Rorerich School Of Paintings: दीमक का आहार, बहुमूल्य उपहार 

Rorerich School Of Paintings: दीमक का आहार, बहुमूल्य उपहार 
  • दीमक की भेंट चढ़ने लगीं ओम चंद शर्मा की कई अनमोल पेंटिंग्स
  • बिना मदद के नामुमकिन संरक्षण, हजारों पेंटिंग्स के वजूद पर ख़तरा

विनोद भावुक/ गोहर

Rorerich School Of Paintings के मशहूर चित्रकार ओम प्रकाश शर्मा की हजारों बहुमूल्य पेंटिंग्स संरक्षण के अभाव में बर्बाद हो रही हैं। एक तरफ रूस अंतरराष्ट्रीय रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर में वर्ल्ड फेमस रशियन पेंटर निखोलिस रोरिक के चित्रकला के अनमोल खजाने को सहेज कर रखे हुए है, वहीं दूसरी ओर ‘रोरिक स्कूल ऑफ़ पेंटिंग’ के मशहूर चित्रकार रहे स्वर्गीय चित्रकार ओम चंद शर्मा की अनमोल कृतियों को दीमक अपना आहार बना रहे हैं। गोहर में स्थित ओम आर्ट गैलरी को खुद के बलबूते संचालित चित्रकार के वारिसों के लिए मुश्किल हो गया है। कृतियों को रखरखाब महंगा होने के चलते पांच हजार पेंटिंग्स का वजूद नष्ट होने को है।

रोरिक को चुपके से देखा था रंग भरते

31 दिसंबर 1934 को मंडी के साथ लगते देवधार गांव में जन्मे ओमचंद शर्मा की शिक्षा कुल्लू जिला के नग्गर स्थित उनके ननिहाल में ही हुई। बाल्यकाल में ही उन्हें रॉरिक विला में निखोलिस रोरिक को पेंटिंग बनाते हुए देखने का मौका मिला। भारत में उन दिनों अंग्रेजों का राज था और नग्गर की जनता में रोरिक को साहब के नाम से जाना जाता था। इसी कारण वे रोरिक के पास जाने की हिम्मत तो नहीं कर पाए, लेकिन छुप-छुप कर उन्हें चित्रकारी करते देखते रहते थे। साल 1944 से काफी समय तक यही सिलसिला चलता रहा। Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद शर्मा के दिल में यहीं से चित्रकला के प्रति लगाव पैदा हुआ और जो वक्त के साथ बढ़ता गया। परिवारिक स्थिति रास्ते में बाधा बनती रही, फिर भी वे चित्रकला के प्रति समर्पित रहे। कटरांई स्कूल से मैट्रिक करने के पश्चात उन्होंने मंडी कालेज से इंटर पास किया। बड़े भाई को दिल्ली में नौकरी मिलने पर वे भी उनके साथ दिल्ली चले गए और उन्होंने वहां पर वाटर कलर पेंटिंग का प्रशिक्षण लिया।

31 दिसंबर 1934 को मंडी के साथ लगते देवधार गांव में जन्मे ओमचंद शर्मा की शिक्षा कुल्लू जिला के नग्गर स्थित उनके ननिहाल में ही हुई। बाल्यकाल में ही उन्हें रॉरिक विला में निखोलिस रोरिक को पेंटिंग बनाते हुए देखने का मौका मिला। भारत में उन दिनों अंग्रेजों का राज था और नग्गर की जनता में रोरिक को साहब के नाम से जाना जाता था। इसी कारण वे रोरिक के पास जाने की हिम्मत तो नहीं कर पाए, लेकिन छुप-छुप कर उन्हें चित्रकारी करते देखते रहते थे। साल 1944 से काफी समय तक यही सिलसिला चलता रहा।

दिल्ली से लिया पेंटिंग का प्रशिक्षण

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओम चंद शर्मा को बाद में शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। नौकरी मिलने के पश्चात वे पूरी तरह से चित्रकला को समर्पित हो गए। कला के प्रति समर्पण देखिये कि उन्होंने महाराष्ट्र बोर्ड मुबई से इंटर आर्ट किया तथा शिक्षा विभाग में ही बतौर कला अध्यापक कार्यरत हुए। उन्होंने चित्रकला में रोरिक की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए चित्रकला की ऊंची उड़ान भरी। चित्रकला के अतिरिक्त फोटोग्राफी व ड्राफटवुड में भी ओमचंद शर्मा को खासी माहरत हासिल थी।

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद शर्मा के दिल में यहीं से चित्रकला के प्रति लगाव पैदा हुआ और जो वक्त के साथ बढ़ता गया। परिवारिक स्थिति रास्ते में बाधा बनती रही, फिर भी वे चित्रकला के प्रति समर्पित रहे। तमाम परिस्थितियों के बावजूद चित्रकला के सृजन में जुटे रहे। कटरांई स्कूल से मैट्रिक करने के पश्चात उन्होंने मंडी कालेज से इंटर पास किया। बड़े भाई को दिल्ली में नौकरी मिलने पर वे भी उनके साथ दिल्ली चले गए और उन्होंने वहां पर वाटर कलर पेंटिंग का प्रशिक्षण लिया।

मुबई से इंटर आर्ट की पढाई

निखोलिस रोरिक को गुरु एवं आदर्श मान कर तुलिका के धनी Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद ने अपनी चित्रकला की प्रतिभा दिखने के लिए फाईन आर्ट तथा लैंड स्केप का क्षेत्र चुना। उनके जुनून का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक से बढ़ कर एक पांच हजार से अधिक पेंटिंग्स बना कर अपने हुनर का लोहा मनवाया।Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद के जीवनकाल में उनके चित्रों की कई प्रदर्शनियां लगी।

