कांगड़ा की राजकुमारी महिताब ने सिख इतिहास में छोडी अमिट छाप, महाराजा रणजीत सिंह संग सती हुई सबसे प्रिय महारानी

कांगड़ा की राजकुमारी महिताब ने सिख इतिहास में छोडी अमिट छाप, महाराजा रणजीत सिंह संग सती हुई सबसे प्रिय महारानी
कांगड़ा की राजकुमारी महिताब ने सिख इतिहास में छोडी अमिट छाप, महाराजा रणजीत सिंह संग सती हुई सबसे प्रिय महारानी
विनोद भावुक। धर्मशाला
27 जून 1839 को जब महाराजा रणजीत सिंह की मृत्यु हुई तो उनके अंतिम संस्कार के समय रानी काटोचन राजकीय परंपरा के अनुसार पहली बार महल से खुले आंगन में नंगे पाँव और बिना घूंघट के बाहर आईं। इतिहासकार सोहन लाल सूरी लिखते हैं, जब चिता जलाई गई तो रानी काटोचन ने रणजीत सिंह का सिर अपनी गोद में रखा और खुद भी अग्नि में समा गईं। उनके साथ तीन अन्य रानियां और सात रखैलें भी सती हुईं थी।
कांगड़ा राजघराने की राजकुमारी महिताब देवी, जिन्हें लोग रानी काटोचन या गुड्डन के नाम से भी जानते हैं, सिख साम्राज्य के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गईं। वे कांगड़ा के प्रसिद्ध शासक महाराजा संसारचंद कटोच की पुत्री और रणजीत सिंह की प्रिय रानी रहीं। पति के साथ अग्नि में समा जाने वाली रानी काटोचन की वीरगाथा सुनकर कांगड़ा रियासत में राज परिवार गौरव के तौर पर सन 1840 में इस दृश्य की एक ऐतिहासिक पेंटिंग बनवाई।
सिख साम्राज्य की परंपराओं की संरक्षिका
साल 2020 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से प्रकाशित प्रिया अटवाल की पुस्तक ‘रॉयल एंड रेबल्स : द राइज़ एंड फाल ऑफ सिख एम्पायर’ और 2015 में द ट्रिब्यून में प्रकाशित कंवरजीत सिंह कांग के आलेख ‘सती चॉइस बिफॉर महाराजा रणजीतज रानीज’ में रानी काटोचन के साहस और वीरगाथा का विशेष उल्लेख किया गया है।
इतिहासकार मानते हैं कि महिताब देवी ने न सिर्फ पति के प्रति समर्पण दिखाया बल्कि अंतिम क्षणों में उन्होंने दरबार के प्रभावशाली सरदार धियां सिंह को ललकारते हुए नए महाराजा खड़क सिंह के प्रति निष्ठा की शपथ दिलवाई। यह दर्शाता है कि वे केवल पत्नी नहीं, बल्कि साम्राज्य की राजनीति और परंपराओं की संरक्षिका भी थीं।
सगी बहनों की अपनी- अपनी किस्मत
सन 1828 में कांगड़ा राजघराने की महिताब देवी और उनकी बहन राज बंसो का विवाह पंजाब के शेर–ए–पंजाब महाराजा रणजीत सिंह से हुआ। लेकिन किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था। मुकद्दर दोनों बहनों के लिए अलग-अलग राह लेकर आया।
राज बंसो ने उस वक्त आत्महत्या कर ली, जब रणजीत सिंह ने उनकी सुंदरता की तुलना एक नर्तकी से कर दी। राजपूत वंश की यह राजकुमारी इस अपमान को सहन नहीं कर सकीं और अफीम खाकर जीवन समाप्त कर लिया। रानी कटोचन महाराजा रणजीत सिंह के साथ सती हुई।
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Jyoti maurya

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