विदेश तक पहुंचेगा कांगड़ा की ‘मलाई बर्फी’ का स्वाद, सदी पुरानी देसी आइसक्रीम को दुनिया देगी दाद

विदेश तक पहुंचेगा कांगड़ा की ‘मलाई बर्फी’ का स्वाद, सदी पुरानी देसी आइसक्रीम को दुनिया देगी दाद
विनोद भावुक/ धर्मशाला
अपने खास जायके के लिए मशहूर कांगड़ा की ‘मलाई बर्फी’ का स्वाद अब विदेश तक पहुंचेगा। इतना ही नहीं, ‘मलाई बर्फी’ अब सिर्फ गर्मी और बरसात के सीजन में ही नहीं मिलेगी, सर्दियों में इसके दीवाने इसका आनंद ले सकेंगे। ‘मलाई बर्फी’ अब परंपरागत स्वाद सहित आम, स्ट्रॉबेरी और चॉकलेट जैसे कई फ्लेवर्स में उपलब्ध होगी। इसमें कई तरह की हर्ब्स एड किए जाएंगे, ताकि कांगड़ा की लोक संस्कृति की पहचान बन चुकी है यह डिश स्वादिष्ट होने के साथ स्वास्थ्यवर्धक भी हो।
हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग ने एक सदी से भी पुराने कांगड़ा के ‘मलाई बर्फी’ (पारंपरिक आइसक्रीम) उद्योग को नई सांसे देने की पहल की है। इस इंडस्ट्री को एक कलस्टर के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इस सिलसिले में उद्योग विभाग ने बीते दिनों इस पारंपरिक इंडस्ट्री के हितग्राहियों से धर्मशाला में बैठक कर इस उद्योग को पुनर्जीवित कर विकसित करने का खाका तैयार किया है।
आखिरी सांसें गिन रहा है ‘मलाई बर्फी’ उद्योग
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के कांगड़ा और नगरोटा बगवां उपमंडलों के कई गांवों में अंग्रेजी राज के दौरान से ही ताज़ा दूध, खोया, मलाई, चीनी और इलायची मिलाकर ‘मलाई बर्फी’ बनती आ रही है। इसके लिए खड्डों किनारे छोटे- छोटे यूनिट्स स्थापित किया गए हैं, जहां मिशीनरी इन्स्टाल की गई है। एक यूनिट से एक दिन में दो ही ब्रिक तैयार होते हैं। ‘मलाई बर्फी’ को बट वृक्ष के पत्ते पर परोसा जाता है।
‘मलाई बर्फी’ बनाने के लिए बहते पानी और जमाने के लिए विशेष शुष्क गैस की जरूरत होती है। मिशीनरी सौ साल से भी ज्यादा पुरानी हो चुकी है और शुष्क गैस की सप्लाई अमृतसर से होती है। ऐसे में अधिकतर ‘मलाई बर्फी’ उत्पादक इस परंपरागत उद्योग से किनारा कर चुके हैं। उद्योग विभाग की पहल से अब इस उद्योग के फिर से जीवित होने की उम्मीद बंधी है।
तरोताजा और जवान रखती ‘मलाई बर्फी’
चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबित कांगड़ा की परम्परागत ‘मलाई बर्फी’ स्वाद व पोषण का अनोखा मेल है। इसमें प्रयोग होने वाली दूध की मलाई प्रोटीन, विटामिन ए, डी और ई से भरपूर होती है, जो आंखों की रोशनी, हड्डियों की मजबूती और रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ाने के लिए फायदेमंद है।
मलाई में मौजूद लेकटिक एसिड त्वचा को चमकदार बनाए रखता है और डार्क स्पॉट्स को हल्का करता है। यह उम्र के असर को भी धीमा करने में मदद करता है। विशेषज्ञों के मुताबित इसमें कई हर्ब्स को शामिल कर इसे एनेर्जी स्वीट डिश के तौर पर ब्रांड किया जा सकता है।

यूनिट्स अपग्रेडेशन, टेक्नोलोजी इनोवेशन
हिमाचल प्रदेश उधयोग विभाग के अतिरिक्त निदेशक तिलक राज शर्मा का कहना है कि कांगड़ा की ‘मलाई बर्फी’ सिर्फ स्वाद ही नहीं, स्वास्थ्य, संस्कृति और परंपरा का स्वादिष्ट मिलन है। ग्लोबल मार्केटिंग के दौर में सांस्कृतिक विरासत और स्थानीय व्यावसायिता को सुरक्षित रखने के लिए ‘मलाई बर्फी’ इंडस्ट्री को कलस्टर बनाकर विकसित किया जा रहा है।
इस धरोहर डिश को जिंदा रखे परम्परागत कारोबारियों के साथ संवाद के बाद विभागीय अधिकारी इस उद्योग के रिवाइबल के लिए मॉडल डिवैलप करने के जुटे हैं। जल्द ही इसकी वैल्यू चेन के यूनिट्स अपग्रेडेशन, टेक्नोलोजी इनोवेशन और प्रॉडक्ट वैल्यू एडिशन जैसे प्रयास जमीनी स्तर पर दिखेंगे और प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी संग मार्केट विस्तार पर भी काम होगा।
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