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओम चंद शर्मा को बाद में शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। नौकरी मिलने के पश्चात वे पूरी तरह से चित्रकला को समर्पित हो गए। कला के प्रति समर्पण देखिये कि उन्होंने महाराष्ट्र बोर्ड मुबई से इंटर आर्ट किया तथा शिक्षा विभाग में ही बतौर कला अध्यापक कार्यरत हुए। उन्होंने चित्रकला में रोरिक की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए चित्रकला की ऊंची उड़ान भरी। चित्रकला के अतिरिक्त फोटोग्राफी व ड्राफटवुड में भी ओमचंद शर्मा को खासी माहरत हासिल थी।

पांच हजार चित्रों का खजाना

परिवारिक स्थिति रास्ते में बाधा बनती रही, फिर भी वे चित्रकला के प्रति समर्पित रहे। तमाम परिस्थितियों के बावजूद चित्रकला के सृजन में जुटे रहे।

 

निखोलिस रोरिक को गुरु एवं आदर्श मान कर तुलिका के धनी Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद ने अपनी चित्रकला की प्रतिभा दिखने के लिए फाईन आर्ट तथा लैंड स्केप का क्षेत्र चुना। उनके जुनून का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने एक से बढ़ कर एक पांच हजार से अधिक पेंटिंग्स बना कर अपने हुनर का लोहा मनवाया।

नग्गर में लगी प्रदर्शनी

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद शर्मा ने मंडी जिला के गोहर में ओम आर्ट गैलरी की शुरुआत की। इसका उदघाटन प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था। इसका उदघाटन प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था। इस आर्ट गैलरी में उनकी करीब अस्सी पेंटिंग्स रखी गई थी। तत्कालीन राज्यपाल वीएस कोकजे के हाथों उन्हें उनके कलाकर्म के लिए सम्मानित किया गया था।

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद के जीवनकाल में उनके चित्रों की कई प्रदर्शनियां लगी।  अंतरराष्ट्रीय रोरिक आर्ट गैलरी नग्गर में उनके चित्रों का प्रदर्शित होना उनके जीवन का सबसे सुखद पल था। उन्होंने यहीं रोरिक विला में में कभी निखोलिस रोरिक को पेंटिंग बनाते देखा था और उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया था। स्टेट म्यूजियम शिमला में भी उनके कलाकर्म को प्रदर्शित किया गया।

गोहर में ओम गैलरी

25 मई 2012 को Rorerich School Of Paintings के पेंटर ओमचंद ब्रेन हैमरेज का शिकार हो गए। उन्हें मंडी के क्षेत्रिय चिकीत्सालय में भर्ती करवाया गया था।उन्होंने 27 मई 2012 को 11 बजे अंतिम सांस ली। इस के साथ महान चित्रकार ओमचंद शर्मा की तूलिका हमेशा के लिए थम गई, लेकिन अपने चाहने वालों के लिए अनमोल उपहार छोड़ गए।

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार ओमचंद शर्मा ने मंडी जिला के गोहर में ओम आर्ट गैलरी की शुरुआत की। इसका उदघाटन प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था। इस आर्ट गैलरी में उनकी करीब अस्सी पेंटिंग्स रखी गई थी। तत्कालीन राज्यपाल वीएस कोकजे के हाथों उन्हें उनके कलाकर्म के लिए सम्मानित किया गया था।

ब्रेन हैमरेज ने छीन लिया महान चित्रकार

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार स्वर्गीय ओमचंद शर्मा के पुत्र एवं वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा का कहना है कि पेंटिंग्स को संभालने का काम जहां एक तरह टेक्निकल है, वहीँ मंहगा भी है।

25 मई 2012 को Rorerich School Of Paintings के पेंटर ओमचंद ब्रेन हैमरेज का शिकार हो गए। उन्हें मंडी के क्षेत्रिय चिकीत्सालय में भर्ती करवाया गया था। चिकित्सकों के परामर्श के बाद अगले ही दिन उन्हें वापिस घर गोहर लाया गया था, जहां उन्होंने 27 मई 2012 को 11 बजे अंतिम सांस ली। इस के साथ महान चित्रकार ओमचंद शर्मा की तूलिका हमेशा के लिए थम गई, लेकिन अपने चाहने वालों के लिए अनमोल उपहार छोड़ गए।

मंहगा है धरोहरों को सहेजना

गोहर में स्थित ओम आर्ट गैलरी को खुद के बलबूते संचालित चित्रकार के वारिसों के लिए मुश्किल हो गया है। कृतियों को रखरखाब महंगा होने के चलते पांच हजार पेंटिंग्स का वजूद नष्ट होने को है। प्रदेश सरकार अगर मदद करे तो एक चित्रकार की धरोहरों को सहेजा जा सकता है। उनका कहना है ओम गैलरी को बेहतर तरीके से संचित कर गोहर को चित्रकला प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

Rorerich School Of Paintings के चित्रकार स्वर्गीय ओमचंद शर्मा के पुत्र एवं वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा का कहना है कि पेंटिंग्स को संभालने का काम जहां एक तरह टेक्निकल है, वहीँ मंहगा भी है। वे कहते हैं कि प्रदेश सरकार अगर मदद करे तो एक चित्रकार की धरोहरों को सहेजा जा सकता है। उनका कहना है ओम गैलरी को बेहतर तरीके से संचित कर गोहर को चित्रकला प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर विकसित किया जा सकता है।

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