नई दिल्ली में हिमाचली लोक संगीत को नई उड़ान दे रहे पवन हमीरपुरी, ग़ज़ल, भजन, कव्वाली और लोकगीत गाने में माहिर

नई दिल्ली में हिमाचली लोक संगीत को नई उड़ान दे रहे पवन हमीरपुरी, ग़ज़ल, भजन, कव्वाली और लोकगीत गाने में माहिर
शिवानी/ धर्मशाला
हमीरपुर जिला की भोरंज तहसील के लदरौर से संबंध रखने वाले पवन हमीरपुरी पिछले पांच दशक से नई दिल्ली में रहकर गीतकार, संगीतकार, गायक और अभिनेता के तौर पर अपनी खास पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। वे ग़ज़ल, भजन, कव्वाली और पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोकगीत गाते हैं।
उन्होंने अपने घर में म्यूजिक स्टूडियो स्थापित किया है, जहां वे रोज रियाज करते हैं। वे हर रोज फ्रेश गाये अपने दो गीत यूट्यूब पर अपलोड करते हैं। यह सिलसीला लंबे अर्से से चल रहा है और सोशल मीडिया पर उनकी मखमली आवाज को जमकर वाहवाही मिलती है।
पवन हमीरपुरी ने रेडियो स्टेशन पर ‘बसा च आई ओ तेरी याद’ गाया जो इंटरव्यू के साथ टेलीकास्ट हुआ। उन्होंने कॉमेडी सीरियल में काम किया है। साल 1991 में उनके खुद के लिखे गीतों की कैसेट ‘आसा दाज नियो लेना’ रिलीज हुई। उसके बाद उनकी पहाड़ी में माता की भेंट और बाबा बालक नाथ के भजन की कैसेट आई। उन्होंने भोजपुरी अल्बम में अभिनेता के तौर पर काम किया है। वे स्टेज शो करते हैं और जागरण व सत्संग में भी भजन गायन करते हैं।
उस्तादों से ली संगीत की शिक्षा
पवन हमीरपुरी का जन्म साल 1964 में हमीरपुर जिला की भोरंज तहसील के लदरौर मैं हुआ। आठवीं तक गांव में पढ़ने के बाद वह दिल्ली चले गए और आगे की पढ़ाई दिल्ली से की। दिल्ली में स्नातक करने के बाद उन्होंने तीन महीने नौकरी की। बचपन से ही संगीत के प्रति आकर्षित पवन ने 900 रुपए का हारमोनियम खरीदा।
गुरदान मान से सीखे गीत लिखना, संगीत बनाना
पवन हमीरपुरी ने 1985 के आस- पास पंजाबी गायक गुरदास मान का गाना ‘मामला गड़बड़ है’ सुना, जो उन्हें बहुत अच्छा लगा। तभी से उन्होंने गुरदान मान को फॉलो करना शुरू कर दिया और खुद गीत लिखना और गाना शुरू कर दिये।
पवन हमीरपुरी ने न केवल कई गीतों की रचना की है, बल्कि उनको खुद संगीत से सजाकर खुद गया भी है। संगीत के प्रति उनकी दिवानगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे हर रोज कम से कम दो गीतों को अपनी आवाज देकर यूट्यूब पर अपलोड करते हैं।
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