सोमदेव कश्यप : उनकी बनाई धुनों से कई गायकों ने हासिल किया मुकाम, पर संगीतकार खुद रह गया गुमनाम

सोमदेव कश्यप : उनकी बनाई धुनों से कई गायकों ने हासिल किया मुकाम, पर संगीतकार खुद रह गया गुमनाम
सोमदेव कश्यप : उनकी बनाई धुनों से कई गायकों ने हासिल किया मुकाम, पर संगीतकार खुद रह गया गुमनाम
सत्य प्रकाश/ मंडी
संगीत की समझ इतनी कि मंडी से मुंबई कई हिन्दी फिल्मों में बैकग्राउंड म्यूजिक दिया। पार्श्व गायिका आशा भोसले, सुरेश वाडेकर, अनुराधा पौडवाल, मोहम्मद अजीज, कविता कृष्णमूर्ति, सविता साथी, पूर्णिमा, अनवर और विनोद राठौर जैसे हिन्दी सिनेमा के कई चमकते गायकों में उनके संगीत निर्देशन में गाया। एक दिन लगा कि लोकसंगीत की सेवा करनी चाहिए। यही सोच मुंबई के करियर को छोड़ मंडी वापसी की। पहले सकरोहा में फिर पनारसा में स्टुडियो स्थापित किया।
बलवीर ठाकुर, धर्मेंद्र शर्मा, धीरज शर्मा, मोहन सिंह चौहान, सुनील राणा व मंजु चिश्ती जैसे लोकगायकी के चमकते कितने ही हिमाचली सितारों को अंगुली पकड़ चलना सिखाया। 2500 से ज्यादा गीत कम्पोज करने और 5000 से अधिक गानों को रिकॉर्ड का बिरला रिकॉर्ड बनाने वाले सोमदेव के संगीतबद्ध किए गीत तो कालजयी हो गए, लेकिन इन गीतों में जान डाल देने वाला 76 वर्षीय संगीतकार खुद गुमनाम ही रह गया।
मंडी में बर्मन आर्केस्ट्रा क्लब का गठन
छोटी काशी कहे जाने वाले मंडी नगर के भगवाहन मोहल्ला में शिव शंकर व रूपा देवी के घर 18 अप्रैल 1948 को जन्में सोमदेव कश्यप की स्कूली विजय हाई स्कूल मंडी से हुई। उन्होंने गुरुजी श्यामलाल ठाकुर से 3 साल तक संगीत की शिक्षा ग्रहण की।
सचिन देव बर्मन को अपना आदर्श मनाने वाले सोमदेव ने उनके संगीत से प्रेरणा पाकर साल 1968 में मंडी में बर्मन आर्केस्ट्रा क्लब बनाया था। 24 साल की उम्र में साल 1972 में वे हिन्दी सिनेमा में संगीतकार के तौर काम करने के लिए मुम्बई चले गए।
फिल्म संगीत में बनाई पहचान
अजय विश्वनाथ के साथ सहायक निर्देशक के तौर पर अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले सोमदेव कश्यप को साल 1976 में स्वतंत्र संगीत निर्देशक के रूप में काम करने का अवसर मिला।
अभिनेता डैनी की आवाज में एल-पी. रिकॉर्ड ‘डेनी सिंग्ज गजल, गीत, नज़म’ निकाला।
साल 1980 में फिल्म ‘कोबरा’ में संगीत दिया, जिसे एचएमवी ने रिलीज किया। फिल्म ‘अनोखा मोड़’ और ‘जल्लाद’ में संगीत निर्देशन किया तथा दूरदर्शन के लिए अजनबी व असूल सीरियलों में संगीत दिया। सोमदेव कश्यप कई वाद्य यंत्र बजाने में माहिर हैं। उनकी बेटी शिवि आर कश्यप ने सबसे छोटी उम्र की हिन्दी फिल्म संगीत निर्देशक होने का अवार्ड जीत चुकी हैं और उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी रिकॉर्ड दर्ज है।
‘साउंड ऑफ माउंटेन’ का कमाल
सोमदेव कश्यप के संगीत निर्देशन में ‘दयाड़ा काटना नाला पर सोई सोई, रात काटनी सारी सारी रोई रोई’ गीत ने खूब धूम मचाई थी। साल 1980 में सोमदेव कितने व्यस्त संगीतकार थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक साल में लोकगीतों की 80 कैसेट के लिए गीत कम्पोज किए। 1999 में पनारसा में ‘साउंड ऑफ माउंटेन’ डिजिटल स्टूडियो शुरू कर 150 कैसेट तैयार कीं। प्रदेश की विभिन्न बोलियों विशेषकर चम्बयाली, लाहौली, कुल्लवी, मंडयाली और कांगड़ी में उनके संगीत निर्देशन में हिमाचल प्रदेश के 100 से अधिक लोक गायक गा चुके हैं। साल 1984 में अपनी पहली एलबम निकली, जिसमें सविता साथी के साथ खुद गीत गाए।
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Jyoti maurya

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