चंबा की महिला पत्रकार आंचल मोंगिया का संघर्ष

चंबा की महिला पत्रकार आंचल मोंगिया का संघर्ष
ऊंची उड़ान : लंदन की मैगजीन में प्रकाशित हुई चंबा की महिला पत्रकार आंचल मोंगिया के संघर्ष की प्रेरककथा
अशोक दर्द/ चंबा
चंबा के एक छोटे से गांव सराहन की महिला पत्रकार आंचल मोंगिया के पत्रकारिता में संघर्ष की प्रेरककथा लंदन की एक मैगजीन प्रकाशित हुई है। मैगजीन में दिखाया गया है कि किस तरह से गांव की लड़की चुनौतियों का सामना करते हुए खुद को समाज के आगे लाती है और आम लोगों की आवाज बनती है। स्थानीय बोली में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिम आँचल न्यूज़ चैनल का संचालन और रिपोर्टिंग करने वाली एक ग्रामीण प्रतिभा की यह एक बड़ी और शानदार उपलब्धि है। आंचल मोंगिया ग्रामीण परिवेश से आती हैं, जहां लैंगिंग भेदभाव जैसी कुरीतियां और चुनौतियां आज भी मौजूद हैं तथा लड़कियों से भेदभाव लाजमी सा है। समाज के तानों के बीच आंचल मोंगिया ने खुद को साबित किया है। आज खबरें पढ़ने के उनके अंदाज के देश- विदेश में हजारों फैन हैं। पत्रकार होने के साथ वह एक संवेदनशील और भावुक कवियत्री भी हैं।
कॉलेज पहुंचने वाली गांव की पहली लड़की
आंचल मोंगिया के पिता का नाम परशराम है और माता का नाम लीला देवी है। आंचल मोंगिया के दो भाई और एक बहन है। आंचल मोंगिया की प्लस टू तक की शिक्षा गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल साहू से की है। उन्होंने पीजी कॉलेज चंबा से ग्रेजुएशन और पीजीडीसीए की है।
आंचल मोंगिया कॉलेज पढ़ने वाली उस गांव की पहली लड़की थी। जब वह चंबा कॉलेज में पढ़ाई करने लगी तो गांव की दूसरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई। उसके बाद में गांव की बहुत सारी लड़कियां कॉलेज जाने लगीं।
पीटीआई सर और अनुशासन का पाठ
स्कूल में आंचल मोंगिया के फेवरिट टीचर पीटीआई भरत शर्मा थे। वह बचपन से ही एथलेटिक्स में एक्टिव रही हैं। पीटीआई सर से उन्हें बड़ी प्रेरणा मिलती थी। घर से स्कूल पहुंचने के लिए आंचल मोंगिया को पैदल एक घंटे का पैदल सफर करना पड़ता था।
स्कूल पहुंचने से पहले उन्हें रेस लगानी होती थी। गलती करने पर कई बार पीटीआई सर से डांट भी पड़ती थी। उन्होंने आँचल मोंगिया को अनुशासन और जीवन का पाठ सिखाया है, जो उसकी सबसे बड़ी पूंजी है।
टीवी के न्यूज एंकर बने प्रेरक
बचपन से ही आंचल मोंगिया को कुछ करने और आगे बढ्ने का जुनून था। बचपन में जब टीवी ऑन करती तो न्यूज़ एंकर को देखकर प्रेरित होती और एक नया जोश भर जाता। फिर दिल में ख्याल आया कि क्यों एक न्यूज़ रिपोर्टर बनू? टीवी पर न्यूज़ एंकर को देख – देख कर आँचल ने खुद को सजग बनाया और पत्रकारिता में खुद को झोंक दिया।
लोगों की धारणा थी कि यह तो लड़की है, यह क्या ही करेगी? तमाम ऐसे सवालों की परवाह किए बिना वह पॉजिटिव दृष्टिकोण लेकर आगे बढ़ती रही रही और चुनौतियां खुद गौण होती गईं।
पत्रकारिता हर रोज सिखाती है
आंचल मोंगिया का कहना है कि पत्रकारिता के क्षेत्र में हर दिन खुद को तैयार रखना होता है। सबसे अच्छी बात यह है कि हर रोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। चुनौतियां तो हर क्षेत्र में हैं, लेकिन एक लड़की के लिए पत्रकारिता ज्यादा चुनौतिपूर्ण हो जाती है।
लोगों का नजरिया है कि पत्रकारिता का क्षेत्र तो पुरुषों का है, लड़कियों का इसमें क्या ही काम। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां लड़कियां अपनी भूमिका अदा नहीं कर रही हैं। लड़कियों का पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय होना बहुत ही जरूरी है।
ग्रामीण लोगों की बुलंद आवाज
आंचल मोंगिया अब तक कम से कम डेढ़ सौ से साक्षात्कार में कर चुकी हैं। उन्होंने अलग-अलग फील्ड के नामचीन व जनसाधारण लोगों के इंटरव्यू किए हैं। वह दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर वहां के टैलेंट को समाज के सामने लाती हैं।
जो लोग आवाज उठा नहीं सकते, उनकी आवाज बनकर शासन- प्रशासन को खबरदार करती हैं।
बहुत सारी ऐसी औरतें जो अब तक गांव में कुछ नहीं कह पाती थी, आँचल उनकी आवाज बनी है। अब वे महिलाएं धीरे-धीरे अपनी आवाज को बुलंद करने लगी हैं।
पत्रकारिता संग लोक संस्कृति का संरक्षण
आंचल मोंगिया का एक ही लक्ष्य पत्रकारिता के साथ-साथ अपनी लोक संस्कृति को सँजोये रखना है। वह पत्रकारिता में बड़ा मुकाम हासिल करना चाहती हैं, इसके लिए बड़ी मेहनत करती हैं। सूचनाओं के लिए वह हमेशा सजग रहती हैं।
आंचल मोंगिया को उनके शानदार काम के लिए कई पुरस्कार मिले हैं। उन्हें बिटियां फाउंडेशन की ओर से 2025 में नेशनल एक्सीलेंस अवार्ड दिया गया है। 2024 में एक संस्था ने उन्हें नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था। 2021-22 में कांगड़ा की एक संस्था ने डायमंड अवार्ड दिया था।
अपना लक्ष्य निर्धारित करें, संघर्ष करें
खुद की प्रतिभा के दम पर अपना मुकाम हासिल करने की चाहत रखने वाली लड़कियों से आंचल मोंगिया कहती हैं कि यह मत सोचें कि आप सिर्फ लड़की हैं, बल्कि यह सोचकर चलिए कि आपको अपनी मंजिल तक पहुंचना है। अगर आप सही है तो समाज का नकारात्मक पक्ष आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
अपने आप को सही तरीके से रखें और समाज में आगे बढ़ें। बढ़ते जाइए और संघर्ष करते रहिए। दुनिया की बातों की बिल्कुल परवाह न करें। उनकी तरफ जरा भी ध्यान न दें। अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसके हिसाब से आगे बढ़े।

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Jyoti maurya

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