Reporter : कलम को बनाकर हथियार ताउम्र जनता के हक के लिए लड़ते रहे  रोशन लाल धीमान

Reporter : कलम को बनाकर हथियार ताउम्र जनता के हक के लिए लड़ते रहे  रोशन लाल धीमान

इमरजेंसी के दौरान जेल भी जाना पड़ा, 97 वर्ष की उम्र में पैतृक गांव दाड़ी में हुआ निधन

नरेश धीमान/ धर्मशाला 
Reporter जो आपातकाल के दौरान आंदोलन में अपनी कलम से हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोकतंत्र प्रहरी सम्मान से नवाजे गए।  जिला कांगड़ा के दाढ़ी से संबंधित वरिष्ठ Reporter रोशन लाल धीमान का 97 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 22 फरवरी 1926 को दाड़ी में पैदा हुए रोशन लाल अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। इसी के चलते उन्हें इमरजेंसी के दौरान जेल में भी जाना पड़ा था। पत्रकारिता को जन आवाज बनाने वाले और धर्मशाला में टेलरिंग की दुकान चलाकर परिवार को पालने वाले पत्रकार रोशनलाल की जिंदगी का सफर काफी संघर्षभरा रहा।

खबर को बनाया हक की मशाल

1952 में जनसंघ की स्थापना हुई तो दाड़ी के Reporter रोशनलाल को धर्मशाला का संस्थापक सदस्य बनाया गया था। उर्दू अखबार से अपनी पत्रकारिता का आगाज करने वाले इस Reporter ने उस दौर की हर बड़ी अखबार के साथ काम किया। उन्होंने उस काल में उर्दू अखबार हिंद समाचार व हिंदी अखबार वीर प्रताप, प्रदीप, मिलाप और पंजाब केसरी व अन्य अखबारों में काम किया।

1952 में जनसंघ की स्थापना हुई तो दाड़ी के Reporter रोशनलाल को धर्मशाला का संस्थापक सदस्य बनाया गया था। उर्दू अखबार से अपनी पत्रकारिता का आगाज करने वाले इस Reporter ने उस दौर की हर बड़ी अखबार के साथ काम किया। उन्होंने उस काल में उर्दू अखबार हिंद समाचार व हिंदी अखबार वीर प्रताप, प्रदीप, मिलाप और पंजाब केसरी व अन्य अखबारों में काम किया। Reporter रोशन लाल धीमान ने धर्मशाला से अपनी उर्दू अखबार वर्के-हिमाचल भी शुरू की थी। Reporter रोशन लाल धीमान एक ऐसे पत्रकार के रूप में जाने जाते थे जिन्होंने पत्रकारिता को पेशा न बनाकर जन आवाज का जरिया बनाया। वे पत्रकारिता के दम पर लोगों के अधिकारों के लिए आजीवन लड़ते रहे और अपने परिवार को टेलरिंग की दुकान के बलबूते पर चलाया। Reporter रोशन ने अपनी हर खबर को अवाम के हक की मशाल बनाया।

एक बार घर से निकले तो रात का पता नहीं

पत्रकारिता और समाजसेवा ही Reporter रोशन लाल के जीवन का मकसद रहा। उनके बड़े बेटे अश्वनी धीमान का कहना है कि वे सुबह घर से निकलने थे तो काफी रात होने पर लौटते थे। वे लोगों की सेवा के लिए भागदौड़ में ही पूरा दिन बिता दिया करते रहते थे। जब देश में 21 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने इमरजेंसी लगी तो वे इसके खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े। उस दौरान अपनी कलम और आवाज से हुकूमत के खिलाफ मुखर हुए। इसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। बकौल अश्वनी, जब वे जेल चले गए थे तो परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया था। उनकी टेलरिंग की दुकान से ही जैसे-तैसे घर-परिवार चलता था। वो समय परिवार के लिए बहुत कठिन भरा था। वे अपना ज्यादा वक्त समाज सेवा में ही बिताया करते थे। इस कारण तीनों भाइयों को अपनी पढ़ाई के खर्चे के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा लेकिन उनका समाज सेवा के प्रति समर्पण तीनों भाइयों को आगे बढ़ने की सीख देता था। यही कारण है कि वे पिता के तरह अपने संघर्ष के बलबूते खास मुकाम पर हैं।

तीनों बेटों ने संघर्ष कर पाया मुकाम

Reporter रोशन लाल धीमान के परिवार में उनकी पत्नी गृहिणी पूर्णी देवी और तीन बेटे हैं। उनके तीनों बेटे भी अपने क्षेत्र में बेहतर मुकाम पर हैं। बड़े बेटे अश्वनी केसीसी बैंक में मैनेजर रिटायर्ड हुए हैं। मंझले बेटे अतुल धीमान आईपीएच डिपोर्टमेंट से रिटायर हुए हैं और सबसे छोटे बेटे अनादि वर्तमान में लंबागांव में पंचायत सचिव हैं।

सरकार ने दिया लोकतंत्र प्रहरी सम्मान

Reporter रोशन लाल को कई संस्थाओं ने सम्मानित किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके अविस्मररीय योगदान के लिए प्रदेश की पूर्व जयराम सरकार ने उन्हें लोकतंत्र प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया। आजीवन पत्रकारिता के जरिये लोगों के हक और न्याय के लिए लड़ने वाले पत्रकार को पिछले दो सालों में सरकार ने पेंशन जारी की थी जो शुरू में 12000 रुपये मिलती थे जो अब 20000 रुपये मिल रही थी।

Reporter रोशन लाल को कई संस्थाओं ने सम्मानित किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके अविस्मररीय योगदान के लिए प्रदेश की पूर्व जयराम सरकार ने उन्हें लोकतंत्र प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया। आजीवन पत्रकारिता के जरिये लोगों के हक और न्याय के लिए लड़ने वाले पत्रकार को पिछले दो सालों में सरकार ने पेंशन जारी की थी जो शुरू में 12000 रुपये मिलती थे जो अब 20000 रुपये मिल रही थी। 19 जनवरी 2023 को 97 वर्ष की आयु में दाड़ी में उन्हें अपनी नश्वर देह को त्याग दिया।

 

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