तकनीक : कांगड़ा से इच्छा भेदी बाण चलाकर राजा बाण वट्ट ने चीन के तीन दुर्ग कर दिये थे नष्ट

तकनीक : कांगड़ा से इच्छा भेदी बाण चलाकर राजा बाण वट्ट ने चीन के तीन दुर्ग कर दिये थे नष्ट
तकनीक : कांगड़ा से इच्छा भेदी बाण चलाकर राजा बाण वट्ट ने चीन के तीन दुर्ग कर दिये थे नष्ट
विनोद भावुक/ कांगड़ा
श्री राम और रावण के समकालीन नगरकोट (कांगड़ा) के राजा बाण वट्ट इतने लोकप्रिय थे कि उनकी वीरगाथाएं आज भी कांगड़ा जनपद सुनाई जाती हैं। धर्म और अध्यात्म का केंद्र होने के साथ उनका साम्राज्य वैज्ञानिक उन्नति में बहुत आगे था। एक बार नगरकोट (कांगड़ा) के राजा बाणवट्ट ने अपने राज्य से ही इच्छा भेदी बाण चला कर चीन के राजा के तीन दुर्गों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था। इतिहास की त्रैमासिक शोध पत्रिका ‘इतिहास दिवाकर’ के अप्रैल 2008 के अंक में इतिहासकर डॉ रमेश शर्मा अपने शोधपरक आलेख, ‘विश्व का आदर्श सम्राट : राजा बाणवट्ट’ में इसका उल्लेख किया है।
चीन के तत्कालीन शासक ने बड़ी संख्या में अपने गुप्तचर भेजकर नगरकोट के किले की सुरक्षा व्यवस्था जांचनी चाही। राजा बाणवट्ट गुप्तचारों से बोले कि उनकी बात छोड़ों, अपनी सुरक्षा की बात बताओ। इस पर चीन के गुप्तचर बोले कि उनके राजा के तीन दिशाओं में तीन बड़े दुर्ग हैं, जो अमुक-अमुक स्थान पर है। गुप्तचर जब अपने देश लौटे तो उन्हें हैरत हुई कि जिस दिन उनकी राजा बाण वट्ट से जिन तीन दुर्गों की बात हुई थी, उसी दिन तीनों दुर्गों पर इच्छा भेदी बाण से बाण वर्षा हुई थी और उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया था।
अपने हाथ की कमाई का दान
एक बार एक सन्यासी राजा बाण वट्ट के महल में आया। राजा ने हीरे- जवाहारात और मोतियों से उसकी झोली भर दी। सन्यासी जिद पर अड़ गया कि वह भिक्षा तभी ग्रहण करेगा, जब राजा अपने हाथ की कमाई का दान करेगा। वह गरीबों के कर से बने खजाने का दान स्वीकार नहीं करेगा। राजा का दानी होने का अभिमान चकनाचूर हो गया। सन्यासी यह कहकर चला गया कि वह भिक्षा लेना बाद में आएगा और राजा के हाथ की कमाई का ही दान लेगा।
तब राजा ने बाण बट्टने का काम शुरू किया, जिससे अपना तथा रानी का खर्चा चलाने लगा। इसी से उसका नाम बाण वट्ट प्रसिद्ध हुआ। कुछ समय के बाद सन्यासी फिर आया। राजा ने उसे अपने हाथ की कमाई की भिक्षा दी, जिसके बदले सन्यासी ने दिव्य आशीर्वाद दिया।
नारी के नौलक्खे हार की लोककथा
जनश्रुति है कि बाण वट्ट की रानी धर्मबल के चलते कांगड़ा किले के चौबारे से कच्चे सूत के धागे से घड़ा बांध कर कुएं में डाछती और खींचकर पानी लाती थी। राजमहल के आयोजित एक समारोह में रानी के साधारण पहरावे को लेकर महिलाओं ने फब्बतियां कसी। इस पर रानी ने राजा से आभूषण उपलब्ध कराने का हठ किया।राजा ने रानी को बहुत समझाया, लेकिन वह हठ पर कायम रही।
राजा ने अपने मित्र रावण से मदद मांगी। ऐसा भी माना जाता है कि नौ लक्खा हार बनाने के लिए राज्य के नौ लाख परिवारों पर एक-एक पैसा कर लगाया गया। रानी हार पहनकर बहुत खुश हुई। अगली सुबह जब सूत से बांध कर घड़ा कुएं में डूबोआ तो सूत दूट गया। राजा ने रानी को समझाया कि यह उसके हठ का परिणाम है। इस पर रानी ने नौ लक्खा हार रावण को भिजवा दिया।
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https://himachalbusiness.com/before-democracy-there-was-a-devtantra-on-the-mountain-even-today-many-disputes-are-settled-in-the-dev-adalat/

Jyoti maurya

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