कभी चम्बा का हिस्सा रहा है कांगड़ा का पठियार, पठियार किले पर कब्जे को लेकर हुआ था चम्बा-कांगड़ा के राजाओं में युद्ध, जम्मू के महाराजा ने की थी चम्बा के राजा की मदद

कभी चम्बा का हिस्सा रहा है कांगड़ा का पठियार, पठियार किले पर कब्जे को लेकर हुआ था चम्बा-कांगड़ा के राजाओं में युद्ध, जम्मू के महाराजा ने की थी चम्बा के राजा की मदद
कभी चम्बा का हिस्सा रहा है कांगड़ा का पठियार, पठियार किले पर कब्जे को लेकर हुआ था चम्बा-कांगड़ा के राजाओं में युद्ध, जम्मू के महाराजा ने की थी चम्बा के राजा की मदद
विनोद भावुक/ नगरोटा बगवां
नई पीढ़ी के कम ही लोग जानते हैं कि कांगड़ा का पठियार परगना कभी चंबा रियासत क़ा हिस्सा रहा है। जब पठियार किले पर कब्जे को लेकर चम्बा और कांगड़ा के राजाओं के बीच युद्ध हुआ तो जम्मू के महाराजा ने चम्बा के राजा की मदद कर किले को कांगड़ा के राजा के कब्जे से छुड़ा लिया था। इंडस पब्लिशिंग कंपनी नई दिल्ली से साल 2000 में प्रकाशित अशोक जैरथ की शोधपरक पुस्तक ‘फोर्ट्स एन्ड पैलेसेज ऑफ़ वेस्टर्न हिमालय’ में पठियार किले के बारे में जानकारी दी गई है।
इस पुस्तक में पठियार किले पर चम्बा के राजा के कब्जे, किले पर कांगड़ा के राजा के आक्रमण और फिर जम्मू के महाराजा के हस्तक्षेप से फिर से किले पर चम्बा के राजा के कब्जे का जिक्र है। हालांकि यह किला किसने, कब बनवाया, इस बारे में किताब कुछ प्रकाश नहीं डालती है।
पठियार के लिए जम्मू तक तकरार
लाहौर के गवर्नर ने पठियार परगना को चंबा के दलेल सिंह (1735 -48 ) को दे दिया। इस तरह से पठियार परगना चंबा रियासत का हिस्सा बन गया और पठियार के किले पर भी चंबा रियासत का कब्जा हो गया। बाद में जब चंबा के राजा उमेद सिंह क़ा नाबालिग बेटा राज सिंह चंबा का राजा बना तो कांगड़ा के राजा घमंड चंद ने इस किले पर आक्रमण कर इसे छुड़वा लिया।
चंबा रियासत की सैन्य टुकड़ियों को बीड़- भंगाल के रास्ते से भागने पर मजबूर होना पड़ा। राजा राज सिंह के नाबालिग होने की सूरत में चम्बा रियासत का राजकाज संभालने वाली रानी जो कि जम्मू की राजकुमारी थी, उसने जम्मू के महाराजा रणजीत देव से सैन्य मदद मांगी। चंबा और जम्मू की सेना की मदद से एक बार फिर से इस क्षेत्र पर चंबा रियासत का कब्जा हो गया।
खरोष्ठी और ब्रह्मी लिपि में शिलालेख
‘‘फोर्ट्स एन्ड पैलेसेज ऑफ़ वेस्टर्न हिमालय’ में अशोक जैरथ लिखते हैं कि पठियार किले और उसमें रहने वाले लोगों के बारे में बेशक इतिहास बहुत ज्यादा कुछ न बताता हो, लेकिन पठियार किले के अवशेष आज भी गवाही देते हैं कि पठियार परगना कभी बेहद विकसित कस्बा रहा होगा।
वे लिखते हैं कि पठियार में मिले खरोष्ठी और ब्रह्मी लिपि में लिखे शिलालेख भी अतीत की गहराइयों में ले जाते हैं, जिनमें दूसरी ईस्वी पूर्व के बारे के राजा क़ा जिक्र है, जिसने आस- पास की भूमि की सिंचाई के लिए जलाशय बनाया था।
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Jyoti maurya

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