Singer of Himachal Pradesh महेंद्र कपूर को सिखाये लोकगीत

Singer of Himachal Pradesh महेंद्र कपूर को सिखाये लोकगीत
रत्न चंद ‘निर्झर’ / नाहन 
बात साल 1955 की है, शिमला में आकाशवाणी केंद्र का प्रसारण शुरू हुआ। इसी दौरान Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन सिंह ने ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ सुनाया तो उनकी मखमली एवं मधुर आवाज का हिमाचल प्रदेश दीवाना हो गया। लोकगायन का सिलसिला उनके जीवन के आख़िरी दिनों तक चलता रहा। ठाकुर किशन सिंह सिरमौर जिला से आकाशवाणी के पहले सिंगर  थे। उन्हें आकाशवाणी शिमला से उच्च श्रेणी के कलाकार का दर्जा प्राप्त था।

Singer of Himachal Pradesh : आकाशवाणी और दूरदर्शन पर धूम



बात साल 1955 की है, शिमला में आकाशवाणी केंद्र का प्रसारण शुरू हुआ। इसी दौरान Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन सिंह ने ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ सुनाया तो उनकी मखमली एवं मधुर आवाज का हिमाचल प्रदेश दीवाना हो गया।
Singer of Himachal Pradesh  किशन सिंह ने आकाशवाणी के साथ- साथ दूरदर्शन पर भी अपनी गायन कला की ढेरों प्रस्तुतियां दीं, लेकिन गाने की ललक इतनी कि अपने किसी भी फैन के अनुरोध पर बाज़ार और बस में सफर करते हुए गाने शुरू हो जाते थे। उनकी आवाज में ऐसा जादू था कि सारा पहाड़ उनकी आवाज का मुरीद था। सिरमौर के लोकगीतों को देश- दुनिया में पहचान दिलवाने वाले Singer of Himachal Pradesh किशन सिंह ठाकुर के लोकगीतों को उनके चाहने वाले बड़े शौक से सुनते हैं। सिरमौर के लोकगीतों के संरक्षण में जुटी लोकगायकों की युवा पीढ़ी उनके गाये लोकगीतों को गाने में अपनी शान समझती है।

महेंद्र कपूर को सिखाया और गवाया

Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन ने हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक महेंद्र कपूर को ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ गीत सिखाया था और उनसे गवाया भी था।

Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन ने हिंदी सिनेमा के मशहूर गायक महेंद्र कपूर को ‘लागा ढोलो रा ढमाका, मेरा हिमाचालो बड़ा बांका’ गीत सिखाया था और उनसे गवाया भी था। उनके गाये लोकगीतों में ‘ मीठे बागो रे केले रति रामा’, ‘तेरे मुहों रा तिला हाय रे बेसो सुबदा’, चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’, ‘म्हारे हिमाचल देखणा सारा रे’, ‘लछ्मनिये रांडे’, और चूड़ी रे कांडे जैसे लोकगीत आज भी लोगों की जुबां पर है और बेहद पसंद किये जाते हैं।

गायन के साथ संगीत में महारत

17 नवम्बर 1917 को सिरमौर जिला के पझौता क्षेत्र के कोटला बागी गांव में ठाकुर लच्छमी सिंह और माता रत्ना देवी के घर पैदा हुए किशन की आठवीं तक की पढ़ाई सोलन के चायल से हुई। उसके बाद उन्होंने कोटला स्थित नरसिंह मंदिर के महात्मा बैरागी जी से संगीत की तालीम हासिल की और गायन के साथ तबला, ढोलक और हारमोनियम बजाना सीखा। पझौता आन्दोलन के दौरान क्रांतिकारियों के लिए वह देशभक्ति से ओत- प्रोत जोशीले गीत गाते थे। Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन जहां भी गायन में भाग लेते, महफ़िल लूट लेते थे। उनके गाये कई अमर लोकगीत आज भी बड़े चाव से लोग सुनते और गुनगुनाते हैं।

लोकगायकी के साथ सरपंची

Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन सिंह समाजसेवा से गहरे जुड़े हुए थे। वे इतने लोकप्रिय थे कि पझौता क्षेत्र में साया सनौरा पंचायत के 35 सालों तक सरपंच रहे। उनकी गिनती समर्पित राजनेता के तौर पर होती थी। जहां वे अपनी पंचायत के कामों को लेकर हमेशा आगे रहते थे, वहीँ अपनी गायिकी और रियाज को लेकर भी हमेशा गंभीर रहते थे और अपने गायन के शौक को पूरा करने के लिए वक्त निकाल ही लिया करते थे।

मौत वाले रोज भी गीत किया रिकॉर्ड

21 अप्रैल 1997 को Singer of Himachal Pradesh ठाकुर किशन सिंह अपने लोकगीत ‘चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’ गीत की रिकार्डिंग करवा कर घर लौट रहे थे कि घर से कुछ ही दूरी पर उन्हें हार्ट अटैक हुआ और सिरमौरी गीतों की सदाबहार आवाज हमसे सदा के लिए बिछुड़ गई। उनकी मौत के बाद उनका गाया ‘चल पंछिया ऊँची नीची धारा रे’ बेहद लोकप्रिय हुआ। ठाकुर किशन सिंह को गुजरे लंबा अर्सा हो चुका, लेकिन उस महान गायक के गाये लोकगीत आज भी मनोरंजन कर रहे हैं।
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