कभी चंडीगढ़ और शिमला में लाइव पोट्रेट बनाए, अपनी कलाकृतियों से चंबा के दिनेश अत्री दुनिया भर में छाए

कभी चंडीगढ़ और शिमला में लाइव पोट्रेट बनाए, अपनी कलाकृतियों से चंबा के दिनेश अत्री दुनिया भर में छाए
अशोक दर्द/ चंबा
चंबा से 48 किलोमीटर दूर कूंर गांव के युवा चित्रकार दिनेश अत्री जो कुछ साल पहले तक चंडीगढ़ की सुखना झील के किनारे और शिमला के माल रोड पर बैठकर लोगों के लाइव पोट्रेट और स्केच बनाया करते थे, आज उनकी पेंटिंग्स राष्ट्रपति भवन की शोभा बढ़ा रही हैं और राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली की प्राइवेट कलेक्शन में शामिल है। अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, बेल्जियम, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, चीन, इजराइल और तुर्की सहित कई देशों में उनकी पेंटिंग्स के प्राइवेट कलेक्शन हैं।
भारत की विभिन्न कला दीर्घाओं में दिनेश अत्री की पेंटिंग्स की प्रदर्शनियां लगी रहती हैं। वे विदेशी ग्राहकों के लिए भी पेंटिंग्स बनाते हैं। चित्रकला की साधना के डेढ़ दशक के सफर में उन्हें अपने हुनर के चलते विभिन्न सरकारी तथा निजी संस्थानों में काम करने का मौका मिला है। अब उनका अपना स्टूडियो है और वे चित्रकला की पढ़ाई के पीएचडी स्कॉलर हैं।

पेंटिंग पर मर मिटी तुर्की के एंबेसडर की बीबी
दिनेश अत्री बताते हैं कि ओबरॉय होटल में उनकी एकल चित्रकला प्रदर्शनी लगी हुई थी, जिसमें बहुत सारी पेंटिंग लगाई गई थीं। तुर्की के एंबेसडर प्रदर्शनी में आए हुए। वे पेंटिंग्स को लंबे समय तक गहराई से देखते रहे। एक दिन होटल से मैसेज मिला कि चित्रकार से कोई विदेशी बात करना चाहता है। फोन कॉल पर तुर्की के एंबेसडर थे, जो उनकी उन पेंटिंग्स को खरीदना चाहते थे, जिन्हें वे पिछले साल प्रदर्शनी में देखकर गए थे। ‘बर्ड्स’ शीर्षक वाली पेंटिंग उनकी पत्नी को बहुत पसंद आई थी, जिसे वह अपनी के बर्थडे पर गिफ्ट करना चाहते थे।
दिनेश अत्री ने पेंटिंग भेजने के लिए पता मांगा तो सामने से बोला गया कि पेंटिंग लेने वह खुद आएंगे।
एक सप्ताह बाद दोबारा कॉल आई कि वे पेंटिंग लेने स्टुडियो आ रहे हैं। तुर्की के एंबेसडर के साथ उनकी पत्नी भी थी, जिसका उस रोज जन्मदिन था। पति से गिफ्ट में मिली पेंटिंग को देखकर वह औरत इतनी खुश हुई की आंखों से आंसू आ गए। यह दंपति अब तक दिनेश अत्री की 20 पेंटिंग्स खरीद चुका है।
पेंटिंग में डॉक्ट्रेट तक का सफर
150 से कम घरों और 700 की आबादी वाले पहाड़ी गांव में किसान परिवार में साल 1988 में पैदा हुए दिनेश अत्री 5 भाई-बहनों में चौथे नंबर पर आते हैं। गवर्नमेंट हाई स्कूल कूर से दसवीं और गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल छतराडी से जमा एक की पढ़ाई करने के बाद चुवाडी से दो साल का ड्राइंग टीचर का डिप्लोमा किया। रायपुर स्कूल से जमा दो की पढ़ाई करने के बाद वे पेंटिंग सीखने चंडीगढ़ चले गए।
दिनेश अत्री ने चंडीगढ़ में कुछ साल पेंटिंग सीखने के बाद शिमला का रुख किया और पढ़ाई पूरी करने का मन बनाकर गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज चौड़ा मैदान में पेंटिंग से ग्रेजुएशन करने के लिए एडमिशन लिया। उसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पेंटिंग में मास्टर की। दिनेश अत्री इसी विश्वविद्यालय से पेंटिंग में पीएचडी कर रहे हैं।

पेंटिंग के लिए चंडीगढ़- शिमला का सफर
चुवाड़ी में ड्रॉइंग टीचर का डिप्लोमा करते समय दिनेश अत्री की चित्रकला के प्रति समझ गहरी होती गई। युवा चित्रकार ने कला के प्रति अपने जुनून को खोजा और अपनी कला को निखारने के लिए जीवंत शहर चंडीगढ़ की यात्रा की। कलात्मक माहौल में खुद को रंगों की दुनिया में डुबो दिया। कई उस्तादों से सीखा।
चंडीगढ़ में गुरुजी अमित कुमार से पेंसिल स्केचिंग, पोट्रेट, लाइव पोट्रेट की बारीकियों को सीखा और सुखना लेक पर लोगों के लाइव पोट्रेट बनाए।
सीखने के बाद पेंटिंग को पढ़ने की हसरत उन्हें चंडीगढ़ से शिमला ले आई। शिमला में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में कई गुरुओं से चित्रकला का ज्ञान लिया। चित्रकार पूर्ण खत्री जी को दिनेश अत्री अपना गुरु मानते हैं, जिन्होंने उनके अंदर के चित्रकार को तराशने में बड़ा काम किया और चित्रकला की छोटी से छोटी बारीकियों को सिखाया।

हिमाचल पुलिस के स्केच आर्टिस्ट
दिनेश अत्री हिमाचल प्रदेश पुलिस डिपार्टमेंट के लिए एक स्केच आर्टिस्ट के रूप में काम करते हैं। बिना देखे किसी का स्केच बनाना, किसी आदमी का हुलिया बनाना अपने आप में एक उपलब्धि है। उनके बनाए स्केच की मदद से कई आपराधिक केस सॉल्व हुए हैं और अपराधों में संलिप्त लोग जेलों में बंद हैं।
दिनेश अत्री बताते हैं कि पहाड़ की संस्कृति, नदी, नाले, बर्फ से लदे पहाड़, पक्षी और यहां का वन्य जीवन उन्हें सृजन के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी अधिकतर पेंटिंग्स सामाजिक जीवन तथा नेचर से प्रभावित हैं। सुबह का पक्षियों का चहचहाना, कल-कल करती नदियां, बर्फ से लदे पहाड़ उनकी पेंटिंग्स में देखे जा सकते हैं।
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