मांस बेचने से की थी शुरुआत, फिर बैंकिंग सेक्टर में आजमाया हाथ, शिमला के माल रोड पर स्थित यूरोपियन कंपनी Barrett & Co के ग्राहकों में शामिल थीं कई नामी हस्तियां

मांस बेचने से की थी शुरुआत, फिर बैंकिंग सेक्टर में आजमाया हाथ, शिमला के माल रोड पर स्थित यूरोपियन कंपनी Barrett & Co के ग्राहकों में शामिल थीं कई नामी हस्तियां
विनोद भावुक/ शिमला
19वीं सदी के उत्तरार्ध में जब शिमला ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना तो इस हिल स्टेशन पर रहने वाले यूरोपीय अधिकारियों को अपने खानपान और जीवनशैली के अनुरूप सेवाएं चाहिए थीं। इसी के चलते ब्रिटिशकालीन शिमला में अनेक यूरोपीय कंपनियों ने व्यापार की नींव रखी।
Barrett & Co. एक ऐसी अनोखी यूरोपियन कंपनी रही, जिसने एक साधारण मांस की दुकान से अपने कारोबार की शुरुआत की और बाद में बिलियर्ड बेचने तथा बैंकिंग सेक्टर तक पाँव पसारे। शिमला की सामाजिक और आर्थिक धड़कनों के साथ तालमेल बिठाते हुए यह कंपनी ब्रिटिश और भारतीय अभिजात वर्ग की जीवनशैली का हिस्सा बन गई।
Barrett & Co. सिर्फ एक दुकान नहीं थी, वह शिमला की उस सामाजिक संरचना का हिस्सा बन चुकी थी, जहां वायसराय, लॉर्ड्स, मिलिट्री अफसर और अंग्रेज महिलाएं खरीदारी करती थीं। इसकी ग्राहकों की सूची में कई राजसी परिवार और यूरोपीय अधिकारी शामिल थे। मॉल रोड पर सुबह-सुबह यहाँ से ताज़ा मांस खरीदना अभिजात वर्ग की दिनचर्या मानी जाती थी।
सरकार भी खरीदती थी मांस
Barrett & Co. ने शिमला के माल रोड पर एक मीट शॉप के रूप में अपना काम शुरू किया। अंग्रेज अफसरों के लिए बीफ, पोर्क, हेम और सॉसेज की आपूर्ति करने वाली यह दुकान जल्द ही लोकप्रिय हो गई। यह मीट शॉप शिमला के माल रोड पर स्थित थी। माल रोड पर उस दौर की सबसे प्रतिष्ठित यूरोपीय दुकानें थीं।
Barrett & Co. गुणवत्ता और सफाई के मानकों पर खरा उतरती थी, जिसके चलते उसे जल्द ही मांस की सरकारी आपूर्ति का ठेका भी मिलने लगा।
बिलियर्ड टेबल्स बेचने का कारोबार
समय के साथ Barrett & Co के संचालकों ने यह समझ लिया कि शिमला के ब्रिटिश अधिकारियों और भारतीय रजवाड़ों की जीवनशैली सिर्फ खान- पान तक सीमित नहीं है, इसलिए कंपनी ने बिलियर्ड टेबल्स और खेल सामग्री की बिक्री भी शुरू की। जल्द ही शिमला क्लब, आर्मी ऑफिसर्स मेस और विभिन्न रिसॉर्ट्स में Barrett & Co. के बिलियर्ड टेबल्स की मांग बढ़ने लगी।
बैंकिंग सेवाओं की शुरुआत
Barrett & Co के कारोबारी सफर में एक और दिलचस्प तब मोड़ आया, जब कंपनी ने फाइनेंशियल सर्विसेज में प्रवेश किया। कंपनी ने कई यूरोपीय ग्राहकों के लिए बैंकिंग सेवाएं, जैसे मनी ट्रांसफर, मानी एक्सचेंज और कुछ लिमिटेड लोन सर्विसेज देनी शुरू कर दीं। कंपनी पूर्ण बैंक नहीं थी।
एक प्राइवेट बैंकिंग एजेंसी के रूप में काम करती थी। यह व्यवस्था उस दौर के ब्रिटिश अधिकारियों और व्यापारियों के लिए बेहद सुविधाजनक थी, जिन्हें इंग्लैंड या कोलकाता में पैसा भेजना होता था।
भारत की आजादी, कंपनी को झटका
स्वतंत्रता के बाद शिमला में ब्रिटिश प्रभाव पूरी तरह से हो गया, जिससे Barrett & Co के व्यवसायों को बड़ा झटका लगा। धीरे-धीरे इसकी बैंकिंग और खेल सामग्री की शाखाएं बंद हो गईं। मीट शॉप ने कुछ वर्षों तक स्थानीय ग्राहकों को सेवाएं दी, लेकिन 1960 के दशक तक यह कंपनी बंद हो गई।
बेशक वर्तमान में Barrett & Co. का शिमला के माल रोड पर कोई नामो निशान नहीं बचा है, लेकिन लेकिन पुराने अंग्रेजी नक्शों, कुछ अभिलेखागारों में यह नाम अब भी ज़िंदा है।
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