Writer of Himachal Pradesh : विरासत के सृजक डॉ. ओसी हांडा

Writer of Himachal Pradesh :  विरासत के सृजक डॉ. ओसी हांडा
  • इतिहास, पुरातत्व, लोक साहित्य, वास्तुकला, जन जीवन, जनजातीय संस्कृति और बौद्ध परंपरा का गहन अध्ययन और लेखन

विनोद भावुक/ मंडी

अगर आप हिमाचल प्रदेश के इतिहास, पुरातत्व, काष्ठकला, लोक साहित्य, वास्तुकला, जन जीवन, जनजातीय संस्कृति, बौद्ध परंपरा को पढ़ने के जिज्ञासु हैं तो आपको Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओसी हांडा की लिखी पुस्तकों को जरूरी पढ़ना चाहिए।

डॉ. ओसी हांडा ने अपने जीवन के पचास साल इन्हीं विषयों पर कालजयी एवं शोधपरक साहित्य सृजन को दिए हैं और 40 पुस्तकों के जरिए आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजा है।

 

डॉ. ओसी हांडा ने अपने जीवन के पचास साल इन्हीं विषयों पर कालजयी एवं शोधपरक साहित्य सृजन को दिए हैं और 40 पुस्तकों के जरिए आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजा है।

Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओसी हांडा का हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं पर दखल है, लेकिन उनका ज्यादातर लेखन अंग्रेजी में है। उन्होंने कई पुस्तकों का सम्पादन भी किया है। वे वर्तमान में शिमला में रहते हैं और 85 साल की उम्र में धरोहर संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं।

मैट्रिक के बाद सीधे एमए

Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओ सी हांडा मैट्रिक के बाद सीधे एमएकी उपाधि प्राप्त करने वाले उत्तर भारत के पहले व्यक्ति और डी.लिट् करने वाले पहले हिमाचली हैं। वे पहले नॉन अकेडमिक व्यक्ति हैं, जो भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के फैलो रहे।

Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओ सी हांडा इन्फिनिटी फाउंडेशन अमरीका, आईसीएचआर और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के भी अध्येता रहे हैं। वे ललित क्ला अकादमी के सदस्य और अन्तर्राष्ट्रीय रोरिक ट्रस्ट नग्गर, कुल्लू के निदेशक रहे हैं।

जन्म के साथ ही उठ गया मां का साया

2 अक्टूबर 1936 को मंडी शहर के एक निम्न-मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे, ओसी हांडा ने जन्म के तुरंत बाद ही अपनी माँ को खो दिया।आर्थिक तंगी के कारण वे मैट्रिक से आगे नहीं पढ़ सके, लेकिन उन्हें वह अवसर 1981 में मिला, जब मैसूर विश्वविद्यालय ने एक अनूठा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया।

Writer of Himachal Pradesh मैट्रिक से सीधे इतिहास में मास्टर्स किया। उसके बाद उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से पीएचडी (इतिहास) (1987) और आगरा यूनिवर्सिटी से डी. लिट. (1993) की। उन्होंने पुरातत्व में सेवाकालीन प्रशिक्षण भी लिया और इंजीनियरिंग से पुरातत्व में चले गए।

रोरिक मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक

Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओ. सी. हांडा ने लोक निर्माण विभाग, जनगणना, भाषा एंव संस्कृति विभाग में कार्य किया। वे उप निदेशक (पुरातत्व) और शिमला में राज्य संग्रहालय के क्यूरेटर रहे। साल 1994 में सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, वे नगर (कुल्लू) में इंटरनेशनल रोरिक मेमोरियल ट्रस्ट के निदेशक भी रहे।

अकादमी शिखर साहित्य सम्मान

राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय संगोष्ठियों में Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओ. सी. हांडा ने हिमाचल प्रदेश के इतिहास, पुरातत्व, काष्ठकला, लोक साहित्य, वास्तुकला, जन जीवन, जनजातीय संस्कृति, बौद्ध परंपरा जैसे विषयों पर व्याख्यान और पत्र प्रस्तुतियां दी हैं।

उन्हें हिमाचल प्रदेश सरकार, राज्य पत्रकार महांसघ, प्रदेश की कई स्वैच्छिक संस्थाओं तथा सिक्किम, अहमदाबाद, इंडस विश्वविद्यालय ने सम्मानित किया है।

प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी ने Writer of Himachal Pradesh डॉ. ओ. सी. हांडा को शोधपरक साहित्य के क्षेत्र में आजीवन एंव उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत रत्न अटल विहारी वाजपेयी अकादमी शिखर साहित्य सम्मान 2018 से अंलकृत किया है।

Writer of Himachal Pradesh डॉ. हांडा रचना संसार

Writer of Himachal Pradesh ओसी हांडा की प्रकाशित पुस्तकों में पहाड़ी चित्रकला (सहलेखन- 1969), पहाड़ी फोक आर्ट(1975), पहाड़ी लोकगीत: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन (1981), नूमेसमेटिक सोर्सेस ऑन द अर्ली हिस्ट्री ऑफ वेस्टर्न हिमालय (1984), बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज इन हिमाचल प्रदेश(1987), पश्चिमी हिमालय की लोक कलाएं (1988), शिवा इन आर्ट (1992), बुद्धिस्ट आर्ट एंड एंटीक्विटीज ऑफ हिमाचल प्रदेश (1994), ताबो मॉनेस्ट्री एंड बद्धिज्म इन द ट्रांस हिमालय (1994), ग्लिम्प्सेस ऑफ वेस्टर्न हिमालय (1997), टैक्सटाईल्ज कॉस्ट्यूम्ज एंड आर्नामेंट्स ऑफ दि वेस्टर्न हिमालय (1998), वुड हैंडीक्राफट ऑफ सहारनपुर( सह लेखन 2000), टैम्पल आर्किटेक्चर ऑफ दि वेस्टर्न हिमालय-वुडन टेम्पल्ज (2001), आर्ट एंड आर्किटैक्चर ऑफ उत्तरांचल (सह लेखन 2003), नागा कल्ट्स एंड ट्रेडीशन्ज इन द वेस्टर्न हिमालय (2004), बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज ऑफ हिमाचल (2004) गद्दी लैंड इन चंबा, इट्स हिस्ट्री (2006), आर्ट एंड कल्चर (2005),पैनोरमा ऑफ हिमालयन आर्ट (2005), वैस्टर्न हिमालयन फोक आर्ट्स (2006), वुड कार्विंग इन द हिमालयन रीजन(2006), पैनोरमा ऑफ हिमालयन आर्किटैक्चर (वॉल्यूम 1,टैम्पल्स, 2008), पैनोरमा ऑफ हिमालयन आर्किटैक्चर (वॉल्यूम-2 बुद्धिस्ट मॉनेस्ट्रीज कैसलस एंड ट्रेडिशनल हाउसिस 2008), हिमालयन ट्रेडिशनल आर्किटैक्चर(2009) किन्नौर अनफोल्डिंग एक्सोटिक हिमालयन लैंड (2009), कैटालॉग ऑफ द मयूजियम ऑफ कांगडा आर्ट धर्मशाला(2010) एशियनट लैंड ऑफ पैराडॉक्सिज (2014), कुल्लू: इट्स अर्ली हिस्ट्री एंड आर्कियोलॉजी(2015), द कलर्ज ऑफ अर्थ: ए स्टडी ऑफ इण्डियन फोक पेंटिंग(2017),पैनोरमा ऑफ इंडियन इंडिजेनस आर्किटैक्चर(2018) शामिल हैं।

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