तीर्थन नदी : ट्राउट मछली के लिए मशहूर वर्ल्ड हेरिटेज ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से बहने वाली हिमाचल प्रदेश की इकलौती नदी, जिसपर एक भी हाइड्रो प्रोजेक्ट नहीं

तीर्थन नदी : ट्राउट मछली के लिए मशहूर वर्ल्ड हेरिटेज ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से बहने वाली हिमाचल प्रदेश की इकलौती नदी,  जिसपर एक भी हाइड्रो प्रोजेक्ट नहीं
तीर्थन नदी : ट्राउट मछली के लिए मशहूर वर्ल्ड हेरिटेज ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से बहने वाली हिमाचल प्रदेश की इकलौती नदी, जिसपर एक भी हाइड्रो प्रोजेक्ट नहीं
विनोद भावुक/ तीर्थन
आइये आज जानते हैं हिमाचल प्रदेश की उस इकलौती नदी के बारे में जिस पर एक भी हाइड्रो प्रोजेक्ट नहीं लगा है। यह नदी ट्राउट मछली के लिए मशहूर है और वर्ल्ड हेरिटेज ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क से होकर बहती है। तीर्थन नदी कई मायनों में अन्य नदियों से अनूठी है। कुल्लू की तीर्थन घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को 2014 में यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिल चुका है।
तीर्थन नदी इसी घाटी से होकर बहती है। ऐसा नहीं है कि इस नदी में बहने वाले जल से बिजली बनाने के प्रयास न हुए हों, लेकिन स्थानीय लोगों की कानूनी लड़ाई से इस पहाड़ी नदी का गला घुटने से बच गया। अब तीर्थन घाटी पर्यटन मानचित्र पर अपनी ख़ास पहचान बना रही है तो घाटी से कलकल करती बहती तीर्थन नदी का सौन्दर्य इसकी एक ख़ास वजह है।
हाईकोर्ट के ऑर्डर के चलते नहीं लगे पावर प्रोजेक्ट
साल 2006 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय शिमला ने एक ऐतिहासिक फैसले में जल विद्युत् उत्पादन के नाम पर नदियों के साथ हो रही ज्यादती से तीर्थन को आजाद कर दिया था। ऐसा नहीं है कि इस नदी के पानी से बिजली बनाने के प्रयास न हुए हों। इस नदी पर 9 प्रोजेक्ट प्रस्तावित थे और बिजली दोहन के लिए देश के कई बड़े कारोबारी घराने निवेश को तैयार थे।
साल 2002 में स्थानीय लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। जून, 2006 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने तीर्थन नदी पर किसी भी तरह का कोई हाइडल प्रोजेक्ट न बनाने का आदेश जारी कर दिये। गौरतलब है कि ब्रिटिश राज के दौरान साल 1925 में ब्रिटिश सरकार ने भी इस नदी घाटी में किसी भी तरह के हाइडल प्रोजेक्ट स्थापित करने पर प्रतिबंध लगाया था।
तीर्थन लुप्त हो रहे वन्यप्राणियों की शरणस्थली
कुल्लू की तीर्थन घाटी कई लुप्तप्रायः प्रजातियों का बसेरा है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, वेस्टर्न ट्रेगोपैन व चीड़ फेजेंट सहित सैंकड़ों प्रजातियों के पशु- पक्षी रहते हैं। इस घाटी में पुरातन विशाल देवदारों सहित विभिन्न तरह के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। तीर्थन घाटी ट्राउट मछलियों के लिए भी प्रसिद्ध है। 1976 में हिमाचल सरकार प्रदेश ने ट्राउट मत्स्य पालन के संरक्षण के आदेश दिए थे।
तीर्थन घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को 2014 में यूनेस्को से विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के बाद यह घाटी दुनिया भर के लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गई है।
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Jyoti maurya

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