्री इज विक्ट्री। राष्ट्रपति आवास में ढ़ोल- नगाड़े बाजा कर Olympic Games में गोल्ड जीतने वाली टीम इंडिया का ज़ोरदार स्वागत किया गया।
12वें खिलाड़ी से कप्तान तक
दरअसल, टोक्यो Olympic Games के लिए टीम इंडिया का हैदराबाद में कैंप लगा। चरणजीत सिंह टीम में 12वें खिलाड़ी के तौर पर शामिल किए गए।
अखबारों में उनको नजरअंदाज करने की खबरें जमकर छपी। कैम्प के समापन तक उनकी टीम में चौथे खिलाड़ी के तौर पर जगह पक्की हो गई।
इसके बाद टीम इंडिया का कैंप श्रीनगर में लगा। श्रीनगर के कैंप के बाद चरणजीत सिंह नंबर एक पर पहुंच गए और उन्हें टीम इंडिया की कप्तानी सौंप दी गई। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने Olympic Games में गोल्ड पर कब्जा किया।
लायलपुर कॉलेज से मिली पहचान
22 अक्टूबर 1928 को ऊना के मेडी में पैदा हुए चरणजीत सिंह की खेल प्रतिभा को लायलपुर कॉलेज में पढ़ाई के दौरान पहचान मिली। बीएससी एगरीकल्चर करने वाले चरणजीत सिंह ने 1950 में पंजाब के लिए खेलना शुरू किया।
पंजाब से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन के चलते उनके लिए इंडिया कैप का सफर आसान हो गया। साल 1964 के टोक्यो Olympic Games में गोल्ड मेडल जीतने वाली टीम के कप्तान को अर्जुन अवार्ड और पदमश्री से सम्मानित किया गया।
हिमाचल हॉकी संघ के अध्यक्ष
पंजाब पुलिस के एएसआई से अपने करियर की शुरुआत करने वाले चरणजीत सिंह को चंडीगढ़ का डायरेक्टर स्पोर्ट्स एंड यूथ बनाया गया। वे पंजाब यूनिवर्सिटी और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर भी रहे।
वे हिमाचल के स्पोर्ट्स डायरेक्टर, हॉकी के नेशनल सलेक्शन कमेटी के मेम्बर, हिमाचल हॉकी संघ के अध्यक्ष और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स के मेम्बर भी रहे। अधरंग से लड़ते हुये 92 साल की उम्र में 27 जनवरी 2022 को उनका निधन हो गया।
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