‘डोगरी’ सृजन के अग्रदूत हैं यशपाल निर्मल, डोगरी बाल उपन्यास ‘छुट्टियां’ का 27 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है प्रकाशित।

‘डोगरी’ सृजन के अग्रदूत हैं यशपाल निर्मल, डोगरी बाल उपन्यास ‘छुट्टियां’ का 27 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है प्रकाशित।
विनोद भावुक/ जम्मू
जम्मू- कश्मीर के अखनूर सेक्टर के ज्यौड़ियां क्षेत्र के गढ़ी बिशना गांव के यशपाल निर्मल वर्तमान से ‘डोगरी’ सृजन के अग्रदूत हैं। 15 अप्रैल, 1977, जम्मू में पैदा हुए यशपाल निर्मल ने एमए डोगरी, एमफिल डोगरी, एमए हिन्दी और एमए पंजाबी की है। उन्होंने उर्दू में डिप्लोमा, पत्रकारिता और कंप्यूटर में सर्टिफिकेट कोर्स और डोगरी भाषा में नेट एवं स्लेट किया है। डोगरी, हिन्दी, पंजाबी, अंग्रेजी और उर्दू पर उनकी मजबूत पकड़ है। वे पिछले तीन दशक से डोगरी साहित्य की सेवा में जुटे हैं। उन्होंने कई कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में भाग लिया है और कई शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। दूरदर्शन केन्द्र, जम्मू और आल इंडिया रेडियो जम्मू से उनकी कवितओं, कहानियों, वार्ताओं का प्रसारण होता आ रहा है।
उनके डोगरी बाल उपन्यास ‘छुट्टियां’ का डॉ. सुनीता भडवाल ने हिन्दी में अनुवाद किया है। केशव मोहन पाण्डेय ने भोजपुरी में, डॉ संजय चोपड़े ने मराठी में, डा. राजेश मंजवेकर ने मगही में, डा. लखिमी गगोई ने असमिया में, गुडला परमेश्वर ने तेलुगु में, करतार सिंह जाखड़ और हिना महाजन ने अंग्रेजी में, नवीन जोशी नवल ने कुमाऊनी में, डॉ. विजेन्द्र प्रताप सिंह ने बंगाली में, डॉं. मैत्रेई कमीला ने ओड़िया में, डॉ. गुलाबचंद पटेल ने गुजराती में, डॉ. मोहम्मद अनवर ने उर्दू में, डॉ. रामकुमार घोटड़ ने राजस्थानी में, डॉ. संदीप नागरा ने पंजाबी में, डॉ. मेनका मल्लिक ने मैथिली में, डॉ. कैलाश चन्द्र शर्मा ने ढुंडाड़ी , शगुफ्ता चौधरी ने गोजरी में, पोपिंदर पारस ने पंजाबी में भाषा में अनुवाद किया है।
85 से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन
यशपाल निर्मल की विभिन्न विधाओं में 85 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 1996 में उनका डोगरी कविता संग्रह ‘अनमोल जिंदड़ी’, 2008 में ‘बस तूं गै तूं ऐं’ , 2020 में 1008 डोगरी हाइकु , 2024 में टटैने प्रकाशित हुये हैं। 2018 में उनका डोगरी बाल उपन्यास ‘छुट्टियां’, 2019 में बाल कविता संग्रह ‘मक्खन-मखाने’ और 2023 में बाल कविता संग्रह ‘बित्ती-टोल्ला’ प्रकाशित हुआ है। उन्होंने 2007 में लोक धारा 2014 में ‘दस लेख’ 2015 में ‘शोध ते परचोल’ और 2018 में ‘डोगरी लोक कत्थां ते मानवीकरण’ शीर्षक से डोगरी में चार शोध ग्रंथ लिखे हैं।
यशपाल निर्मल ने 2008 में डोगरी व्याकरण एवं भाषाविज्ञान ‘आओ डोगरी सिखचै’, 2009 में ‘डोगरी व्याकरण’ 2010 में डोगरी व्याकरण ते गद्य लेखन, 2011 में डोगरी भाषा ते व्याकरण लिखे हैं। उन्होंने 2011 में ‘डोगरी स्क्रिप्ट बुक’ और ‘डुग्गर भूमि, भाषा और साहित्य’ का सह-लेखन किया है। साल 2015 में ‘समाज भाषाविज्ञान ते डोगरी’ का सहलेखन के अलावा 2016, 2018, 2020 और 2022 में ‘डोगरी व्याकरण ते संवाद कौशल’ के चार संस्करण लिखे हैं। 2021 में उन्होंने हिन्दी बाल उपन्यास ‘डायरी’ लिखा है। 2018 में ‘साहित्य मंथन’ और 2021 में ‘डोगरा लोक संस्कृति हिन्दी’ शोध ग्रंथ लिखे हैं। साल 2010 में उन्होंने अँग्रेजी- डोगरी फोनेटिक रीडर बनाया है।
अनुवाद विधा में बनाई नई पहचान
