Tree House : पैसे पेड़ों पर उगते हैं भाई!

Tree House :  पैसे पेड़ों पर उगते हैं भाई!
आरती ठाकुर / कुल्लू 
Tree House के अपने इस इनोवेटिव आइडिया से वह पर्यटन के क्षेत्र में वे न केवल कई स्थानीय युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं, बल्कि छोटा सा जीभी गांव अब पर्यटन मानचित्र पर अपनी नई पहचान बनाने में कामयाब हो रहा है। राहुल अपने इस अनूठे बिज़नेस से सालाना एक करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर कमा रहे हैं और इस बात को साबित कर रहे हैं कि पैसे पेड़ पर भी उगते हैं।

Tree House बनाने का बिजनस आइडिया

तेलंगाना  के 28 साल के युवा इंजीनियर राहुल कोप्पुला के स्टार्टअप की सफलता की कहानी को पढ़ लीजिए, जो कुल्लू के जीभी में बनाए Tree House के जरिए सालाना एक करोड़ की कमाई कर रहे हैं। Tree House : कौन कहता है कि पैसे पेड़ों पर नहीं उगते? पैसे पेड़ों पर भी उगते हैं, यकीन नहीं आता तो आपको लेतंगाना के 28 साल के युवा इंजीनियर राहुल कोप्पुला के स्टार्टअप की सफलता की कहानी को पढ़ लीजिए, जो कुल्लू के जीभी में बनाए ट्री हाउस के जरिए सालाना एक करोड़ की कमाई कर रहे हैं।

तेलंगाना के एक छोटे से शहर निर्मल के रहनेवाले राहुल ने इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। उन्होंने साल 2016 में कपड़ों का बिज़नेस शुरू किया, लेकिन वह बिज़नेस सक्सेस नहीं हुआ तो उन्होंने बिज़नेस के दूसरे विकल्पों के बारे में सोचना शुरू किया। वे साल 2018 में जीभी घूमने आए तो यहां 100 साल पुराने पेड़ों को देखकर उन्हें Tree House बनाने का बिजनस आइडिया आया। इस आइडिया ने उन्हें इतना रोमांचित किया कि उन्होंने गांववालों से ज़मीन लीज़ पर लेकर ट्री हाउस बनाने का निर्णय लिया।

और बन कर तैयार हो गया Tree House

वे साल 2018 में जीभी घूमने आए तो यहां 100 साल पुराने पेड़ों को देखकर उन्हें Tree House बनाने का बिजनस आइडिया आया। इस आइडिया ने उन्हें इतना रोमांचित किया कि उन्होंने गांववालों से ज़मीन लीज़ पर लेकर ट्री हाउस बनाने का निर्णय लिया। Tree House बनाने की ज्यादा जानकारी न होने के बावजूद उन्होंने मार्च 2018 में जीभी में Tree House बनाने की पहल की। उन्होंने इंटरनेट को जम कर सर्च किया और दुनिया भर के विभिन्न देशों में बने अलग-अलग Tree House की जानकारियां इकट्ठा की।

Tree House बनाने की ज्यादा जानकारी न होने के बावजूद उन्होंने मार्च 2018 में जीभी में Tree House बनाने की पहल की। उन्होंने इंटरनेट को जम कर सर्च किया और दुनिया भर के विभिन्न देशों में बने अलग-अलग Tree House की जानकारियां इकट्ठा की। जुलाई 2018 में कुछ लोकल कारीगरों के साथ अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। इस ट्री हाउस के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय चीजों का प्रयोग हुआ। कुछ महीनों की कड़ी मेहनत के बाद उनका पहला ट्री हाउस The Hidden Burrow बनकर तैयार हो गया।

 पर्यावरण के अनुकूल प्रोजेक्ट

जुलाई 2018 में कुछ लोकल कारीगरों के साथ अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। इस ट्री हाउस के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय चीजों का प्रयोग हुआ। कुछ महीनों की कड़ी मेहनत के बाद उनका पहला ट्री हाउस The Hidden Burrow बनकर तैयार हो गया। राहुल ने इस Tree House को बनाने में शुरू में दस लाख रुपए का निवेश किया। अगले साल एक और Tree House बनाया और वर्तमान में उनके पास पर्यटकों के लिए कुल तीन ट्री हाउसेज़ हैं।

राहुल ने इस Tree House को बनाने में शुरू में दस लाख रुपए का निवेश किया। अगले साल एक और Tree House बनाया और वर्तमान में उनके पास पर्यटकों के लिए कुल तीन ट्री हाउसेज़ हैं। Tree House बनाने की सफलता के बाद राहुल ने लीज पर जमीन लेकर कुछ पत्थर के कॉटेज और एक कैफ़े भी बनाया। राहुल का यह प्रोजेक्ट को पर्यावरण के अनुकूल है, जहां लोगों को प्रकृति के साथ रहने का असली आनंद मिलता है। Tree House बनाने में राहुल ने कुछ लोकल लोगों की मदद भी की है।

Tree House की सोशल मीडिया के ज़रिए ब्रांडिंग

Tree House बनाने की सफलता के बाद राहुल ने लीज पर जमीन लेकर कुछ पत्थर के कॉटेज और एक कैफ़े भी बनाया। राहुल का यह प्रोजेक्ट को पर्यावरण के अनुकूल है, जहां लोगों को प्रकृति के साथ रहने का असली आनंद मिलता है।

राहुल ने सोशल मीडिया के ज़रिए अपने Tree House की ब्रांडिंग शुरू की। हैरानी की बात है है कि जब राहुल का ट्री हाउस अभी निर्माणाधीन ही था, लोग इसकी बुकिंग कराने आते थे। इसी से राहुल समझ गया था कि यह एक अच्छा बिज़नेस साबित होगा। जब राहुल ने जीभी में ट्री हाउस बनाया तब तक Tree House शिमला या कुल्लू में थे। उन्होंने जीभी में पहला ट्री हाउस बनाकर गांव के कई लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाया और पर्यटकों की संख्या बढ़ाने में मदद भी की।
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