World Music Day लोक संगीत को देश- विदेश में बनाया लोकप्रिय, हिमाचल प्रदेश की 39 लोकतालों को लिपिबद्ध कर गए लोक गायक, लेखक,नर्तक एवं संगीत निदेशक मोहन राठौर
देव भारद्वाज/ ठियोग
World Music Day पर आज की कहानी एक ऐसे हिमाचली संगीतकर की, जिसने पहाड़ की लोकतालों को लिपिबद्ध कर धरोहर संरक्षण के अनूठे प्रयास किए। मोहन राठौर हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे कलाकार हुए, जिन्होंने लोक संगीत को देश- विदेश लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने प्रदेश की 39 लोकतालों को लिपिबद्ध किया। लोक गायक, लेखक, नर्तक एवं संगीत निदेशक के रूप में वे 55 वर्षों प्रदेश की लोक संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में जुटे रहे। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी से अनुसंधान अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए मोहन राठौर को विरासत में मिली गायकी। World Music Day पर उनकी सतत साधना को शत शत नमन।
बचपन में शुरू किया गायन
मोहन राठौर का जन्म 5 नंवबर 1946 को शिमला जिला की ठियोग तहसील के झेठा कुफर में हुआ। मोहन राठौर को गायकी विरासत में मिली थी। उनके पिता स्वर्गीय कांशीराम झेठा एक प्रसिद्ध लोक गायक, नर्तक, आशु कवि और गाथा गायक थे। 5 वर्ष की आयु से मोहन राठौर ने गाना आरंभ कर दिया था और जीवन के आखिरी दिनों तक वे स्वरांजलि कला केंद्र का संचालन कर प्रदेश के युंवाओं को लोकगीत-संगीत की शिक्षा प्रदान करते रहे। 24 फरवरी 2022 को 76 की उम्र में उनका देहावसान हो गया।
एल.पी.रिकार्ड और ऑडियो कैसटों में गायन
मोहन राठौर लोक एंव सुगम संगीत में वर्ष 1966 से दूरदर्शन और आकाशवाणी के बी हाई गायक कलाकार थे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश भाषा एंव संस्कृति विभाग व एच.एम.वी.दिल्ली द्वारा निर्मित एल.पी.रिकार्ड में लोक गीतों का गायन एंव संगीत संयोजन किया। उन्होंने इंडिया टुडे द्वारा निर्मित हिमाचल प्रदेश के लोकगीतों की ऑडियो कैसटों में लोकगीतों का गायन एंव संगीत संयोजन किया। उन्होंने हिमाचल कला, संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा निर्मित 13 ऑडियो कैसटों में संगीत संयोजन, निर्देशन, गायन तथा सैकड़ों गीतों की स्वरलिपियां तैयार कीं।
लोकगीतों का संकलन, हिमाचल का लोक संगीत पुस्तक का संपादन
मोहन राठौर ने हिमाचल प्रदेश के 200 पारंपरिक लोकगीतों का संकलन किया और पुस्तक का संपादन किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पांरपरिक लोकनाट्यों पर अनुसंधानात्मक कार्य किया और प्रदेश के लोकनाट्यों ,लोकनृत्यों, लोकगीतों, लोकतालों का प्रलेखन एंव फिल्माकन किया। उन्होंने प्रदेश की लोकगाथाओं का संकलन किया और लोक रामायण, लोक महाभारत, लोक भररथरी की गायन शैलियों पर विशेष अनुसंधान किया। उन्होंने हिमाचल अकादमी द्वारा प्रकाशित ‘हिमाचल प्रदेश का लोक संगीत ’पुस्तक का संपादन किया।
सांस्कृतिक दलों का नेतृत्व
मोहन राठौर ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान योजना के अंतर्गत राज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय एंव अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश के सांस्कृतिक दलों का नेतृत्व किया। उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का मंचन, संगीत कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन किया। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में उनके लोकगीत, संगीत और संस्कृतिक संबंधी लेखों का प्रकाशन हुआ। उनकी आकशवाणी, दूरदर्शन से लोक संगीत एंव संस्कृति से संबधित वार्ताएं प्रसारित हुई।
प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से नाता
मोहन राठौर को विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा लोकगीत और लोक संगीत के क्षेत्र में विशिष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया। वे प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ की कार्यकारिणी एंव सामान्य परिषद् के स्थायी सदस्य रहे। उन्हें प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी ने महाराजा संसार चंद अकादमी ‘शिखर कला सम्मान 2017 से सम्मानित किया।