यशपाल निर्मल ने 2011 ‘मियां डीडो’, 2014 में ‘वाह्गे आह्ली लकीर’, 2014 में ‘देवी पूजा विधी विधान: समाज सांस्कृतिक अध्यायन’, 2015 में ‘सुधाीश पचौरी नै आक्खेआ हा’ तथा 2022 में तत्ती तवी दा सच्च जैसी पुस्तकों का पंजाबी से डोगरी में अनुवाद किया है। उन्होंने 2015 में ‘मनुक्खता दे पैह्रेदार: लाला जगत नारायण’, 2018 में राधामाधव (2019 में कर्मयागी 2020 में ‘सरोकार’ 2021 में डोगरी गीता, ‘आओ बच्चो सुनो क्हानी’ ‘सच्चे सुच्चे मित्तर’ ‘हैंस इकला रोआ’, ‘आनलाइन जिंदगी’ तथा ‘शिखरें शा अग्गै’, 2023 में चेते पिता दे’, ‘मां होई जाना’ और ‘त‘ली र जान’ का हिन्दी से डोगरी में अनुवाद किया है। उन्होंने 2015 में ‘घड़ी’, 2018 में ‘असली वारिस’, 2019 में लहरें, 2020 में ‘बभौर’ और ‘.सात कहानियां’, 2021 में ‘मदारी’, 2022 में ‘जंगल में मंगल’ और 2024 में ‘शब्द अमृत’ , 2025 में जित्थूं तगर नजर जंदी ऐ, लोई का डोगरी से हिन्दी में अनुवाद किया है।
उन्होंने 2020 में ‘डीडो’ का पंजाबी से हिन्दी में अनुवाद किया है। 2022 में ‘गुम होए सफे’ ( सतीश विमल की कविताएं) का हिन्दी से पंजाबी में अनुवाद किया है। उन्होंने अंग्रेजी से डोगरी में भी अनुवाद किया है, जिनमें 2015 में ‘भारती इतेहास दा अध्यायन इक परीचे’, 2021 में ‘भारती संविधान’ (सह अनुवादक), 2022 में ‘राश्टर दी बुनियाद: भारती संविधान’ शामिल हैं। जम्मू कश्मीर स्टेट बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन के कई पुस्तकों का डोगरी भाषा में अनुवाद किया है। एनसीईआरटी, नई दिल्ली के लिए चंद्रयान पर आधारित 10 माड्यूल का डोगरी अनुवाद किया है।
पुस्तकों और पत्रिकाओं का सम्पादन
यशपाल निर्मल ने कई पुस्तकों का सम्पादन किया है। डोगरी में संपादित पुस्तकाओं में 2002 में ‘पैह्ली गैं’ 2008 में राष्ट्रीय साहित्यकार परिचय पत्रिका, 2013 में रूप-बसैंत, 2018 में अंग्रेजी-डोगरी शब्दकोश (सह संपादन) 2020 में नंदै दा कड़छा (सह संपादन), जि‘यां उ‘दे दिन फिरे (सह संपादन) डोगरी लोक गीत भाग-14 (सह संपादन), सोच साधना अंक-10, तथा 2023 में साढ़ा साहित्य (सह संपादन) शामिल हैं। उनकी हिन्दी में संपादित पुस्तकों में 2021 में जम्मू-कश्मीर की श्रेष्ठ लोककथाएं, 2022 में हाइकु सिन्धु, और हमारा साहित्य, 2023 में हमारा साहित्य शामिल हैं।
यशपाल निर्मल ने शीराज़ा हिन्दी और शीराज़ा हिन्दी डोगरी पत्रिकाओं के कई अंकों का सह सम्पादन किया है। उन्होंने केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के लिए 2016 में हिन्दी- डोगरी वार्तालाप पुस्तिका का सहलेखन, 2021 में सृजन के विविध आयाम का अनुवाद और खूं: वैश्विक बंधुत्व का सेतु का लेखन किया है। 2012 में पिण्डी दर्शन का लेखन, यशपाल निर्मल डोगरी शोध पत्रिका ‘सोच साधना’, ‘डोगरी अनुसंधान’, ‘परख-परचोल’ और ‘सर्व भाषा’ के संपादकीय सलाहकार हैं।
साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार
यशपाल निर्मल को 2014 मियां डीडो के लिए साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार प्रदान किया गया। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र नई दिल्ली ने 2015 में डोगरी साहित्य के लिए यूनियर फेलोशिप प्रदान की। 2022 में आओ खुशियां बांटे मंच, जम्मू की ओर से ‘1008 डोगरी हाइकु‘ पर ‘गोगा राम साथी स्मृति पुरस्कार‘ दिया गया। 2022 में ‘डायरी‘ के लिए पं. हरप्रसाद पाठक-स्मृति बाल साहित्यश्री सम्मान और 2023 में बाल वाटिका परिवार, भीलवाड़ा, राजस्थान की ओर से बाल वाटिका पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
