संजू पॉल: कला, साहित्य और विज्ञान का अनोखा संगम, ट्रांसडिसिप्लिनरी और एक्सपेरिमेंटल आर्टिस्ट के रूप में पहचान

संजू पॉल: कला, साहित्य और विज्ञान का अनोखा संगम, ट्रांसडिसिप्लिनरी और एक्सपेरिमेंटल आर्टिस्ट के रूप में पहचान
विनोद भावुक/ कुल्लू
हिमाचल प्रदेश की धरती से उभरी एक ऐसी शख़्सियत, जिनके हुनर में सीमाओं की कोई परिभाषा नहीं। साहित्य, चित्रकला और विज्ञान तीनों ही क्षेत्रों को एक साथ साधने वाली संजू पॉल को एक ट्रांसडिसिप्लिनरी और एक्सपेरिमेंटल आर्टिस्ट के रूप में पहचान मिली है।
रोचक, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियों के प्लेटफॉर्म ‘हिमाचल बिजनेस’ पर आज संजू पॉल की क्ला यात्रा की कहानी। यह सिर्फ एक कलाकार की यात्रा नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि जब रचनात्मकता, संवेदनशीलता और विज्ञान का संगम होता है, तो परिणाम कालातीत हो जाते हैं।
पोयट्री और पेंटिंग्स
संजू पॉल का मूल नाम संजीव कुमारी पॉल है। वे अब तक लगभग 100 कविताएं लिख चुकी हैं, जो संवेदनाओं, सामाजिक सरोकारों और प्रकृति के गहरे संबंधों को शब्द देती हैं।
साहित्यिक दुनिया में उनकी लेखनी गहरी छाप छोड़ती है, वहीं कला के क्षेत्र में उनका सफ़र और भी अद्भुत है। वे अब तक लगभग 1,000 पेंटिंग्स और अन्य आर्ट वर्क बना चुकी हैं।

पीवीसी कार्विंग-वॉशिंग टेक्नीक का प्रयोग
संजू पॉल की रचनात्मकता का सबसे अनोखा पहलू है पीवीसी कार्विंग-वॉशिंग टेक्नीक। एक विशेष कलात्मक तकनीक, जिसमें वे बेकार पीवीसी शीट्स को कैनवास की तरह उपयोग करती हैं और उस पर कार्विंग और वाशिंग के मेल से चित्र रचती हैं। यह न केवल पर्यावरण-संवेदनशील दृष्टिकोण है, बल्कि पुनर्चक्रण को कला में रूपांतरित करने का अभिनव प्रयास भी है।
इसके अलावा, संजू पॉल टूथपिक पेंटिंग और पेन स्केचिंग जैसी असामान्य कला विधाओं में भी दक्ष हैं। उनका हर आर्टवर्क एक कहानी कहता है। कभी प्रकृति की नाजुकता, तो कभी मनुष्य के भावनात्मक उतार-चढ़ाव।

फिल्म प्रोजेक्ट्स में काम, आर्ट गैलरी की तैयारी
संजू पाल की उपलब्धियों में सिर्फ कैनवास तक सीमित रहना शामिल नहीं है। उन्होंने दो फ़िल्म प्रोजेक्ट भी किए हैं। लघु फ़िल्म ‘कैथार्सिस’ आंतरिक भावनाओं को कला के माध्यम से दर्शाती है,जबकि इंटरव्यू-आधारित फ़िल्म ‘द पेट्रिकोर’ में कलाकारों के जीवन और उनके सृजन संसार की सुगंध समाई है।
संजू पॉल आजकल “Mindscape Art Gallery, हरिपुर, मनाली को विकसित करने में जुटी हैं, जहां उनके कई आर्टवर्क को देखा जा सकता है। यह गैलरी सिर्फ कला-प्रदर्शन का स्थान नहीं, बल्कि एक संवाद का मंच बनने जा रही है, जहां स्थानीय से लेकर वैश्विक दर्शक कला के बहुआयामी स्वरूप का अनुभव कर सकेंगे।

हिमाचल और देश-दुनिया की अपडेट के लिए join करें हिमाचल बिज़नेस
https://himachalbusiness.com/folktale-the-princess-of-chandratal-was-fascinated-by-the-tune-of-the-flute-of-shepherd-dorje/