कभी पढ़ाई के लिए था सुविधाओं का अभाव, कड़ी मेहनत से दिया किस्मत को जवाब, एम्स ऋषिकेश के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. राज बहादुर की प्रेरककथा

कभी पढ़ाई के लिए था सुविधाओं का अभाव, कड़ी मेहनत से दिया किस्मत को जवाब, एम्स ऋषिकेश के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. राज बहादुर की प्रेरककथा
हिमाचल बिजनेस/ ऊना
स्पाइनल सर्जरी के लिए विश्व विख्यात डा. राज बहादुर को एम्स ऋषिकेश का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कम ही लोगों को पता है कि उनकी चमचमाती कामयाबी के पीछे कड़ी मेहनत है। हिमाचल प्रदेश के ऊना के एक साधारण परिवार में 5 जून 1951 को पैदा हुए राज बहादुर के पिता नंगल डैम में कार्यरत थे। आर्थिक तंगी के कारण सुविधाओं के अभाव में स्कूली पढ़ाई के दौरान उन्हें ऐसे भी दिन देखने को मजबूर होना पड़ा, जब पाँवों को जूते नसीब न होने के चलते उन्हें नंगे पांव स्कूल जाने को मजबूर होना पड़ा।
बावजूद इसके उन्होंने कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया और कड़ी मेहनत से किस्मत को जवाब दिया। संसाधनों के अभाव के बावजूद वे अपनी काबलियत से न केवल डॉक्टर बने, बल्कि स्पाइनल सर्जरी में महारत हासिल कर चिकित्सा के क्षेत्र में चार दशक के अनुभव के साथ अपने हुनर का लोहा मनवाया। एम्स ऋषिकेश का अध्यक्ष बनने मुख्यमंत्री सुखबिन्द्र सिंह सुक्खू और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बधाई दी है।
शिमला की थी पहली स्पाइन सर्जरी
राज बहादुर ने साल 1970 में पंजाब यूनिवर्सिटी से बीएससी की पढ़ाई की। साल 1974 में शिमला से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। साल 1979 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से आर्थो में एमडी की डिग्री ली। 1976 में डॉ राज बहादुर आईजीएमसी शिमला में सर्जन रहे। डा. राज बहादुर ने पहली स्पाइन सर्जरी शिमला में 1976 में की थी। वह हिमाचल प्रदेश की पहली स्पाइन सर्जरी थी।
डा. राज बहादुर ने कुल्लू जिला अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन के तौर पर अपनी खास पहचान बनाई। बाद में उन्होंने डाक्टर तुली की देखरेख में बनारस में स्पाइन सर्जरी विशेषज्ञता हासिल की। उन्होंने ब्रिटेन में दो साल विशेषज्ञता हासिल की। डॉ. राज बहादुर इसके बाद रोहतक मेडिकल कालेज के आर्थोपेडिक के रजिस्ट्रार रहे और जनवरी 2006 से नंवबर 2007 तक पीजीआई के आर्थोपेडिक विभाग के हेड और प्रोफेसर रहे।
चंडीगढ़ को दिया सबसे ज्यादा समय
डा. राज बहादुर साल 1984 से नियमित स्पाइनल व ज्वाइंट हिप्प रिप्लेसमेंट की सर्जरी कर रहे हैं और हर रोज औसतन एक सर्जरी करते आ रहे हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पुड्डुचेरी, दिल्ली, और पंजाब में सेवाएं प्रदान की हैं, लेकिन अपनी सेवा का सबसे ज्यादा समय चंडीगढ़ को दिया है।
दिसंबर, 2014 में डा. राज बहादुर बाबा फरीद यूनिर्वसिटी के वाइस चासंलर नियुक्त हुए। तीन साल बाद उन्हें इस पद पर सेवाविस्तार मिला। कोरोना काल में उनके बेहतरीन काम को देखते हुए उनका कार्यकाल फिर बढ़ा दिया था। बाबा फरीद मेडिकल यूनिर्वसिटी के वीसी के रूप में डा. राज बहादुर का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा।
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