Temple of Himachal Pradesh प्रेमियों को पनाह देते शंगचुल

विनोद भावुक/ मंडी
Temple of Himachal Pradesh की संख्या 2 हजार बताई जाती है। हर मंदिर की अपनी एक दिलचस्प कहानी है। कुल्लू का शंगचुल महादेव मंदिर भी इन्हीं में से एक है, जिसका संबंध महाभारत काल से है।
कुल्लू की सैज बैली में बसे शांघड़ गांव में पांडव काल की कई ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है Temple of Himachal Pradesh शंगचुल महादेव मंदिर,जहां घर से भागे प्रेमियों को आश्रय मिलता है।
प्रकृति की खूबसूरती के बीच स्थित शंगचूल महादेव के बारे में माना जाता है कि उनकी सीमा में किसी भी जाति का प्रेमी युगल अगर पहुंच जाए तो उनको कोई कुछ कह नहीं सकता, जब तक वे इस मंदिर की सीमा रहते हैं, उन्हें कोई कुछ नहीं कह सकता है। यहां तक कि जोड़े के परिवार वाले भी उनसे कुछ नहीं कह सकते।
मंदिर का पांडवों से संबंध
इस Temple of Himachal Pradesh का संबंध पांडव काल से बताया जाता है। गांव में ऐसा कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां कुछ समय के लिए रुके थे।
कौरव उनका पीछा करते हुए यहां आ गए, लेकिन तब शंगचुल महादेव ने कौरवों को रोका और कहा कि यह मेरा क्षेत्र है और जो भी मेरी शरण में आएगा, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
महादेव के डर से कौरव वापस लौट गए। तब से लेकर आज तक जब भी कोई समाज का ठुकराया हुआ शख्स या प्रेमी जोड़ा यहां शरण लेने के लिए पहुंचता है तो स्वयं महादेव उसकी देखरेख करते हैं।
जल गया था मंदिर, फिर हुआ पुनर्निमाण
वर्ष 2015 में आधी रात को अचानक मंदिर सहित 20 मूर्तियां व 3 मकानों में आग लग गई थी। द्वापर युग में पांडवों के समय में बना शंगचुल महादेव मंदिर जलकर राख हो गया था।
इसके बाद इस Temple of Himachal Pradesh का फिर निर्माण करवाया गया। ये मंदिर 100 बीघा में फैला है शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र करीब 100 बीघा मैदान तक फैला है।
इस सीमा में कदम रखने वाले प्रेमी युगल को देवता की शरण में आया मान लिया जाता है। शंगचुल महादेव मंदिर का सीमा क्षेत्र में जैसे ही कोई प्रेमी युगल पहुंचता है वैसे ही उसे देवता की शरण में आया हुआ मान लिया जाता है।
यहां भागकर आए प्रेमी युगल के मामले जब तक सुलझ नहीं जाते तब तक मंदिर के पंडित उनकी खातिरदारी करते हैं।
बाहर के लोगों पर प्रतिबंध
इस Temple of Himachal Pradesh में लोग अपनी विरासत के नियमों का पालन कर रहे हैं। इस गांव में पुलिस के आने पर भी प्रतिबंध है। वहीं, यहां के नियम भी सख्त हैं। यहां शराब, सिगरेट और चमड़े का सामान नहीं ला सकते।
साथ ही गांव में हथियार लेकर प्रवेश करना भी निषेध है। गांव में लड़ाई झगड़ा ही नहीं होता। यहां ऊंची आवाज में बात करना भी मना है। यहां के लोग देवता को बहुत मानते हैं और उनके फैसले का पूरी तरह अनुसरण करते हैं। यहां देवता का ही फैसला मान्य होता है।
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