प्रोफेसर एस.एस. डोगरा : उनके शब्द सच्चाई की आवाज़, कैमरा समाज का आईना बन जाते हैं, मिशन यह कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे

प्रोफेसर एस.एस. डोगरा : उनके शब्द सच्चाई की आवाज़, कैमरा समाज का आईना बन जाते हैं, मिशन यह कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे
प्रोफेसर एस.एस. डोगरा : उनके शब्द सच्चाई की आवाज़, कैमरा समाज का आईना बन जाते हैं, मिशन यह कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे
हिमाचल बिजनेस / नई दिल्ली
उनके शब्द सच्चाई की आवाज़ होते हैं तो कैमरा समाज का आईना बन जाता है। जिद यह कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे। 60 साल के हिमाचली हीरे प्रोफेसर एस.एस. डोगरा एशिया की मीडिया और साहित्यिक दुनिया में बदलाव की अनूठी मिसाल बन चुके हैं। हमीरपुर जिला के पारोल गांव के विक्टोरिया क्रॉस अवार्ड विजेता परिवार में से संबंध रखने वाले प्रोफेसर डोगरा का नाम पत्रकारिता से लेकर सिनेमा, पुस्तक लेखन, शिक्षा और लाइब्रेरी आंदोलन के क्षेत्र में गूंज रहा है।
हाल ही में नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक और शैक्षिक शिखर सम्मेलन में उनके योगदान के लिए उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है। कामयाबी का नया अध्याय लिख रहे प्रोफेसर डोगरा अपनी जड़ों से गहरे जुड़े हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है, देवभूमि की ओर दौड़े चले आते हैं। वे हिमाचल प्रदेश में भी लाइब्रेरी खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता के तीन दशक
पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता में एक्टिव प्रो. डोगरा ने नेपाल की मशहूर पत्रिका हिमालिनी के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख हैं। वे साउथ एशिया करेस्पॉन्डेंट्स क्लब के सक्रिय सदस्य हैं और दक्षिण एशिया के ज्वलंत मुद्दों पर लेखनी के ज़रिए विमर्श को दिशा देते हैं।
मीडिया के प्रिंट और डिजिटल दोनों माध्यमों में वे महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। उन्होंने भारत और नेपाल में 327 से अधिक मीडिया और कम्युनिकेशन वर्कशॉप्स आयोजित की हैं और हजारों स्टूडेंट्स को रचनात्मकता, नेतृत्व और आलोचनात्मक सोच की ओर प्रेरित किया है।
यूरोप- रूस तक किताबों की चर्चा
प्रोफेसर एस.एस.एस. डोगरा की चर्चित पुस्तक ‘Media Can Do Wonders in Students’ Life’ को भारत के तीन विश्वविद्यालयों ने रेफरेंस बुक के तौर पर शामिल किया। यह पुस्तक यूरोप के स्टूडेंट्स में भी लोकप्रिय है और प्रेरक मार्गदर्शिका के रूप में पढ़ी जाती है।
उनकी पुस्तक ‘Rendezvous (In and Off the Fields)’ को भी शैक्षणिक जगत में खूब सराहना मिली है। रूसी भाषा में लिखी इस पुस्तक ने भारत-रूस के साहित्यिक संबंधों को और मजबूत किया है। उनकी 50 अध्यायों वाली प्रेरक पुस्तक ‘Create Better Content’ प्रकाशनाधीन है।
डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों का निर्माण
प्रोफेसर एस.एस.एस. डोगरा ने डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्मों के ज़रिए समाज के कई संवेदनशील विषयों को पर्दे पर उतारा है। उनकी फिल्में YouTube और IMDb पर उपलब्ध हैं और दुनिया भर के दर्शक उनके फिल्म निर्माण के हुनर के कायल हैं।
उनकी बनाई फिल्में दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती हैं। उनकी फिल्मों के हीरो कोई सुपरस्टार नहीं हैं, बल्कि आम आदमी की बात करती दिखती हैं। उनकी फिल्मों में समाज, संवेदना और सच्चाई को सलीके से पेश किया जाता है।
वीडियो गेम के दौर में लाइब्रेरी की गिफ्ट
जिस दौर में बच्चे वीडियो गेम में उलझे हैं, एक पत्रकार पुस्तकालय के जरिये बच्चों को पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। प्रोफेसर एस.एस.एस. डोगरा ने दिल्ली में चार पुस्तकालयों की स्थापना कर शहरी बच्चों को किताबों से जोड़ने में शानदार काम किया है।
उन्होंने नेपाल में ‘ग्लोबल लाइब्रेरी’ की स्थापना की है। उन्होंने उत्तराखंड के सुदूर कांडा गांव में एक साधारण लाइब्रेरी को ग्लोबल लाइब्रेरी में तब्दील किया। उनके यह प्रयास अध्ययन की संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं।
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Jyoti maurya

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