पहली बार अभिनय कर रहे ग्रामीण युवकों ने अपने चरित्रों में जान फूँक दी जान, मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘कफ़न’ का प्रभावशाली मंचन

पहली बार अभिनय कर रहे ग्रामीण युवकों ने अपने चरित्रों में जान फूँक दी जान, मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘कफ़न’ का प्रभावशाली मंचन
पहली बार अभिनय कर रहे ग्रामीण युवकों ने अपने चरित्रों में जान फूँक दी जान, मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘कफ़न’ का प्रभावशाली मंचन
हिमाचल बिजनेस/ धर्मपुर
अभिव्यक्ति संस्था के कलाकारों ने सोलन के धर्मपुर कस्बे के रौड़ी में स्थित ब्लिस में हिन्दी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी ‘कफ़न’ का प्रभावशाली मंचन किया। घीसू और माधव जैसे पात्रों के माध्यम से समाज में फैली गरीबी, नैतिक पतन और संवेदनहीनता को उजागर किया गया। दर्शकों ने इस सजीव चित्रण को गहराई से अनुभव किया और प्रस्तुति ने सभी को सोचने पर विवश किया। ग्रामीण युवक, जो कि अपने जीवन में पहली बार नाटक कर रहे हैं, ने अपने अपने चरित्रों में जान फूँक दी और प्रेमचंद के चरित्रों कि मंच पर जीवित कर दिया। बहुत ही कम साधनों के बावजूद यह नाट्य प्रस्तुति बहुत ही शानदार और प्रभावपूर्ण रही। दर्शकों ने अभिनेताओं कि भूरी भूरी प्रशंसा की।
दूर- दूर से पहुंचे दर्शक
इस नाट्य प्रस्तुति को देखने के लिए शिमला, सोलन, बिलासपुर, कसौली, मोहाली, पंचकुला, चंडीगढ़ और अंबाला से 65 से अधिक दर्शक पहुँचे। नाटक का निर्देशन अमला राय ने किया। प्रमुख कलाकारों में पंकज, सूरज और सौरभ रहे। संगीत की रचना सुनील सिन्हा ने की। मंच विन्यास की जिम्मेदारी सौरभ शर्मा और वस्त्र विन्यास का कार्य पंकज शर्मा ने संभाला। अमला राय और सुनील सिंह, दोनों राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली के छात्र रहे हैं और अब हिमाचल में ही बस कर गाँव में रंगकर्म कर रहे हैं।
श्रीनिवास जोशी मुख्यातिथि, सपत्नीक पहुंचे निदेशक
अभिव्यक्ति संस्था की सचिव अमला राय ने बताया कि नाटय आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी व लेखक श्रीनिवास जोशी उपस्थित रहे। उन्होंने नाटक की गहराई और प्रस्तुति की सराहना की। महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक डॉ. पंकज ललित अपनी धर्मपत्नी पूनम ललित के साथ शिमला से विशेष रूप से उपस्थित हुए, जिन्होंने ग्रामीण युवाओं के इस प्रयास को भरपूर प्रोत्साहन दिया।
यह सफल आयोजन अभिव्यक्ति संस्था की ग्राम्य युवाओं में नाट्यकला के विकास और हिन्दी साहित्य के संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह नाटक प्रेमचंद को एक सच्ची श्रद्धांजलि सिद्ध हुआ।
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Jyoti maurya

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