Tomato King टमाटर उगाने वाले पहले हिमाचली देवी चंद मेहता

Tomato King टमाटर उगाने वाले पहले हिमाचली देवी चंद मेहता
विनोद भावुक/ सोलन
सोलन टमाटर की खेती में नई इबारत लिख रहा है और हर साल 100 करोड़ रुपए से अधिक टमाटर का करोबार हो रहा है। सोलन का टमाटर न केवल दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की मंडियों तक पहुंचा बल्कि बाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान भी जाता रहा है। टमाटर उत्पादन में सोलन को देश का सिरमौर बनाने का श्रेय सोलन के Tomato King देवी चंद मेहता को जाता है। उनके अथक प्रयासों से न केवल टमाटर की खेती में क्रांति आई, बल्कि टमाटर ने किसानों की किस्मत बदल दी और सामाजिक- आर्थिक बदलाव की क्रांति की।

टमाटर उत्पादन में सोलन को देश का सिरमौर बनाने का श्रेय सोलन के Tomato King देवी चंद मेहता को जाता है। उनके अथक प्रयासों से न केवल टमाटर की खेती में क्रांति आई, बल्कि टमाटर ने किसानों की किस्मत बदल दी और सामाजिक- आर्थिक बदलाव की क्रांति की।

Tomato King: सपरून घाटी से हुई शुरुआत

हिमाचल प्रदेश में टमाटर उगाने का इतिहास बताता है कि 1942 में सबसे पहले टमाटर की खेती सोलन की सपरून घाटी में की गई थी। कृषि विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार Tomato King देवी चंद मेहता ने कोलकाता की संस एंड संज कंपनी से टमाटर का प्रमाणिक बीज गेहूं की फसल में रिले के तौर पर बीजा था। 1943-44 में घाटी के और कई किसानों ने टमाटर की खेती की ओर रुख किया।

मालगाड़ी से दिल्ली जाता था टमाटर

मेहता ने सपरून, कंडाघाट, ओच्छघाट, कालाघाट और नारग में टमाटर संग्रहण केन्द्र स्थापित किए। Tomato King अपनी अमेरिकन मेड विलीज जीप में ट्राली लगाकर संग्रहण केन्द्रों से टमाटर एकत्रित कर सोलन लाया करते थे।

शुरू में किसान टमाटर को कनस्तर में पैक करके मालगाड़ी से दिल्ली भेजा करते थे। कनस्तर की एक चाबी किसान के पास और दूसरी चाबी आढ़ती के पास होती थी। वर्ष 1945 के आसपास किसानों ने टमाटर को सनलाईट साबुन व संतरे की पेटियों में भेजना आरम्भ किया। मेहता ने सपरून, कंडाघाट, ओच्छघाट, कालाघाट और नारग में टमाटर संग्रहण केन्द्र स्थापित किए। Tomato King अपनी अमेरिकन मेड विलीज जीप में ट्राली लगाकर संग्रहण केन्द्रों से टमाटर एकत्रित कर सोलन लाया करते थे।

मुंबई और कोलकाता की मंडियों में दस्तक

Tomato King देवी चंद मेहता के प्रयासों से ही सोलन का टमाटर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की मंडियों तक पहुंचा। उन्होंने 1958 में एक जीप  खरीदी और 1960 में एक मार्सडीज़ ट्रक भी खरीद लिया। टमाटर की पैकिंग के लिए लकड़ी की पेटियां बनाने के लिए उन्होंने आरा मशीन भी लगाई। सर्दियों के मौसम में वे कद्दू बेचने के लिए फ्रंटीयर मेल से लाहौर जाते थे।

 लाल सोने की धरती सोलन 

11 जुलाई 1923 को पैदा हुए देवी चंद मेहता ने बेशक स्कूली पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन टमाटर की खेती की उनकी समझ ने सोलन के किसानों की तकदीर बादल दी। अब सुबाथू, सलोगड़ा, जौणाजी, ओच्छघाट तथा आसपास के इलाके टमाटर उत्पादन में नए रिकॉर्ड बना रहे हैं। नवंबर 1992 में बेशक मेहता भगवान को प्यारे हो गए, लेकिन उनके प्रयासों का फल है कि आज सोलन को लाल सोने की धरती के नाम से देश भर में जाना जाता है।
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