भारतीय अनुवाद परिषद, नयी दिल्ली का “डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश पुरस्कार 2024”
2004 में कमला भारती सांस्कृतिक संस्था, बिहार से पत्रकारिता भारती सम्मान, 2010 में जैमिनी अकादमी, पानीपत का जम्मू कश्मीर रत्न सम्मान, 2011 में डुग्गर प्रदेश सम्मान, 2012 में प्रोग्रेसिव यूथ सोसायटी, रामनगर, उधमपुर की तरफ से लीला देवी स्मृति सम्मान, 2013 में राइटर्स क्लब, अखनूर, जम्मू का महाराजा रणवीर सिंह सम्मान, 2017 में निर्मला स्मृति साहित्य समिति, हरियाणा का राष्टीय अनुवाद साहित्य गौरव सम्मान दिया गया है।
संविधान के डोगरी में सह अनुवाद के लिए सम्मान
साल 2018 में यशपाल निर्मल को सर्व भाषा ट्रष्ट सम्मान, 2018 में के. बी. साहित्य समिति, उत्तर प्रदेश का डॉ. रघुवंश स्मृति साहित्य सम्मान प्रदान किया गया है। उन्हें ओसान आनंदम सोसायटी, मध्य प्रदेश का मुन्शी प्रेमचंद साहित्य सम्मान, राष्ट्रीय कवि संगम सम्मान, रंगोली काव्य पत्रिका, उत्तर प्रदेश की ओर से साहित्य भूषण सम्मान, हिमालय और हिन्दोस्तान, उत्तराखंड का साहित्य सेवी सम्मान, 2019 में काका साहेब कलेलकर सम्मान और डोगरी संस्था सम्मान प्रदान किया गया है।
साल 2020 में बृजलोक कला, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, आगरा का कला साधक सम्मान, 2021.में मोस्ट आऊटस्टैंडिंग सर्विस अवार्ड, इंडियास मोस्ट डायनामिक अचीर्वस अवार्ड और गर्वनमेंट डिग्री कालेज, ज्यौड़ियां द्वारा सम्मान दिया गया। भारतीय संविधान के डोगरी अनुवाद के लोकार्पण के अवसर पर 08 अप्रैल 2023 को केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू, जम्मू, कश्मीर एवं लद्दाख के चीफ जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह और जम्मू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमेश राय के हाथों सम्मानित किया। श्राइण बोर्ड की बेवसाइट का प्रो. राजकुमार के साथ मिलकर हिन्दी में सह अनुवाद किया।
यशपाल निर्मल को 2018 में विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर की ओर से विद्यावाचस्पति की मानद उपाधि और वीरभाषा साहित्यापीठ, मुरादावाद की ओर से साहित्य वाचस्पति की मानद उपाधि दी गई है।
2019 में उन्हें विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, भागलपुर की ओर से विद्यासागर की मानद उपाधि प्रदान की गई है। उनकी डोगरी स्क्रिप्ट बुक और डुग्गर भूमि, भाषा और साहित्य पुस्तकें उत्तर क्षेत्रीय भाषा केन्द्र, पटियाला के पाठ्यक्रम में और डोगरी व्याकरण ते संवाद कौशल पुस्तक जम्मू विश्वविद्यालय के स्नातक के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। उन्होंने प्रो राज कुमार के साथ मिलकर श्री माता वैष्णो देवी श्राइण बोर्ड की बेवसाइट का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद किया।
यशपाल निर्मल डोगरी कला मंच, डोगरी भाषा अकैडमी और जम्मू-कश्मीर हिन्दी अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष हैं। वे सर्व भाषा ट्रष्ट, नई दिल्ली के राष्ट्रीय शोध निदेशक हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादेमी की ओर से वर्ष 2002 में धर्मशाला, शिमला, चंडीगढ़ एवं दिल्ली की साहित्यिक यात्रा और 2013 में साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की ओर से गोवा की साहित्यिक यात्रा की है।
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