रिकॉर्ड : 164 किलोमीटर सफर, 933 पुल 484 मोड़ : पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल ट्रैक पर रोमांच का सफर
रिकॉर्ड : 164 किलोमीटर सफर, 933 पुल 484 मोड़ : पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेल ट्रैक पर रोमांच का सफर
हिमाचल बिजनेस। पठानकोट
पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन पर रोमांच के सफर के साथ ट्रैक के अनूठे रिकॉर्ड भी टूरिस्टों की जिज्ञासा को बढ़ा देते हैं। कांगड़ा घाटी रेल लाइन की लंबाई 164 किलोमीटर है। इस रेल मार्ग में दो सुरंगें हैं, जिनमें से एक 250 फुट लंबी और दूसरी 1,000 फुट लंबी है।
ट्रेन 2 फुट 6 इंच चौड़ाई वाली पटरियों पर कुलांचे भरती है। इस लाइन का सबसे ऊंचा प्वाइंट एहजू रेलवे स्टेशन पर है, जो 3901 फुट ऊंचा है। पठानकोट रेलवे स्टेशन 383 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि आखिरी रेलवे स्टेशन जोगिंद्रनगर 1184 मीटर की ऊंचाई पर है। इस रेल मार्ग में कुल 933 पुल और 484 मोड़ आते हैं।
जब बंद करना पड़ा ट्रैक
रेलवे लाइन का निर्माण कार्य 1925 में आरंभ हुआ। एक दिसंबर 1928 को मालगाडिय़ों के लिए इस मार्ग को खोला गया। इस लाइन का निर्माण जोगिंदरनगर के आगे हाइड्रोलिक पावर प्रोजेक्ट शानन के लिए माल ढुलाई के लिए किया गया था। अप्रैल 1929 में इस ट्रैक पर पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया।
दूसरे विश्वयुद्ध के समय यह रेलमार्ग बंद हो गया। 1941-42 में इस ट्रैक को बंद कर दिया गया। 1954 में इस ट्रैक को दोबारा चालू किया गया। 1973 में पोंग डैम के निर्माण के समय कांगड़ा घाटी का 25 किलोमीटर ट्रैक एक बार फिर बंद करना पड़ा।
तीन हिस्सों में बंटा मार्ग
ये रेलमार्ग मुख्य रूप से तीन हिस्सो में बंटा है। पहला पठानकोट से चक्की पुल का 12 किलोमीटर का हिस्सा। यह हिस्सा पंजाब के पठानकोट जिले में आता है। चक्की नदी के पुल से बैजनाथ पपरोला तक 130 किलोमीटर का क्षेत्र धार्मिक पर्यटन वाला इलाका है।
इसी क्षेत्र में रेल मार्ग की दो सुरंगें ढूंढी और दौलतपुर आती हैं। तीसरा खंड बैजनाथ से जोगिंदरनगर का है जो 22 किलोमीटर लंबा है और औसत ऊंचाई 979 मीटर की है।
कांगड़ा वैली रेलवे स्टेशन
पठानकोट जंक्शन, डलहौजी रोड, नूरपुर रोड, तेलरा, भरमौर जवांवाला शहर, हरसार डेहरी, मेघराजपुरा, नगरोटा सूरिया, बारयाल हिमाचल, नंदपुर, गुलेर, त्रिपाल, ज्वालामुखी रोड, कोपरलाहार, कांगड़ा, कांगड़ा मंदिर, समलोटी, नगरोटा, चामुंडा मार्ग, पारोह, सुलह, पालमपुर, पट्टी राजपुरा, पंचरुखी मझरैन, बैजनाथ पपरोला, बैजनाथ मंदिर, आहजू, चौंतरा बातरेह व जोगिंदरनगर।
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