Sidh Ganpati Temple : तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है मंडी का सिद्ध गणपति मंदिर, आध्यात्मिक गुणों से संपन्न राजा सिद्धसेन ने 1686 में करवाया था मन्दिर का निर्माण
समीर कश्यप / मंडी
Sidh Ganpati Temple : हिमाचल प्रदेश के मंडी शहर जिसे छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है, इस शहर में Sidh Ganpati Temple (सिद्ध गणपति मन्दिर) का अपना ख़ास आकर्षण है। सिद्ध गणपति मंदिर तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना करने से पहले मंडी के राजा ने मूर्ति की तंत्र सिद्धि करवाई थी। कहते हैं कि राजा ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर सिद्ध गणपति के मंदिर का निर्माण करवाया था। Sidh Ganpati Temple में जो मूर्ति स्थापित की गई है, उसे 1686 ईस्वी में तत्कालीन राजा सिद्धसेन ने स्थापित करवाया था। इस हिसाब से यह मंदिर 336 साल पुरातन है।
आध्यात्मिक गुणों से संपन्न थे राजा सिद्धसेन
Sidh Ganpati Temple की स्थापना मंडी के राजा सिद्धसेन ने की थी। भगवान गणेश की इस विशाल खूबसूरत प्रतिमा के बारे में यह कहा जाता है कि राजा सिद्ध सेन का शरीर इतने बड़े आकार का था कि वह बैठकर ही भगवान गणेश को तिलक लगा देते थे। राजा सिद्धसेन आध्यात्मिक गुणों से संपन्न थे। उन्होंने मंडी में अनेकों मंदिरों का निर्माण करवाया था, इसलिए इन मंदिरों के साथ सिद्ध भी जोड़ा जाता है। उनके बनवाएं कुछ मंदिरों में Sidh Ganpati Temple, सिद्ध काली और सिद्ध भद्रा मंदिर शामिल हैं।
Sidh Ganpati Temple : गणेश के गले में नाग
राजा सिद्धसेन तंत्र विद्या में काफी रूचि रखते थे, इसलिए उन्होंने Sidh Ganpati Temple की मूर्ति को भी सिद्ध करवाया और इसे और ज्यादा प्रभाव प्रभावशाली बनाने के लिए तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण किया। बताया जाता है कि पश्चिमी बंगाल में भगवान गणेश के ऐसे अनेक मंदिर विराजमान हैं, लेकिन अगर बात उत्तरी भारत की हो तो यह मंदिर अपनी तरह का इकलौता मंदिर है। इस मंदिर में भगवान गणेश की जो मूर्ति है, उस पर सिंदूर से लेप किया जाता है और मूर्ति के गले में हर वक्त नाग देवता भी विराजमान रहते हैं।
21 बुधवार पूजा करने से मिलता है फल
तांत्रिक प्रभाव वाले Sidh Ganpati Temple के बारे में मान्यता यह है कि यहां पर लगातार 21 बुधवार पूजा-अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। दूर- दूर से लोग अपनी कामना लेकर इस मंदिर में पहुंचते हैं। क्योंकि राजा ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर Sidh Ganpati Temple का निर्माण करवाया था, ऐसे में मनोकामना पूरी होने पर इस मंदिर में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। गणेश उत्सव के दौरान भी मंदिर में खूब धूम रहती है।
मन्दिर के इतिहास पर पूर्व विधायक की पुस्तक
Sidh Ganpati Temple के इतिहास पर किताब लिख चुके पूर्व विधायक एवं पत्रकार स्वर्गीय दीनानाथ शास्त्री कहते थे कि सांप का तंत्र विद्या में पर्याप्त महत्व है और इसी के चलते जब राजा सिद्धसेन ने सिद्ध गणपति की मूर्ति का निर्माण करवाया तो इसमें नाग देवता की छवि को भी उभारा गया। उन्होंने बताया था कि राजा खुद बड़ी तांत्रिक शक्तियों का ज्ञाता था। राजा ने गणपति की मूर्ति बनाने के बाद इसकी सिद्धि करके इसे सिद्ध गणपति का नाम दिया था।
जीत की खुशी में मंदिर का निर्माण
मंडी शहर में जोनल अस्पताल से थोड़ी दूरी पर सड़क की निकली तरफ स्थित Sidh Ganpati Temple ऐतिहासिक मंदिर है जो रियासतकालीन मंदिर निर्माण शैली की विरासत है। Sidh Ganpati Temple के संचालन की जिम्मेदारी अब एक कमेटी के पास है। कमेटी मंदिर से जुड़े उत्सवों का आयोजन करवाती है। बता दें कि मंडी के राजा पश्चिमी बंगाल से आए थे। राजा सिद्धसेन ने एक अन्य राज्य पर जीत का परचम लहराने की मन्नत मांगी थी। इसी मन्नत के पूरा होने पर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
मनोकामना के लिए मन्दिर पहुंचते नेता
Sidh Ganpati Temple में मनोकामना के लिए राजनेता विशेष पूजा करते हैं। जयराम ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की थी। स्वर्गीय पंडित सुखराम, वर्तमान विधायक अनिल शर्मा, स्वर्गीय सांसद रामस्वरूप शर्मा सहित कांग्रेस- भाजपा के कई बड़े नेता इस मंदिर में अपनी हाजिरी लगाते रहे हैं। चुनाव के दिनों में इस मंदिर में नेताओं को मन्नत मांगते देखा जा सकता है और जीत के बाद सिद्ध गणपति का धन्यवाद करने आने वालों में भी कोई कमी नहीं है।